अलार्मिंग सिचुएशन : रिसर्च में हुआ खुलासा, बिगड़ रहा है झारखंड के टीनएजर्स का बिहेवियर

-मनोज सिंह- -जानी-मानी संस्था द लैनसेंट ने अपने अध्ययन के आधार पर यह आकलन किया रांची : झारखंड के किशोरों के आचरण बिगड़ रहे हैं. चोरी करने, नियम तोड़ने, गैर कानूनी काम करने में यहां के किशोर देश के टॉप छह राज्यों में आते हैं. यहां एक लाख में करीब 875 किशोर ऐसा कर रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2019 8:05 AM
-मनोज सिंह-
-जानी-मानी संस्था द लैनसेंट ने अपने अध्ययन के आधार पर यह आकलन किया
रांची : झारखंड के किशोरों के आचरण बिगड़ रहे हैं. चोरी करने, नियम तोड़ने, गैर कानूनी काम करने में यहां के किशोर देश के टॉप छह राज्यों में आते हैं. यहां एक लाख में करीब 875 किशोर ऐसा कर रहे हैं.
इसके पीछे उन्हें होनेवाली मानसिक परेशानी है. ऐसे लोगों को मनोचिकित्सा की भाषा में कंडक्ट डिसऑर्डर (आचरण में विकार) का शिकार कहा जाता है. जानी-मानी संस्था द लैनसेंट ने अपने अध्ययन के आधार पर यह आकलन किया है. संस्था ने बिल और मिलिंडा गेट्स संस्था के सहयोग से पूरे देश में मनोरोग के कई पहलुओं पर अध्ययन किया है. संस्था ने देश में 1990 से 2017 तक देश में मानसिक रोग संबंधी बीमारियों के बारे में अध्ययन कराया था. कंडक्ट डिसऑर्डर में एक लाख में 875 से ऊपर वाले राज्यों में झारखंड के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मेघालय हैं.
झारखंड में एक लाख में करीब 875 किशोर इसके शिकार
क्या होता है कंडक्ट डिसऑर्डर
कंडक्ट डिसआॅर्डर (आचरण विकार) तब होता है, जब बच्चे असामाजिक व्यवहार में संलग्न होते हैं. नियमों का पालन करने में परेशानी होती है. दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने में रुचि नहीं होती है. वे दूसरों या खुद की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकते हैं. आचरण विकार आमतौर पर 16 साल से कम उम्र के बच्चों में उभरता है. आचरण विकार के संकेतों में आम तौर पर आक्रामकता, संपत्ति का विनाश, बेईमानी और नियमों की अवहेलना करना शामिल है. खराब व्यवहार के लिए इन्हें कोई पछतावा नहीं होता है. व्यवहार के परिणामों के बारे में चिंता नहीं होती है. ऐसे लोगों में भावनात्मक अभिव्यक्ति की कमी होती है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
रिनपास के न्यूरो साइकेट्रिस्ट डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बताते हैं कि आचरण विकार का कारण न्यूरोलॉजिकल फैक्टर है. यह बच्चों और किशोरों को नकारात्मक अनुभवों से सीखने और उनके व्यवहार को कम समायोजित करता है. इसके पीछे अनुवांशिक कारण भी होते हैं. एेसे लोग आगे चल कर समाज के लिए खतरा हो सकते हैं. ऐसे लोग सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर के शिकार हो सकते हैं.
क्या-क्या हो सकते हैं लक्षण
– गाली देना – शारीरिक झगड़े करना- दूसरों को धमकाना – नुकसान पहुंचाने के लिए एक हथियार का उपयोग करना- चोरी- मनुष्य या जानवरों के साथ शारीरिक क्रूरता – किसी और की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना – किसी के साथ जबरन यौन क्रिया करना या कोशिश करना – आग लगा कर नुकसान पहुंचाना – संपत्ति को नुकसान पहुंचाना – घर से भाग जाना – बार-बार स्कूल नहीं जाना
क्या है कारण
– माता-पिता का मादक द्रव्यों का सेवन – दरिद्रता – अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं – पारिवारिक संघर्ष या हिंसा मस्तिष्क क्षति
अन्य फैक्ट
4500-4900
इंटीलेक्चुअल डिसेबिलिटी
एक लाख आबादी पर
3200-3399
एंजाइटी डिसआॅर्डर
एक लाख आबादी पर
2750-2999
डिप्रेसिव डिसआॅर्डर
एक लाख आबादी पर
महेश भट्ट ने जतायी चिंता
झारखंड के किशोरों में कंडक्ट डिसआॅर्डर की बढ़ती समस्या पर जाने-माने फिल्मकार महेश भट्ट ने चिंता जतायी है. ट्विट कर उन्होंने कहा है कि यह गंभीर मामला है. इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. इसे दूर करने और युवाओं को सही रास्ते पर ले जाने की चुनौती है.

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