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बीटेक छात्रा से दुष्कर्म और हत्या मामला : राहुल दोषी करार, सजा के बिंदु पर फैसला आज

रांची : इंजीनियरिंग की छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में शुक्रवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने आरोपी राहुल कुमार को दोषी करार दिया. अदालत ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्र की अदालत में निर्धारित […]

रांची : इंजीनियरिंग की छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में शुक्रवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने आरोपी राहुल कुमार को दोषी करार दिया. अदालत ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है.
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्र की अदालत में निर्धारित समय पर न्यायिक कार्रवाई शुरू हुई. पुलिस हिरासत में अभियुक्त राहुल कुमार उर्फ राहुल राज को कोर्ट में पेश किया गया. इसके बाद उसे कटघरे में खड़ा कर रखा गया.
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्र 11 बजे अपने कमरे में पहुंचे. उन्होंने अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बाद अपना फैसला सुनाया. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा : इंजीनियरिंग की छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सीबीआइ द्वारा दायर आरोप पत्र, दस्तावेज, गवाहों और दोनों पक्षों की ओर से पेश की गयी दलीलों के आधार पर राहुल कुमार उर्फ राहुल राज को दोषी करार दिया जाता है. उसे घर में घुस कर दुष्कर्म करने, हत्या करने और सबूत मिटाने के लिए आइपीसी की धारा 302, 376, 449 और 201 के तहत दोषी पाया गया.
यह है घटना : 15-16 दिसंबर (2016) की रात रामटहल चौधरी इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी थी. 16 दिसंबर को छात्रा के पिता ने सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पुलिस और सीआइडी ने मामले की जांच की लेकिन वह किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सके. इसके बाद राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा कर दी. केंद्र सरकार ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया. सीबीआइ ने 28 मार्च 2018 को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद अनुसंधान की जिम्मेदारी परवेज आलम को दी.
सीबीआइ ने अपराधी राहुल राज का पता लगाया. इसके बाद फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर उसके द्वारा दुष्कर्म और हत्या की घटना को अंजाम देने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया. सीबीआइ के वरीय लोक अभियोजक राकेश कुमार ने अदालत में पक्ष रखा. स्पीडी ट्रायल के दौरान सीबीआइ की ओर से सिर्फ 16 दिनों में 30 गवाहों का बयान दर्ज कराया. हत्या और दुष्कर्म के इस मामले में अभियुक्त की ओर से कोई गवाह नहीं पेश किया गया.
कांड एक नजर में
16 दिसंबर 2016 : सदर थाने में प्राथमिकी(534/16) दर्ज
31-1-2017 : राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा की
15 जनवरी 2018 : केंद्र सरकार ने सीबीआइ जांच का आदेश जारी किया
28 मार्च 2018 : सीबीआइ ने केस नंबर आरसी 6(एस)/2018 दर्ज किया
– सीबीआइ अधिकारी परवेज आलम ने जांच की
– सीबीआइ के वरीय लोक अभियोजक राकेश कुमार ने कोर्ट में पक्ष रखा
22 जून 2019 : अभियुक्त गिरफ्तार
13 सितंबर 2019 : सीबीआइ ने आरोप पत्र दायर किया
25 अक्तूबर : आरोप गठन हुआ
– सीबीआइ के गवाहों की संख्या-30
– बचाव पक्ष की ओर से कोई गवाह नहीं
8-11 से 5 दिसंबर तक सीबीआइ के गवाहों का बयान दर्ज हुआ
09 दिसंबर 2019 : बचाव पक्ष का बयान दर्ज हुआ
13 िदसंबर 2019 : अभियोजन पक्ष का अंतिम बहस
18 िदसंबर 2019 : बचाव पक्ष का अंतिम बहस

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