गढ़वा मंे अकाल की स्थिति

औसत से कम वर्षा होने से मुरझा चुके हैं बिचड़ेसूखे के कारण किसान-मजदूर करने लगे हैं पलायन2जीडब्लूपीएच1-धान के खेत में इस प्रकार पड़ा है दरारप्रतिनिधि,गढ़वागढ़वा जिले में जून की तरह ही जुलाई में भी औसत से काफी कम वर्षा हुई. औसत से काफी कम बारिश होने एवं लगातार कड़ी धूप निकलने के कारण गढ़वा जिले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2014 6:00 PM

औसत से कम वर्षा होने से मुरझा चुके हैं बिचड़ेसूखे के कारण किसान-मजदूर करने लगे हैं पलायन2जीडब्लूपीएच1-धान के खेत में इस प्रकार पड़ा है दरारप्रतिनिधि,गढ़वागढ़वा जिले में जून की तरह ही जुलाई में भी औसत से काफी कम वर्षा हुई. औसत से काफी कम बारिश होने एवं लगातार कड़ी धूप निकलने के कारण गढ़वा जिले में अकाल की स्थिति बन गयी है. विदित हो कि जिले में जून महीने में औसत से काफी कम वर्षा हुई थी. इसके कारण धान के बिचड़े की बोआई मुश्किल से 20 प्रतिशत हो पायी थी. जबकि मकई का आच्छादन 40 प्रतिशत, तेलहन 30 प्रतिशत तथा दलहन 35 प्रतिशत तक हुआ था. जून में निराश होने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि जुलाई महीने में मॉनसून में सुधार होगा और खेती शुरू करने लायक पर्याप्त वर्षा होगी. लेकिन जुलाई महीना किसानों को और निराश कर दिया. एक-दो हल्की बारिश को छोड़ कर लगातार कड़ी धूप रही. इससे खेतों में भदई एवं धान के बिचड़े लगाने की बात तो दूर, लगाये गये बिचड़े भी मुरझा गये. पिछले 24 जुलाई को गढ़वा कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किसानों को आश्वस्त किया था कि 31 जुलाई तक वर्षा नहीं होने के बाद सरकार इसके लिए पूरी तरह पहल करेगी. लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाने से किसान पूरी तरह निराश एवं हतोत्साहित दिख रहे हैं. प्रगतिशील किसान मोती महतो ने कहा है कि जुलाई बीतने के बाद अगस्त में होनेवाली इस बारिश से किसानों को कोई लाभ नहीं होनेवाला है. उन्होंने कहा कि समय पर बारिश नहीं होने के कारण 80 प्रतिशत धान के बिचड़े नहीं लगाये गये. अब यदि बारिश होती भी है, तो बिचड़ा तैयार कर धान की रोपाई संभव नहीं है. वैसे अभी तक जो बारिश हुई है, वह सूखी धरती के लिये काफी कम है. गढ़वा जिले के सभी आहर, तालाब सूखे पड़े हुए हैं. इसके कारण धान की रोपनी संभव नहीं है. इसी तरह मकई, दलहन एवं तेलहन की स्थिति भी पहले ही बिगड़ चुकी है. उन्होंने सरकार से किसानों की सहायता के लिए अविलंब वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की. इसमें किसानों को अगली फसल के लिए बीज-खाद देने, बकाये फसल बीमा की राशि का भुगतान करने एवं केसीसी ऋण की वसूली रोकने की मांग की.

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