रांची : रिम्स के डॉक्टरों ने रोटाएबुलेशन तकनीक से दिल की आर्टरी में जमा कैल्शियम हटाया, लगाया स्टेंट
रांची : पलामू की रहनेवाली असिबा बीबी (60) को रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने नयी जिंदगी दी है. असिबा के दिल की आर्टरी में 90 फीसदी ब्लॉकेज के अलावा कैल्शियम जमा हो गया था. इससे सांस लेने मेें परेशानी व सीने में दर्द की शिकायत थी. रिम्स के कार्डियोलाॅजिस्ट डॉ प्रशांत कुमार व […]
रांची : पलामू की रहनेवाली असिबा बीबी (60) को रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने नयी जिंदगी दी है. असिबा के दिल की आर्टरी में 90 फीसदी ब्लॉकेज के अलावा कैल्शियम जमा हो गया था. इससे सांस लेने मेें परेशानी व सीने में दर्द की शिकायत थी. रिम्स के कार्डियोलाॅजिस्ट डॉ प्रशांत कुमार व अन्य डॉक्टरों की देखरेख में रोटाएबुलेशन तकनीक का इस्तेमाल कर आर्टरी में जमा कैल्शियम को तोड़ा गया. इसके बाद स्टेंट लगाया गया. एंजियोप्लास्टी के बाद महिला पूरी तरह स्वस्थ है.
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत कुमार ने बताया कि महिला के आर्टरी में जमा कैल्शियम को तोड़ना कठिन था, क्योंकि बिना कैल्शियम को हटाये स्टेंट नहीं लगाया जा सकता था. ज्यादा प्रयास करने पर आर्टरी फटने की संभावना थी. ऐसे में रोटाएबुलेशन तकनीक का उपयोग कर स्टेंट का फैसला लिया गया. रोटाएबुलेशन मशीन कैल्शियम को बारीक टुकड़ा में तोड़ता है.
आर्टरी में जैसे-जैसे रास्ता बनता है, बैलूनिंग के माध्यम से स्टेंट को आर्टरी में फिट कर दिया जाता है. झारखंड में पहली बार इस तकनीक का उपयोग कर एंजियोप्लास्टी की गयी है. महिला आयुष्मान भारत योजना के तहत रिम्स में भर्ती हुई थी, इसलिए उसका इलाज बिल्कुल मुफ्त में किया गया. निजी अस्पताल में इस इलाज में 2.50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च आता है. महानगर के बड़े अस्पतालों में ही ऐसे मरीज की एंजियोप्लास्टी की सुविधा है.
रिम्स के कार्डियाेलॉजी विभाग का दावा : राज्य में पहली बार इस तकनीक से की गयी एंजियोप्लास्टी
सुपर स्पेशियलिटी विंग के डॉक्टरों द्वारा लगातार बेहतर कार्य किया जा रहा है, इससे रिम्स की छवि बेहतर हो रही है. हमारा प्रयास है कि राज्य के मरीजों को गंभीर बीमारी के इलाज के लिए महानगर नहीं जाना पड़े.
डॉ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक, रिम्स