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हर क्षेत्र का है अलग मुद्दा और मिजाज, जानें रांची, हटिया, कांके, सिल्ली और खिजरी विधानसभा सीट के बारे में कुछ खास

झारखंड विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में राजधानी रांची से जुड़ी चार महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों रांची, हटिया, कांके, सिल्ली और खिजरी में 12 दिसंबर को मतदान होना है. यहां चुनाव को लेकर सरगरमी तेज है. प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का प्रचार अभियान चरम है. मुख्य मार्ग से लेकर शहर की गली-मोहल्लों में मतदाताओं से अपील […]

झारखंड विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में राजधानी रांची से जुड़ी चार महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों रांची, हटिया, कांके, सिल्ली और खिजरी में 12 दिसंबर को मतदान होना है. यहां चुनाव को लेकर सरगरमी तेज है. प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का प्रचार अभियान चरम है. मुख्य मार्ग से लेकर शहर की गली-मोहल्लों में मतदाताओं से अपील करते अलग-अलग दलों के नेता घूमते थक नहीं रहे हैं.
चुनाव लड़ने के सबके अपने दावे और मुद्दे हैं. समीकरण भी विधानसभा सीटों अलग-अलग है. पार्टियां जाति और विचारधारा में बंटे मतदाताओं को साधने का करतब करती दिख रही हैं. हर क्षेत्र का अपना लोकल मुद्दा है और स्थानीय लोगों का अपना मिजाज, जिससे प्रभावित होता रहा है मतदान.
रांची सीट: डबल हैट्रिक की दहलीज पर सीपी सिंह, शहरी वोटरों की गोलबंदी में जुटा झामुमो
कुल वोटर : 346765
पुरुष : 181603
महिला : 165129
रांची : रांची विधानसभा सीट पर पिछले तीन दशक से भाजपा का कब्जा है. भाजपा 1990 से यहां चुनाव जीतती रही है. भाजपा ने फिर सीपी सिंह को प्रत्याशी बनाया है.
1996 से 2014 तक रांची की जनता ने सीपी सिंह को विधायक और विधानसभा अध्यक्ष के रूप में देखा. इस बार श्री सिंह नगर विकास मंत्री के रूप में मैदान में हैं. वे डबल हैट्रिक बनाने की दहलीज पर खड़े हैं. सीपी सिंह के सामने विपक्षी प्रत्याशी के रूप में फिर झामुमो की महुआ माजी है. झामुमो के लिए भाजपा के गढ़ में सेंधमारी की चुनौती है़ शहरी मतदाताओं में झामुमो पकड़ बनाने की कोशिश में जुटा है. अल्पसंख्यक वोटरों का भी भरोसा है़ इस बार झामुमो को गठबंध में शामिल दल कांग्रेस व राजद का साथ भी मिल रहा है.
इनका काट तोड़ने के लिए भाजपा रातू रोड और चुटिया जैसे इलाकों में मतदाताओं को गोलबंदी करने की कोशिश कर रहा है. इन प्रत्याशी के बीच चेंबर के पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा भी चुनावी मैदान में हैं. यह भाजपा के परंपरागत वोटरों में सेंध मारने की कोशिश करेंगे. वैसे चेंबर ने इनको अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं किया है़ वह राजधानी के कुछ खास इलाके में पैठ बना कर सीपी सिंह का रास्ता काटने की कोशिश में लगे है़ं इसी तरह मेयर प्रत्याशी के तौर रांची से चुनाव लड़ चुकी वर्षा गाड़ी को आजसू ने मैदान में उतार दिया है.
आजसू की नजर युवा और आदिवासी मतदाताओं पर है. वर्षा गाड़ी मेयर चुनाव के अनुभव के साथ चुनावी मैदान में है. इनके अलावा झाविमो के सुनील गुप्ता, जदयू के संजय सहाय, बसपा की नेहा सोनी, लोजपा के दिनेश सोनी, तृणमूल कांग्रेस ने राजेश कुमार पांडेय, आप के राजन कुमार सिंह, राष्ट्रीय महिला पार्टी की ज्योति भेंगरा व नदीम खान निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
1990 से लेकर 2009 तक के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की ही टक्कर होती थी, पर भाजपा ही लगातार जीतती रही है. 2014 में दूसरे स्थान पर झामुमो था. 1995 में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा यहां से विधायक रहे. उनके बाद 1996 में सीपी सिंह भाजपा से विधायक बने. तब से लेकर अब तक लगातार पांच टर्म से सीपी सिंह ही विधायक हैं.
