मिथिलेश झा
रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में सबसे ज्यादा वोट लाकर भी सत्ता से हाथ धो बैठी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा). कांग्रेस को हुआ सबसे ज्यादा फायदा. वोट भी बढ़ा और सीटें भी बढ़ीं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का वोट प्रतिशत तो कम हुआ, लेकिन उसकी सीटों में इजाफा हुआ है. पिछले तीन चुनावों में लगातार झामुमो का वोट शेयर बढ़ा था, लेकिन इस बार उसका मत प्रतिशत 31 फीसदी से घटकर 18.70 फीसदी रह गया. कांग्रेस 11 फीसदी से बढ़कर 13.77 फीसदी पर पहुंच गयी. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल, जिसे 2014 के चुनावों में 3.00 फीसदी मत मिला था, इस बार 2.89 फीसदी पर सिमटकर रह गयी.
दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव में मिले कुल 31 फीसदी की तुलना में इस बार ज्यादा रहा. पार्टी को इस बार 33.7 फीसदी वोट मिले, लेकिन उसकी सीटों की संख्या 33 से घटकर 30 पर आ गयी. दूसरी तरफ, झामुमो की सीटें 17 से बढ़कर 24, कांग्रेस की 6 से 14 और राजद की 0 से 3 हो गयी.
झारखंड की सभी 81 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने वाली बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक (झाविमो-पी) के वोट शेयर के साथ-साथ सीटों में भी गिरावट आयी है. वर्ष 2014 के चुनाव में उनकी पार्टी को 10 फीसदी वोट मिले थे और उनके 8 विधायक चुने गये थे. इस बार उन्हें सिर्फ 5.23 फीसदी वोट मिले और उनके मात्र 3 प्रत्याशी जीतते हुए दिख रहे हैं. सुदेश महतो की पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी पहली बार भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ी और उनके वोट प्रतिशत में 100 फीसदी का इजाफा हुआ. इस बार पार्टी को 8.40 फीसदी वोट मिले. लेकिन, उनकी सीटों की संख्या घट गयी. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने वाली आजसू पार्टी को इस बार सिर्फ 3 सीटें जीतती दिख रही है.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 तक झारखंड के विधानसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रदर्शन में लगातार सुधार हुआ, तो झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की स्थिति चुनाव दर चुनाव खराब होती गयी. वहीं, दो राष्ट्रीय पार्टियों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को चुनावों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा. भाजपा ने दो चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया, तो कांग्रेस सिर्फ एक चुनाव में दहाई का आंकड़ा पार कर पायी.
प्रदेश में इसके पहले जो तीन बार विधानसभा चुनाव (2005, 2009 और 2014 में) हुए, उनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को वर्ष 2005 में 17, वर्ष 2009 में 18 और वर्ष 2014 में 19 सीटों पर जीत मिली. वहीं, वर्ष 2006 में पार्टी के गठन के बाद झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक (JVM-P) ने पहली बार वर्ष 2009 में चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उसे 11 सीटें मिलीं, तो 2014 में उसकी सीटें घटकर 8 रह गयीं.
इसी तरह लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 7 से शून्य पर आ गया था. वर्ष 2005 में राजद ने 7 सीटें जीती थीं. 2009 में उसने 5 सीटें जीतीं जबकि 2014 में 0 पर आ गया. वहीं, कांग्रेस ने वर्ष 2005 में 9 सीटें जीती, जबकि 2009 में उसके 14 प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे. वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. उसके सिर्फ 6 उम्मीदवार ही चुनाव जीत सके. वहीं, भाजपा ने वर्ष 2014 में सबसे ज्यादा 35 सीटें जीतीं. 2005 में भाजपा 30 और वर्ष 2009 में सिर्फ 18 सीटें जीत पायी थी.
भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू के प्रदर्शन में भी सुधार देखा गया. वर्ष 2005 के चुनाव में उसने सिर्फ 2 सीटें जीती थीं, जबकि वर्ष 2009 और 2014 के चुनावों में 5-5 सीटें जीतीं. दूसरी तरफ, अन्य दलों की स्थिति भी धीरे-धीरे खराब होती गयी. इन दलों का सबसे बढ़िया प्रदर्शन वर्ष 2005 में रहा था. तब सबने मिलकर 16 सीटें जीती थी. वर्ष 2009 में ये लोग 10 पर सिमट गये और 2014 में 6 सीटों पर रह गयी.
मत प्रतिशत के मामले में भी झामुमो का प्रदर्शन लगातार सुधरा. 2005 में उसे 14.29 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2009 में 15.2 और 2014 में 20.43 फीसदी मत मिले. कांग्रेस को 2005 में 12.05 फीसदी मत मिले थे, जबकि 2009 में अब तक का सबसे ज्यादा 16.16 फीसदी मत उसे हासिल हुआ. वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 10.46 फीसदी मत मिले, जो झाविमो के मत प्रतिशत से थोड़ा सा ज्यादा है.
अन्य दलों के मत प्रतिशत में भी लगातार गिरावट दर्ज की गयी. वर्ष 2005 में इन दलों को 38.8 फीसदी मत मिले थे, जबकि वर्ष 2009 और 2014 में इनका मत प्रतिशत घटकर क्रमश: 29.32 और 21.05 फीसदी रह गया. वहीं, भाजपा ने वर्ष 2005 में 23.57 फीसदी मत प्रतिशत हासिल किये थे, जो वर्ष 2009 में 20.18 फीसदी रह गया. लेकिन, वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया और 31.26 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.