फंड अनुपयोगी रहने पर सचिव हुए हैरान
विज्ञान व प्रावैधिकी विभागपॉलिटेक्निक के जरिये सामुदायिक विकासवरीय संवाददाता रांचीविज्ञान व प्रावैधिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव एके पांडेय यह जान कर हैरान रह गये कि उनके विभाग में वर्ष भर से डेढ़ करोड़ रु बेकार पड़ा है. यह पैसा पॉलिटेक्निक संस्थानों के जरिये सामुदायिक विकास का है. इस राशि से कौशल विकास व कोई […]
विज्ञान व प्रावैधिकी विभागपॉलिटेक्निक के जरिये सामुदायिक विकासवरीय संवाददाता रांचीविज्ञान व प्रावैधिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव एके पांडेय यह जान कर हैरान रह गये कि उनके विभाग में वर्ष भर से डेढ़ करोड़ रु बेकार पड़ा है. यह पैसा पॉलिटेक्निक संस्थानों के जरिये सामुदायिक विकास का है. इस राशि से कौशल विकास व कोई पेशा संबंधी प्रशिक्षण का काम किया जाता है. प्रभात खबर ने पहले भी इस कार्यक्रम के ठप रहने संबंधी खबर दी थी. केंद्र प्रायोजित इस कार्यक्रम के तहत विभाग को मई-2013 में ही डेढ़ करोड़ रु मिले थे. पर यह पैसे विभिन्न पॉलिटेक्निक संस्थानों को उपलब्ध नहीं कराये गये. यह खुलासा विभागीय समीक्षा के दौरान हुआ. इसमें भाग लेने के लिए कार्यक्रम के तकनीकी सहयोगी संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च, कोलकाता के प्रतिनिधि यूसी कुमार भी रांची आये थे. श्री कुमार इस कार्यक्रम के समन्वयक हैं. स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, नामकुम के में आयोजित इस बैठक में उन 12 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों के प्राचार्य भी उपस्थित थे, जिनके जरिये सामुदायिक विकास का कार्यक्रम चल रहा है. श्री कुमार ने कार्यक्रम की प्रगति व खर्च के ब्योरे पर बात की, तब अपर मुख्य सचिव को पता चला कि कार्यक्रम का फंड विभिन्न पॉलिटेक्निक को गया ही नहीं है. कनीय अधिकारियों ने यह कह कर मामला सुलझाया कि पॉलिटेक्निक संस्थानों से पिछले खर्च का ब्योरा नहीं मिलने से फंड जारी नहीं किया गया है. इस पर श्री कुमार व अपर मुख्य सचिव ने तत्काल कार्रवाई करने को कहा. विभागीय सूत्रों के अनुसार यह तय हुआ कि विभिन्न पॉलिटेक्निक संस्थानों को राशि उपलब्ध करायी जायेगी. अपर मुख्य सचिव ने यह सुझाव भी दिया कि इस राशि से ग्रामीण समाज में जागरूकता लाने का भी काम हो. उन्होंने महिलाओं के बीच धुआं रहित चूल्हे प्रचार-प्रसार की भी सलाह दी.