हटिया सीट : शहरी और ग्रामीण दोनों वोटरों को साधने वाला होगा पार
कुल वोटर : 446372
पुरुष : 230871
महिला : 215478
रांची : हटिया विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जंग हमेशा रोमांच भरा रहा है़ इस सीट ने कई बार हैरत भरे परिणाम दिये है़ं चुनावी समर में कभी सूरमाओं की कश्ती भी वोटरों ने डुबोयी है़ इस बार भी राजनीतिक रंजिश तीखा है़
कांग्रेस के विधायक गोपाल शरण नाथ शाहदेव के असमय मौत के बाद खाली हुई इस सीट पर नवीन जायसवाल के रूप में नया चेहरा सामने आया था़ भाजपा की पैठ वाले इस विधानसभा में नवीन जायसवाल ने पिछले चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी सीमा शर्मा को परास्त कर लोगों को चाैंकाया था़
झाविमो की टिकट से चुनाव जीत कर आने वाले नवीन जायसवाल के भाजपा में जाने के बाद परिस्थिति बदली है़ राजनीतिक समीकरण बदले हैं, चुनावी गणित की उलझने भी बढ़ी है़ भाजपा ने इस बार चुनाव में नवीन जायसवाल को प्रत्याशी बनाया है़ उधर कांग्रेस की ओर से अजय नाथ शाहदेव मोर्चा संभाल रहे है़ं अजय गठबंधन के साझा उम्मीदवार है़ं झाविमो ने शोभा यादव को प्रत्याशी बनाया है, तो आजसू ने एकदम नया चेहरा भरत काशी को मौका दिया है़ इस सीट का रोचक पहलू है कि यहां के वोटरों ने सबको मौका दिया है़
लंबे समय तक भाजपा से रामजी लाल सारडा जीतते रहे, तो कांग्रेस के गोपाल शरण शाहदेव को भी 2005 और 2009 लगातार दो चुनाव में जनता ने मौका दिया़ उपचुनाव में आजसू भी अपना खूंटा गाड़ चुका है़ वहीं 2014 में नवीन जायसवाल झाविमो के टिकट पर चुनाव जीत कर आये़ हटिया में चुनावी बयार को समझना और चुनावी प्लॉट तैयार करना आसान नहीं है़ इस विधानसभा में शहरी और ग्रामीण दोनों ही मतदाता है़ं दोनों का मन-मिजाज भांपना आसान नहीं है़
दोनाें ही पॉकेट में जिसने तरीके से सेंधमारी की, बाजी उसकी ही होती है़ रातू, पुंदाग, नया सराय, घाघरा, लटमा, हटिया, बनहोरा इलाके में अलग-अलग करंट रहता है, तो शहरी इलाके में अलग ही बयार बहती है़ भाजपा, कांग्रेस, आजसू, झाविमो को इन दोनों ही क्षेत्रों में संतुलन बनाना होगा़ भाजपा के अपने परंपरागत वोट हैं, जिसका बिखराव रोके बिना जीत के करीब नहीं पहुंच सकते है़ं
वहीं कांग्रेस का चुनावी समीकरण अलग है़ गठबंधन के साथी एक-दूसरे का कितना वोट ट्रांसफर करा पाते हैं, खेल इसमें भी है़ वहीं झाविमो और आजसू को भाजपा-कांग्रेस के बीच से रास्ता निकालना होगा़ यह तभी संभव है, जब भाजपा-कांग्रेस का वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी करने में सफल हो़ बहरहाल 12 दिसंबर को हटिया की जमीन पर रोचक मुकाबला होने जा रहा है़
खिजरी सीट : भाजपा, कांग्रेस, अाजसू व झाविमो ने लगायी ताकत, निर्दलीय भी कर रहे जोर-आजमाइश
कुल वोटर : 326837
पुरुष : 169259
महिला : 157578
रांची : खिजरी विधानसभा सुरक्षित (एसटी) सीट है, जहां 2019 के विधानसभा चुनाव में कुल 21 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. हालांकि अलग-अलग चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस व भाजपा को बढ़त मिलती रही है. झारखंड गठन के वर्ष से 2014 तक के चार विधानसभा चुनावों में इन्हीं दो पार्टियों को जनता ने विजेता व उप विजेता बनाया है.
