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लोस चुनाव बाद गिरी केंद्र सरकार की लोकप्रियता

इस सर्वेक्षण ने उत्तरदाताओं में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से भी पिछले छह माह में खासा मोहभंग प्रदर्शित किया, जिसकी भाजपा की इस हार में अपनी भूमिका लगती है. मोदी सरकार से असंतुष्टों का प्रतिशत 47 तक पहुंच गया. यह संख्या उतनी ही थी, जितनी मोदी सरकार से संतुष्टों की संख्या थी, जो उससे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2019 6:40 AM
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इस सर्वेक्षण ने उत्तरदाताओं में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से भी पिछले छह माह में खासा मोहभंग प्रदर्शित किया, जिसकी भाजपा की इस हार में अपनी भूमिका लगती है. मोदी सरकार से असंतुष्टों का प्रतिशत 47 तक पहुंच गया. यह संख्या उतनी ही थी, जितनी मोदी सरकार से संतुष्टों की संख्या थी, जो उससे विशुद्ध (नेट) संतुष्टों (संतुष्टि घटाव असंतुष्टि) की संख्या शून्य पर ले जाती है.

यह दो वजह से अहम है: पहला, 2014 में जब मई में संपन्न लोकसभा चुनावों के सात माह बाद झारखंड ने विधानसभा चुनावों में मतदान किया था, तो मोदी सरकार के प्रति विशुद्ध संतुष्टि स्तर अब से कहीं अधिक यानी 64 प्रतिशत बिंदु (80 प्रतिशत संतुष्ट और केवल 16 प्रतिशत असंतुष्ट) ऊंचा था. दूसरा, इस वर्ष मई के मुकाबले, मोदी सरकार की रेटिंग काफी नीचे आयी प्रतीत होती है, क्योंकि उस वक्त संचालित लोकनीति सर्वेक्षण के दौरान झारखंड में मोदी सरकार से संतुष्टि का प्रतिशत 76 था. सिर्फ सात महीनों के अंदर ही, इसमें 30 प्रतिशत बिंदु की कमी आ गयी.

यह भी तब हुआ है, जब भाजपा ने धारा 370, अयोध्या एवं नागरिकता संशोधन अधिनियम के द्वारा अपने हिंदुत्व एजेंडे को आगे बढ़ाया है. सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि प्रत्येक तीन में एक (36 प्रतिशत) मतदाता केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों ही से असंतुष्ट था. ऐसे मतदाताओं में भाजपा का मत-हिस्सा केवल 10 प्रतिशत रहा, जबकि महागठबंधन के मत-हिस्से ने 51 प्रतिशत की ऊंचाई का स्पर्श किया.

जो एक और तथ्य अहम था, वह यह कि मोदी सरकार तथा रघुवर सरकार दोनों के प्रदर्शनों को मतदाताओं द्वारा भाजपा के विधायकों के प्रदर्शनों से अधिक नकारात्मक करार दिया गया.

सर्वेक्षण द्वारा आच्छादित सीटों में भाजपा विधायकों से कुल असंतुष्टि 43 प्रतिशत थी, जो रघुवर सरकार के प्रति असंतुष्टि से 12 बिंदु नीचे और मोदी सरकार से असंतुष्टि की अपेक्षा 4 बिंदु कम थी. इस तरह, झारखंड में भाजपा की हार पूरी तरह सिर्फ राज्य सरकार के बुरे प्रदर्शन की वजह से ही नहीं हुई, बल्कि कुछ हद तक भाजपा/मोदी के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किये गये प्रदर्शन से भी हुई है. जहां नतीजे तय करने में स्थानीय कारकों ने अधिक अहम भूमिका निभाई, वहीं मोदी सरकार को भी अपने हिस्से का दोष स्वीकार करना ही चाहिए. नहीं तो उसे दूसरे राज्यों में भी हार का सामना करना पड़ सकता है.

केंद्र सरकार से घटती गयी संतुष्टि

2019 2019 2014

विधान सभा लोक सभा विधान सभा

मोदी सरकार से पूर्ण संतुष्ट 15 24 31

कुछ हद तक संतुष्ट 32 52 49

कुछ हद तक असंतुष्ट 32 15 10

मोदी सरकार से पूर्ण असंतुष्ट 15 8 6

कोई उत्तर नहीं 5 1 4

आंकड़े प्रतिशत में

विधायकों से संतुष्टि अपेक्षाकृत ठीक

संतुष्टि असंतुष्टि

पूर्ण कुछ कुछ पूर्ण

हद तक हद तक

कांग्रेस विधायकों से संतुष्टि 13 56 216

जेएमएम विधायकों से संतुष्टि 15 39 3011

भाजपा विधायकों से संतुष्टि 10 46 2716

आजसू विधायकों से संतुष्टि 9 57 2114

जेवीएम विधायकों से संतुष्टि 12 30 1838

आंकड़े प्रतिशत में

छा गया प्रश्न: केंद्र की भाजपा/एनडीए सरकार के प्रदर्शन से

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