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झारखंड विधानसभा चुनाव : कम वोटिंग को लेकर सिविल सोसाइटी से जुड़े लोग बोले- वजह समाजिक व राजनीतिक
रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 दिसंबर को रांची विधानसभा में 50 फीसदी वोट भी नहीं पड़े. दूसरे शहरी इलाकों में भी वोटिंग प्रतिशत कम रह रहा है. चुनावी राजनीति व लोकतंत्र के प्रति संवेदनशील लोग इसे चिंताजनक स्थिति मान रहे हैं. आखिर क्या वजह रही कि रांची के लोगों ने […]
रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 दिसंबर को रांची विधानसभा में 50 फीसदी वोट भी नहीं पड़े. दूसरे शहरी इलाकों में भी वोटिंग प्रतिशत कम रह रहा है. चुनावी राजनीति व लोकतंत्र के प्रति संवेदनशील लोग इसे चिंताजनक स्थिति मान रहे हैं. आखिर क्या वजह रही कि रांची के लोगों ने अपने प्रत्याशियों के साथ ऐसी बेरुखी दिखायी. यह भी कि यह कोई पहली बार नहीं है
पूर्व के कुछ चुनावों में भी माजरा यही था. कम वोटिंग के कारणों का पता लगाने के लिए शहर के बुद्धिजीवियों, समाज शास्त्री, शिक्षकों व सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों से जब बात की गयी, तो कम वोटिंग की इस एक समस्या के अनेक कारण गिनाये गये. प्रतिक्रिया देनेवालों ने यह भी कहा कि इसमें चुनाव आयोग या प्रशासन को दोषी नहीं माना जा सकता. दरअसल, यह पूरे समाज के साथ-साथ राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय है. चुनावी राजनीति से मुंह फेर कर बेहतर लोकतंत्र की कामना नहीं की जा सकती.
कम मतदान के संभावित कारण
हर सुविधा से परिपूर्ण पॉश इलाके को लोगों को मतदान से फर्क नहीं पड़ता
लोकसभा चुनाव में 60 हजार घोस्ट वोटर होने की बात थी, क्या उन्हें हटाया गया, यह देखना होगा
उम्मीदवारों को लेकर जनता में कोई खास आकर्षण नहीं, विपक्ष में धारदार प्रत्याशी होता, तो वोटिंग बढ़ सकती थी
जीएसटी से व्यापारियों में नाराजगी, पढ़े-लिखे लोगों की सुस्ती
निर्दलीय सहित हर पार्टी की सरकार देख लेने से मन में निराशा
नोटा अोपिनियन है, यह रिजल्ट नहीं देता, यह भी बूथ नहीं जाने का कारण
शहर में शिक्षा, स्वास्थ्य, कैरियर व पेशे से जुड़ी परेशानी कम नहीं हो रही
कम मतदान के संभावित कारण
पढ़े-लिखे लोग बातें करते हैं, इनमें पॉलिटिकल कमिटमेंट नहीं होता
शहरी परिवारों में माइग्रेशन या प्रवास कम वोट की वजह, इसमें चुनाव आयोग व प्रशासन की गलती नहीं
लोगों में असमंजस की स्थिति, नेतृत्व के प्रति अविश्वास तथा क्या फर्क पड़ेगा से आयी उदासीनता
नेताअों के पाला बदलने, चेहरा व चरित्र नहीं बदलने से आयी उदासीनता
चुनावी राजनीति में वादाखिलाफी व कम आउटपुट से भी लोग खफा हैं
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