वर्ष 2005 व 2009 में अमूल्य नीरज खलखो को तीसरा स्थान मिला था. अमूल्य 2005 के चुनाव में झारखंड पार्टी के प्रत्याशी थे, जबकि 2009 में वह यूजीडीपी के उम्मीदवार थे. इधर 2019 के चुनाव में भाजपा ने गत चुनाव में सफल रहे अपने प्रत्याशी राम कुमार पाहन को ही उम्मीदवार बनाया है. इस बार एक युवा नेता राजेश कच्छप कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. उधर 2014 के चुनाव में 22661 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे झामुमो के अंतु तिर्की इस बार झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
वहीं भाजपा के साथ गठबंधन से अलग हुए आजसू ने भी रामधन बेदिया को खिजरी से प्रत्याशी बनाया है. दरअसल आजसू ने 2005 व 2009 में भी खिजरी सीट से अपना प्रत्याशी उतारा था, पर दोनों ही बार उसे चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था. 2005 के चुनाव में आजसू प्रत्याशी राजेंद्र साही मुंडा को 6984 तथा 2009 में पारस नाथ उरांव को 13673 वोट मिले थे. भाजपा, कांग्रेस व आजसू के प्रत्याशियों का अपना-अपना गढ़ है.
भाजपा को टाटीसिलवे, कांग्रेस को रामपुर व प्रखंड मुख्यालय के आसपास के इलाके तथा रामधन बेदिया को अोरमांझी में जनता का आशीर्वाद मिल सकता है. बड़ी आबादी के कारण टाटीसिलवे अौद्योगिक क्षेत्र तथा आसपास के ग्रामीण इलाके का वोट निर्णायक माना जाता है. अंतु ने भी क्षेत्र में पांच साल मेहनत की है.
उनकी पार्टी बदली है. पर मिजाज व उत्साह वही है. इनका प्रदर्शन भी उल्लेखनीय हो सकता है. इसके साथ ही अन्य छोटे दलों वाले तथा निर्दलीय प्रत्याशी भी अपने-अपने पॉकेट में वोटों की सेंधमारी करेंगे.
सिल्ली सीट : राजनीति की धाक तय करता रहा है सिल्ली, तेज है सियासी रंजिश
कुल वोटर : 220564
पुरुष : 104271
महिला : 101375
रांची-अनगड़ा
सिल्ली झारखंड विधानसभा चुनाव का हॉट सीट है़ पूर्व उपमुख्यमंत्री व आजसू अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो के चुनावी दंगल में रहने से सबकी नजर इस पर है़
लंबे समय तक सिल्ली में खूंटा गाड़ने वाले श्री महतो को 2014 के चुनाव में झामुमो के टिकट से चुनाव लड़ कर अमित महतो ने शिकस्त देकर सबको चौंकाया था़ इसके बाद यहां सियासी लड़ाई उफान पर रही़ एक मामले में सजा होने के बाद अमित महतो ने अपनी पत्नी सीमा देवी को मैदान में उतारा़ सीमा देवी ने उपचुनाव में श्री महतो को हराया़ 1999 में पहली बार विधायक चुने गये सुदेश लगातार दो चुनाव जीते़ सत्ता सीढ़ी और राजनीति में धाक तय करने वाला यह सीट अब सुदेश के लिए चुनौती बन गया है़
यहां सुदेश और उनके विरोधी दोनों ही बेजोड़ फिल्डिंग सेट करते रहे है़ं सिल्ली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सिल्ली, सोनाहातू, राहे प्रखंड के अलावा अनगड़ा प्रखंड के पांच पंचायत आते है. इस विधानसभा क्षेत्र में दो कोणों में मुकाबला सिमटता दिख रहा है़ भाजपा ने इस सीट से प्रत्याशी नहीं दिया है़ भाजपा की अपनी रणनीति है़ इधर आजसू और झामुमो के लिए अपने-अपने कैडर, समर्थक और वोटर को समेट कर रखना चुनौती है़
यहां राजनीतिक रंजिश तेज है़ दोनों ही दल अपने-अपने वोटरों की ऐसी घेराबंदी कर रहे हैं कि कोई चूक ना रहे़ सुदेश समर्थक अपना हिसाब बराबर करने में दिन-रात जुटे हैं, तो सीमा देवी के लिए झामुमो ने भी दम लगाया है़ सुदेश लगातार अपने क्षेत्र में प्रचार अभियान में लगे है़ं सिल्ली विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है. यहां ग्रामीण वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए शह-मात का खेल चल रहा है़ वहीं सीपीआइएम के प्रत्याशी विश्वदेव सिंह मुंडा, निर्दलीय सुनील कुमार महतो सहित अन्य तीसरा कोण बनने की कोशिश में लगे हैं.
