दिसंबर 2018 से दिसंबर 2019 तक भाजपा ने गंवाया पांच राज्य

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद यह कहा जाने लगा है कि भाजपा का प्रभाव देश से घटता जा रहा है यही कारण है कि पार्टी कई राज्यों की सत्ता गंवा चुकी है. झारखंड चुनाव में जिस तरह दिग्गजों की हार हुई, यहां तक की मुख्यमंत्री भी चुनाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2019 5:08 PM

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद यह कहा जाने लगा है कि भाजपा का प्रभाव देश से घटता जा रहा है यही कारण है कि पार्टी कई राज्यों की सत्ता गंवा चुकी है. झारखंड चुनाव में जिस तरह दिग्गजों की हार हुई, यहां तक की मुख्यमंत्री भी चुनाव हार गये, इस तर्क में लोगों को काफी दम दिख रहा है.

दिसंबर 2018 से दिसंबर 2019 तक में पांच राज्य गंवाया

पिछले साल दिसंबर महीने में पांच राज्यों में से तीन में भाजपा को सत्ता की चाबी कांग्रेस को सौंपनी पड़ी. वे राज्य थे छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश. इन राज्यों में पहले भाजपा का शासन था. इन राज्यों में सत्ता तक पहुंचने के बाद जैसे कांग्रेस को संजीवनी बूटी मिल गयी और वह एक बार फिर जीवित हो उठी. महाराष्ट्र में भी शिवसेना ने भाजपा के साथ बगावत कर दी और कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. परिणाम यह हुआ कि महाराष्ट्र भी भाजपा की हाथों से निकल गया और एक पुराना साथी भी छूट गया.

झारखंड में रहा है खासा प्रभाव

अब झारखंड भी भाजपा के हाथ से खिसक गया है. झारखंड का गठन 2000 में हुआ है. वर्ष 2000 से अबतक यहां भाजपा का अच्छा खासा प्रभाव रहा है. झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भाजपा के ही थे. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के 11 सांसद यहां से चुने गये हैं. कहने का आशय यह है कि झारखंड में भाजपा की अच्छी-खासी पैठ रही है. बावजूद इसके भाजपा विधानसभा चुनाव हार गयी. इसके कारणों पर अभी विश्लेषण जारी है और राजनीति के तमाम जानकार और खुद पार्टी भी इसपर मंथन करेगी.

जनभावनाओं की अनदेखी का आरोप

यह भी कहा जा रहा है कि स्थानीय मुद्दों को दरकिनार करने और जनभावनाओं की अनदेखी के कारण झारखंड की जनता नाराज थी, जिसके कारण यह चुनाव परिणाम आया है. अब शिवसेना भी भाजपा पर तंज कसते हुए यह कह रही है कि देश कांग्रेसमुक्त नहीं बल्कि भाजपा मुक्त हो रहा है, क्योंकि 2018 में भाजपा देश के 75 प्रतिशत राज्यों में उनका शासन था, जबकि अब केवल 30-35 प्रतिशत राज्यों में रह गया है.

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