आदिवासियों से ही भारत की पहचान : प्रणय दत्त

कार्यक्रम : नामकुम के हहाप में मुंडा सम्मेलन का आयोजनसभ्यता व संस्कृति बचाने का संकल्पसम्मानित किये गये पाहन व महिलाएंनामकुम. भारत की पहचान यहां रहनेवाले आदिवासियों से है. आज भी भारत में कई ऐसा आदिवासी परिवार है, जो अपने घरों में ताला नहीं लगाता. भारत की इस पहचान को चीनी यात्री ह्युन सांग ने अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 6, 2014 8:00 PM

कार्यक्रम : नामकुम के हहाप में मुंडा सम्मेलन का आयोजनसभ्यता व संस्कृति बचाने का संकल्पसम्मानित किये गये पाहन व महिलाएंनामकुम. भारत की पहचान यहां रहनेवाले आदिवासियों से है. आज भी भारत में कई ऐसा आदिवासी परिवार है, जो अपने घरों में ताला नहीं लगाता. भारत की इस पहचान को चीनी यात्री ह्युन सांग ने अपनी यात्रा वृतांत में लिखा था. शहरों व कस्बों में रहने के कारण हमारी सभ्यता व संस्कृति में विकृति आयी है, पर आदिवासी समाज आज भी अपने संस्कारों को संभालने में सक्षम है. ये बातें वनवासी कल्याण केंद्र के प्रणय दत्त ने कही. वे बुधवार को नामकुम प्रखंड के हहाप पंचायत में आयोजित मुंडा सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वनवासी हिंदू समाज के अभिन्न अंग हैं़ भारत मंे जितने भी वनवासियों का धर्म परिवर्तन हुआ है, वह प्रलोभन नहीं, बल्कि मजबूरी के कारण हुआ है़ सम्मेलन में आदिवासियों के कल्याण से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता जेठा नाग ने आदिवासी समुदाय से अपनी सभ्यता व संस्कृति को बचाये रखने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि वही व्यक्ति एक मंुडा या उरांव है, जो इनके रीति रिवाजों का पालन करता है. उन्होंने धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर आदिवासी समाज से एकजुट होकर इसका विरोध करने को कहा.सम्मेलन के दौरान शादी विवाह पर कम खर्च, लड़कियों की शिक्षा, पलायन रोकने, नशापान छोड़ने व सरना स्थलों पर सामूहिक विवाह आयोजित करने आदि विषयों पर लोगों ने प्रकाश डाला. मौके पर रामकुमार पाहन, बिरसा पाहन, विजय मुंडा, रमेश मुंडा, सुषमा देवी, नूतन पाहन, पूनम सिंह पूर्ति, रीझू कच्छप, देवकी मुंडा, तुलसी महतो, शंकर मुंडा व मंदोई देवी सहित अन्य उपस्थित थे. सम्मेलन के अंत में उपस्थित पाहनों तथा महिलाओं को सम्मानित किया गया़

Next Article

Exit mobile version