कांके सीट: समरी को विरासत कांग्रेस को बदलाव की उम्मीद
कुल वोटर : 414012
पुरुष : 215330
महिला : 198677
रांची : कांके विधानसभा क्षेत्र में पिछले 30 साल से भाजपा का कब्जा है. 30 साल में 20 साल रामचंद्र बैठा यहां के विधायक रहे. पांच-पांच साल रामचंद्र नायक और डॉ जीतूचरण राम को मौका मिला. इन 30 वर्षों में 25 साल समरी लाल भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ लड़ते रहे. 2014 में समरी लाल भाजपा में आ गये थे.
2014 के चुनाव में एक लाख से अधिक मत लाने वाले डॉ जीतू चरण राम का टिकट काट कर इस बार भाजपा ने समरी लाल को ही प्रत्याशी बना दिया है. कांग्रेस (महागठबंधन) के प्रत्याशी सुरेश बैठा हैं, जो पिछले दो चुनाव से 40 हजार से अधिक मत ला रहे हैं.
दूसरे नंबर पर रह रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में श्री बैठा की पकड़ अच्छी है. 2014 में झारखंड मुक्ति मोरचा से चुनाव लड़ कर तीसरे नंबर पर रहने वाले डॉ अशोक कुमार नाग इस बार जदयू के प्रत्याशी हैं. आजसू ने रामजीत गंझू को एक बार फिर टिकट दिया है. श्री गंझू 2009 में आजसू की टिकट से लड़े थे. उनको 12521 मत मिला था.
35 साल का चुनावी अनुभव है समरी लाल का : समरी लाल का कांके विधानसभा क्षेत्र से 35 साल पुराना चुनाव लड़ने का अनुभव है. पहला चुनाव समरी लाल ने 1985 में लड़ा था. इस कारण कांके विधानसभा क्षेत्र में समरी लाल को पहचान का संकट नहीं है. हिंदू और मुस्लिम सभी वर्गों में उनकी पकड़ है. उनको उम्मीद है कि कई लोग जाति, धर्म और समाज से ऊपर उठ कर भी सहयोग करेंगे. कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा को इस बार पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को टिकट देने के बाद उम्मीदवार बनाया गया है. बैठा वर्ष भर कांके क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं.
युवाओं के बीच इनकी अच्छी पकड़ है. यही कारण है कि हर बार उनका मत बढ़ रहा है. 2009 में श्री बैठा को 40674 मत मिला था तो 2014 में उनको 55808 मत मिला था. भाजपा के कैडर वोटर अगर घरों से नहीं निकले तो कांके विधानसभा क्षेत्र में बाजी पलट भी सकती है. कांके में जहां खलारी-बुड़मू, पिठौरिया जैसे ग्रामीण क्षेत्र हैं, तो कांके रोड, बरियातू और कोकर जैसा शहरी इलाका भी है.
कांके से इस बार 12 प्रत्याशी मैदान में हैं. इसमें लोजपा से शंकर प्रसाद, राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी से आशीष कुमार, लोक जन विकास मोरचा के सुरेंद्र मिर्धा, झाविमो से कमलेश राम, बसपा से अवधेश बैठा, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया से राजन नायक, राष्ट्रीय जयहिंद पार्टी के संतोष कुमार व मारे रेड स्टार से आरती कुमारी नायक भी मैदान में हैं.

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