रांची : 80 बच्चे निमोनिया से पीड़ित, शहर के अस्पतालों में बेड फुल

रांची : ठंड बढ़ते ही बच्चे निमोनिया की चपेट में आने लगे हैं. वर्तमान में राजधानी के शिशु अस्पताल निमोनिया पीड़ित बच्चों से पटे पड़े हैं. अधिकांश शिशु अस्पताल के बेड फुल हो गये हैं. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के शिशु विभाग का बेड भी फुल हो गया है. अतिरिक्त बेड लगाकर बच्चों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2019 9:32 AM
रांची : ठंड बढ़ते ही बच्चे निमोनिया की चपेट में आने लगे हैं. वर्तमान में राजधानी के शिशु अस्पताल निमोनिया पीड़ित बच्चों से पटे पड़े हैं. अधिकांश शिशु अस्पताल के बेड फुल हो गये हैं. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के शिशु विभाग का बेड भी फुल हो गया है.
अतिरिक्त बेड लगाकर बच्चों का इलाज किया जा रहा है. कुछ वार्ड में तो फर्श पर बेड लगाकर इलाज किया जा रहा है. अस्पतालों से मिले आंकड़े के अनुसार, राजधानी के शिशु अस्पतालों में 80 से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं. कुछ बच्चों की स्थिति गंभीर भी है. निजी अस्पताल रानी चिल्ड्रेन, रानी अस्पताल, बालपन हॉस्पिटल, सेवा सदन, हिल व्यू व गुरुनानक अस्पताल में सबसे ज्यादा बच्चे भर्ती हैं.
सदर अस्पताल के शिशु वार्ड में भी सभी छह बेड पीड़ित बच्चों से फुल हैं. यहां से बच्चों को रिम्स रेफर किया जा रहा है. सदर अस्पताल में नियोनेटल विंग नहीं होने के कारण बच्चों को रिम्स के एसएनसीयू में भेजा गया है.
इन दिनों रिम्स के ओपीडी में मौसमी बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या पहले से 30 फीसदी बढ़ गयी है. प्रतिदिन 30 से 35 बच्चों को मौसमी बीमारी (सर्दी-खांसी व बुखार) का परामर्श दिया जा रहा है. वहीं रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ शैलेश चंद्रा ने बताया कि इस मौसम में बच्चों के निमोनिया से पीड़ित होने की संभावना अधिक रहती है. अस्पताल में 20 से ज्यादा बच्चों का इलाज चल रहा है. कई अभिभावक बच्चों को सीधे स्कूल से लेकर इलाज कराने पहुंच रहे हैं.
सर्दी व खांसी जैसी मौसमी बीमारी के बाद निमाेनिया से पीड़ित हो रहे हैं बच्चे
शिशु अस्पतालों की स्थिति
अस्पताल भर्ती बच्चे
रिम्स 20
रानी अस्पताल 20-25
रानी चिल्ड्रेन 10-15
बालपन अस्पताल 08
सदर अस्पताल 04
सेवा सदन 08
हिल व्यू 06
बच्चों की सबसे ज्यादा मौत निमाेनिया से होती है. देश में हर साल करीब 35 लाख बच्चे निमोनिया के शिकार होते हैं. इनसे से तीन लाख की मौत हो जाती है. बच्चे पहले अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक इंफेक्शन से पीड़ित होते हैं. समय पर इलाज नहीं होने के कारण वे लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं, जिसे निमोनिया कहा जाता है.
डॉ राजेश कुमार, शिशु चिकित्सक, बालपन हॉस्पिटल

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