शांतिपूर्ण व निष्पक्ष मतदान के लिए किये गये पुख्ता इंतजाम
रांची : सात दिसंबर को दूसरे चरण में झारखंड की 20 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है. शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. उक्त क्षेत्रों में 275 कंपनी केंद्रीय बलों के अलावा राज्य बल की पर्याप्त संख्या में तैनाती की गयी है.
डीजीपी कमल नयन चौबे ने कहा कि सभी 20 विधानसभा क्षेत्रों में अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों की पहचान कर ली गयी है. इसके मुताबिक ही चुनाव आयोग के निर्देश के मद्देनजर केंद्रीय बलों को संबंधित क्षेत्र के कलस्टरों पर पहुंचा दिया गया है. जवान संबंधित क्षेत्र में मुस्तैदी से डटे हैं.
आइजी अभियान के अलावा संबंधित क्षेत्र के रेंज डीआइजी भी मतदान वाले क्षेत्रों में लगातार कैंप कर रहे है. लोग निर्भीक होकर मतदान में अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र के महापर्व में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं. बता दें कि उक्त 20 विस क्षेत्रों में कुल 5784 मतदान केंद्र (बूथ) बनाये गये है. इसमें से 1844 मतदान केंद्र अतिसंवेदनशील हैं. जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिम को छोड़ दिया जाये, तो बाकी की 18 सीटें कमोबेश नक्सल प्रभावित हैं. सबसे ज्यादा अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र मांडर में 172 और मनोहरपुर में 149 केंद्र हैं.
जहां चुनाव खत्म, वहां दें कंबल बांटने की अनुमति
रांची. मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी ने गरीबों के बीच कंबल वितरण की अनुमति देने को लेकर भारत के निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है. मुख्य सचिव ने लिखा है कि अभी सर्दी का मौसम है. ठंड से राहत दिलाने के लिए गरीबों के बीच कंबल का वितरण आवश्यक है.
ऐसे में जहां चुनाव खत्म हो गया है, वहां कंबल बांटने की अनुमति दी जाये. मुख्य सचिव ने बुधवार को आयोग को पत्र लिख कर राज्य में नेफेड को प्याज बेचने की अनुमति देने का आग्रह किया है. उन्होंने लिखा है कि भारत सरकार दूसरे देशों से प्याज मंगवा कर सभी राज्यों को दे रही है. ऐसे में उन राज्यों में प्याज का मूल्य कम हो रहा है. दूसरे राज्यों में अलग-अलग एजेंसियों द्वारा प्याज बेची जा रही है. झारखंड में नेफेड की अोर से प्याज की बिक्री की जा रही थी.
इस पर आयोग ने रोक लगा दी है. मुख्य सचिव ने लिखा है कि झारखंड में सरकार प्याज का वितरण नहीं करा रही है और न ही इसमें किसी तरह की सब्सिडी दी जा रही है.ऐसे में जनहित में झारखंड में भी प्याज बेचने की अनुमति दी जाये. इसमें सरकारी की कोई भागीदारी नहीं है, इसलिए यह मामला आचार संहिता से संबंधित नहीं है.