रांची : देश में सभी राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण की बातें करते हैं, लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव में उन्होंने औसतन महज 12 प्रतिशत महिलाओं को ही चुनाव के मैदान में उतारा है. झारखंड विधानसभा की 81 सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान हो रहा है.
पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को संपन्न हो चुका है. इस चरण में जिन 13 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ, उन पर महज 15 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं. दूसरे चरण में विधानसभा की 20 सीटों के लिए सात दिसंबर को मतदान होगा. इन सीटों के लिए भी कुल 260 उम्मीदवारों में महज 29 महिला उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में हैं.
प्रथम दो चरणों में कुल 33 सीटों के लिए सभी राजनीतिक दलों और अन्य के कुल 449 उम्मीदवारों में से सिर्फ 44 महिला उम्मीदवार हैं. इस प्रकार इन उम्मीदवारों में 10 प्रतिशत से भी कम महिला ही चुनाव के मैदान में हैं.
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झारखंड विधानसभा चुनाव में सभी 81 सीटों के लिए बड़े दलों-भाजपा, कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा, राजद और आजसू ने कुल 39 महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है. इन दलों ने 12 प्रतिशत सीट पर ही महिलाओं को टिकट दिया है.
इस बारे में पूछे जाने पर रांची विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे राज्य के वरिष्ठ मंत्री एवं भाजपा प्रत्याशी चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि भाजपा महिलाओं को सर्वाधिक सम्मान देती है और उन्हें राजनीति में अवसर देने के लिए सदा तत्पर रहती है. लेकिन, चुनावों में जीत दर्ज करना भी महत्वपूर्ण होता है. अतः कई बार चाहकर भी महिलाओं को पार्टी टिकट नहीं दे पाती है.
श्री सिंह ने इसके कारण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अभी हमारे घरों की महिलाएं अधिकतर अपने घरों को ही संभालती हैं, ताकि बच्चों को देश का अच्छा नागरिक बनाया जा सके. इस कारण वे देश की राजनीति में सीधे हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम कर पाती हैं.
भाजपा ने झारखंड विधानसभा की कुल 81 सीटों में से 79 पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें उसने सिर्फ सात महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इस प्रकार भाजपा ने झारखंड में अपनी पार्टी के कुल 8.8 प्रतिशत टिकट ही महिलाओं को दिये हैं.
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भाजपा के संगठन महामंत्री दीपक प्रकाश ने इस बारे में कहा कि अभी राजनीति में आने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है. जैसे-जैसे अधिक महिलाएं राजनीति में कदम रखेंगी, उन्हें पार्टी अधिक से अधिक टिकट देगी.
इस बार के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने झारखंड में एक भी महिला को टिकट नहीं दिया है. निवर्तमान सरकार में भाजपा की सहयोगी आजसू इस मामले में सबसे आगे है. वह कुल 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने नौ महिलाओं को टिकट दिया है. इस प्रकार उसने महिलाओं को 17 प्रतिशत टिकट बांटे हैं.
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इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस है, जिसने अपने हिस्से की 31 विधानसभा सीटों पर पांच महिला उम्मीदवारों को जगह दी है. यह कुल उम्मीदवारों का लगभग 16 प्रतिशत है. झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के उद्देश्य से ही उनकी पार्टी ने इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है. उन्होंने और अधिक महिलाओं को टिकट दिये जाने की भी वकालत की.
बाबूलाल मरांडी का झारखंड विकास मोर्चा राज्य में सर्वाधिक सभी 81 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रहा है. इनमें 12 महिला उम्मीदवारों को उसने टिकट दिया है, जो कुल उम्मीदवारों की संख्या का 15 प्रतिशत है.
राज्य का मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन में स्वयं 43 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है. इन सीटों में उसने छह महिला उम्मीदवारों को जगह दी है, जो कुल लड़ी जाने वाली सीटों का 14 प्रतिशत है.
राजद की ओर से राज्य में उसकी महिला प्रवक्ता अनिता यादव ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने परहेज किया, तो झामुमो के उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने कहा कि जीतने लायक महिला उम्मीदवारों की कमी भी कम महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के पीछे एक बड़ा कारण है.
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उन्होंने कहा कि राज्य में पंचायतों में अब मुखिया का पद अनेक जगह महिलाओं के लिए सुरक्षित है, लेकिन वहां उनके बोल न पाने के कारण उनकी ओर से उनके पति को बोलने की अनुमति देनी पड़ती है. इस स्थिति को बदलना होगा.
आजसू के प्रवक्ता देवशरण भगत ने बताया कि उनकी पार्टी हमेशा से महिलाओं को अधिकाधिक राजनीति में आगे लाने की पक्षधर रही है. यही कारण है कि उसने 53 सीटों में से नौ सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारा है. इस चुनाव में भाजपा का साथ छोड़कर आजसू राज्य की कुल 53 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ रहा है. राज्य की सभी सीटों के लिए मतगणना एक साथ 23 दिसंबर को होगी.
उल्लेखनीय है कि चतुर्थ झारखंड विधानसभा में कुल 81 चुने हुए विधायकों में नौ महिला विधायक थीं और इनका प्रतिशत भी विधायकों की कुल संख्या के मुकाबले 11 प्रतिशत से कुछ ही अधिक आता है. पांचवीं विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या में इजाफा हो पायेगा, इसकी इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं.