19 साल में 11वीं सरकार, दूसरी बार हेमंत को मुख्यमंत्री का ताज

झारखंड गठन के 19 वें वर्ष में रविवार को 11वीं सरकार का गठन होगा. हेमंत सोरेन रविवार को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इससे पहले हेमंत सोरेन 532 दिन तक मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं. राज्य में दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है. महागठबंधन को इस बार जनता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2019 6:42 AM
झारखंड गठन के 19 वें वर्ष में रविवार को 11वीं सरकार का गठन होगा. हेमंत सोरेन रविवार को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इससे पहले हेमंत सोरेन 532 दिन तक मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं. राज्य में दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है. महागठबंधन को इस बार जनता ने पूर्ण बहुमत दिया है. राज्य गठन के बाद पहली बार वर्ष 2014 में भाजपा व आजसू की गठबंधन सरकार को पूर्ण बहुमत मिला था. इसकी वजह से रघुवर सरकार ने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया.
इससे पहले 14 साल तक बंटे हुए जनादेश के कारण झारखंड में सरकार बनाने का खेल चला. अराजक राजनीति हावी रही. चार से पांच विधायकों के कुनबे ने अपने हिसाब से सरकार बनायी और गिरायी. झारखंड की सत्ता को चंद निर्दलीयों ने अपने हिसाब से हांका. नौ दिन में सरकार गिरी, तो निर्दलीय भी मुख्यमंत्री बने. 19 वर्षों में तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लगा. िरपोर्ट सतीश कुमार की.
तीन बार लग चुका है राष्ट्रपति शासन, निर्दलीय भी रह चुके हैं मुख्यमंत्री
पहली सरकार 28 महीने में ही उठा-पटक और बगावत दिखी : 15 नवंबर 2000 को राज्य गठन के बाद बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में पहली सरकार बनी. सरकार ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन 28 महीने बाद ही पॉलिटिकल ड्रामा शुरू हो गया. 2002 में ही इस एनडीए सरकार के दो सहयोगी दलों जदयू व समता पार्टी के विधायकों ने बगावत कर दी. तब के विधायक लालचंद महतो, मधु सिंह, स्वर्गीय रमेश सिंह मुंडा व जोबा मांझी सहित अन्य इसमें शामिल थे. इसके बाद बाबूलाल मरांडी की कुर्सी चली गयी.
दूसरी सरकार भाजपा ने किया नेतृत्व परिवर्तन, अर्जुन मुंडा बने सीएम बने : भाजपा ने बाबूलाल मरांडी के विरोध को देखते हुए नेतृत्व परिवर्तन किया. अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद सहयोगी दलों के विधायकों ने फिर से एनडीए का साथ दिया. इसके बाद सरकार ने बचा हुआ कार्यकाल पूरा किया.
तीसरी सरकार नौ दिन में शिबू सोरेन को देना पड़ा इस्तीफा : वर्ष 2005 में झारखंड गठन के बाद पहला विधानसभा चुनाव हुआ. जनादेश किसी के पक्ष में नहीं था. स्थिति स्पष्ट नहीं थी. यूपीए ने सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी. तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने शिबू सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. शिबू के पास बहुमत नहीं था.
एनडीए ने राज्यपाल के इस कदम को असंवैधानिक बताते हुए अपने विधायकों की दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में परेड करा दी. मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया. कोर्ट के आदेश पर यूपीए को बहुमत साबित करने को कहा गया. एन वक्त पर कमलेश सिंह व जोबा ने यूपीए साथ छोड़ दिया. पासा पलटता देख नौ दिन मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन ने विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया.
चौथी सरकार जदयू, आजसू व निर्दलीयों की मदद से अर्जुन मुंडा बने फिर सीएम : वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को एनडीए का साथ मिला था. भाजपा ने 30 सीटें जीती थी. वहीं जदयू को छह सीटें मिली थी. आजसू के पास दो सीटें थीं. इसके बाद भाजपा ने निर्दलीय विधायक एनोस एक्का, कमलेश सिंह व हरिनारायण राय को साथ लेकर सरकार बनायी. यह सरकार 555 दिनों तक चली.
पांचवीं सरकार निर्दलीय मधु कोड़ा को आगे कर यूपीए ने बनायी सरकार : मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की कार्यशैली से नाराज हो कर निर्दलीय विधायकों ने एनडीए का साथ छोड़ दिया. इसके बाद कांग्रेस ने निर्दलीय मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री पद का ऑफर देकर सरकार बनाने का पासा फेंका.
मधु कोड़ा सरकार को तीन निर्दलीय विधायकों के साथ कांग्रेस, झामुमो व राजद ने साथ दिया. मधु कोड़ा 709 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे. निर्दलीय विधायकों की ओर से समर्थन वापस लेने के कारण मधु कोड़ा की सरकार गिरी.
छठी सरकार उप चुनाव हार गये शिबू सोरेन, लगा राष्ट्रपति शासन : केंद्र सरकार के साथ देने का फायदा झामुमो को मिला. कांग्रेस ने शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाते हुए बाहर से समर्थन देने का फैसला लिया.
इसमें सभी निर्दलीय विधायकों को भी मंत्री बनाया गया. इधर चार माह बाद ही शिबू सोरेन तमाड़ विधानसभा से उपचुनाव हार गये. यह सीट जदयू विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या के कारण खाली हुई थी. इसके बाद 19 जनवरी 2009 को राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा.
सातवीं सरकार भाजपा-आजसू के सहयोग से बनी झामुमो की सरकार : वर्ष 2009 हुए विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. विधानसभा फिर त्रिशंकु हो गयी थी. इसके बाद फिर से जोड़-तोड़ का खेल शुरू हुआ. आजसू के सहयोग से राज्य में भाजपा-झामुमो की सरकार बनी. इस दौरान लोकसभा में शिबू सोरेन की ओर से यूपीए को वोट देना भाजपा को नागवार गुजरा. उसने समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद शिबू सोरेन की सरकार गिर गयी. इसके बाद एक जून 2010 को दोबारा राष्ट्रपति शासन लगा.
आठवीं सरकार झामुमो -भाजपा की सरकार, तीसरी बार सीएम बने अर्जुन मुंडा : राष्ट्रपति शासन लगने के करीब तीन माह बाद भाजपा व झामुमो फिर से एक मंच पर आये. झामुमो के अनुसार 28-28 माह सरकार में रहने की शर्त पर सरकार बनी. पहले भाजपा को मौका दिया गया. अर्जुन मुंडा राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. फिर अपनी बारी को लेकर हुए विवाद के बाद झामुमो ने सरकार से हाथ खींच लिया.
नौवीं सरकार कांग्रेस व राजद के सपोर्ट से पहली बार सीएम बने हेमंत : इसके बाद हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर झामुमो व कांग्रेस का गंठबंधन हुआ. हेमंत सोरेन की सरकार बनी. इस सरकार में राजद ने भी शामिल होने का दबाव बनाया. राजद भी सरकार में शामिल हुआ. पहली बार आजसू पार्टी सरकार में शामिल नहीं थी. निर्दलीय बिना शर्त सरकार में घुस गये. कांग्रेस ने किसी निर्दलीय को मंत्री नहीं बनाया.
10वीं सरकार : रघुवर के नेतृत्व में बनी सरकार ने पहली बार पूरा किया कार्यकाल : वर्ष 2014 के चुनाव में राज्य की जनता ने एनडीए को पूर्ण बहुमत दिया.
भाजपा को 37 व आजसू को पांच सीटें मिली थी. भाजपा ‌व आजसू ने मिल कर सरकार बनायी. चुनाव के बाद झाविमो के छह विधायकों ने पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा में शामिल होने वाले दो विधायकों को मंत्री पद भी दिया गया. बहुमत होने के कारण मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में बनी इस सरकार ने पहली बार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया.
किस मुख्यमंत्री का कितने दिन का रहा है कार्यकाल
मुख्यमंत्री कार्यकाल दिन
बाबूलाल मरांडी 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 852
अर्जुन मुंडा 18 मार्च 2003 से एक मार्च 2005 741
शिबू सोरेन दो मार्च 2005 से 11 मार्च 2005 09
अर्जुन मुंडा 12 मार्च 2005 से 17 सितंबर 2006 555
मधु कोड़ा 18 सितंबर 2006 से 27 अगस्त 2008 709
शिबू सोरेन 28 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 145
राष्ट्रपति शासन 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 344
शिबू सोरेन 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 152
राष्ट्रपति शासन एक जून 2010 से 10 सितंबर 2010 102
अर्जुन मुंडा 11 सितंबर 2010 से 17 जनवरी 2013 860
राष्ट्रपति शासन 19 जनवरी 2013 से 12 जुलाई 2013 174
हेमंत सोरेन 13 जुलाई 2013 से 27 दिसंबर 2014 532
रघुवर दास 28 दिसंबर 2014 से 28 दिसंबर 2019 1825
हेमंत सोरेन 29 दिसंबर 2019 से …..

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