रांची : मानवाधिकार कार्यकर्ता व लेखक ग्लैडसन डुंगडुंग की पुस्तक ‘आदिवासी और देयर फॉरेस्ट’ का रविवार को विमोचन किया गया. विमोचन कार्यक्रम में मानवशास्त्री फेलिक्स पैडल ने कहा कि विकास के नाम पर यहां जो कुछ भी किया जा रहा है, वह पूरी तरह से अविकास है.
कार्यक्रम में मौजूद डॉक्टर संजय बसु मालिक ने कहा कि साम्राज्यवादी भूख के कारण आज खनन कार्य तेज किये जा रहे हैं, जिससे जंगलों का विनाश हो रहा है. कवयित्री ज्योति लकड़ा ने ब्रिटिशकालीन वन कानूनों को दोहनकारी बताया. उन्होंने कहा, हमारे पुरखे मूर्ख थे क्या कि जंगल और नदी बचाये.
जंगल बचाने का यह आदि दर्शन आज खत्म हो गया है. यह बात फिल्म मेकर मेघनाथ ने कही. लेखक ग्लैडसन ने कहा कि आदिवासी युवा को आज बौद्धिक क्रांति करनी है और वह लेखन से संभव है. अब वे आदिवासी प्रकाशन के मार्फत आदि दर्शन से संबंधित पुस्तकें प्रकाशित करेंगे.
मौके पर महेंद्र पीटर तिग्गा, मेरी क्लाउडिया सोरेंग, सुनील मिंज ने भी अपनी-अपनी बातें रखी. जयचंद कलुंडिया ने स्वागत भाषण दिया, जबकि राकेश रोशन किड़ो ने कार्यक्रम का संचालन किया और दीपक बड़ा ने सभी का शुक्रिया अदा किया. इस अवसर पर खुली चर्चा का भी आयोजन किया गया.