Garbage dump: रांची के झिरी में कचरे का अंबार, साफ करने में खर्च होंगे इतने करोड़
Garbage dump: रांची शहर से 15 किमी दूर झिरी में डंप किये गये कचरे का निष्पादन किसी निजी कंपनी को सौंपा जायेगा. चयनित कंपनी इस कचरे का निष्पादन बायोरेमेडियेशन/बायो माइनिंग तरीके से करेगी. इसमें 136 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
Ranchi News: रांची शहर से 15 किमी दूर झिरी में डंप किये गये कचरे का निष्पादन किसी निजी कंपनी को सौंपा जायेगा. चयनित कंपनी इस कचरे का निष्पादन बायोरेमेडियेशन/बायो माइनिंग तरीके से करेगी. इसमें 136 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. उपनगर आयुक्त रजनीश कुमार ने बताया कि कचरे के निष्पादन को लेकर जुडको की ओर से डीपीआर तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. रांची नगर निगम बहुत जल्द कंपनी के चयन के लिए टेंडर निकालेगा.
उपनगर आयुक्त ने बताया कि चयनित कंपनी कचरे के निष्पादन के लिए झिरी में ही प्लांट लगायेगी. उन्होंने बताया कि बायोरेमेडियेशन/बायो माइनिंग तकनीक से कचरे के पहाड़ का 80 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह से खत्म होगा. मात्र 20 प्रतिशत अवशेष बचेगा. बचे हुए अवशेष से खाली जगहों की लैंडफील के लिए इस्तेमाल किया जायेगा.
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10 साल से हो रहा कचरा निष्पादन का दावा
झिरी में खड़े कचरे के पहाड़ के डिस्पोजल के दावे पिछले 10 साल से किये जा रहे हैं. सबसे पहले वर्ष 2010-11 में आयी एटूजेड कंपनी ने इस कचरे का डिस्पोजल कर टाइल्स बनाने की बात कही थी. कंपनी ने दो साल तक यहां काम किया. उसके बाद टर्मिनेट कर दी गयी. इसके बाद 2014-15 में एसेल इंफ्रा ने काम लिया. कंपनी ने इस कचरे से बिजली बनाने की बात कही. डेढ़ साल में कंपनी भी यहां से काम छोड़कर चली गयी. इसके बाद सीडीसी कंपनी आयी. यह कंपनी भी डेढ़ साल में चलता कर दी गयी.
कचरा गाड़ी से डीजल निकालते वीडियो वायरल
शहर के गली-मुहल्लों से कचरा उठाने के लिए रांची नगर निगम की ओर से 125 टाटा एस वाहन दिये गये हैं. इन वाहनों से चालक व खलासी की ओर से डीजल चोरी का मामला सामने आया है. बुधवार को किशोरगंज के समीप ज्याेति विहार अपार्टमेंट के सामने वाहन खड़ा कर ड्राइवर व खलासी तेल निकालते देखे गये. इसका वीडियो बनाकर स्थानीय लोगों ने वायरल कर दिया. निगम के उपनगर आयुक्त रजनीश कुमार ने कहा कि मामले की जांच करायी जा रही है. घटना में जो भी कर्मी शामिल होंगे, उन पर कार्रवाई होगी. ज्ञात हो कि कचरा वाहनों से हो रहे तेल के इस खेल में वार्ड के सुपरवाइजर व जोनल सुपरवाइजर की प्रमुख भूमिका रहती है. वाहनों को इनकी ओर से ही तेल आवंटित किये जाते हैं. निगम के ड्राइवरों की मानें तो सुपरवाइजर व जोनल सुपरवाइजर किसी वाहन को तेल का आवंटन तभी करते हैं, जब उन्हें प्रतिदिन प्रति वाहन से 50 रुपये दिये जाते हैं.