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रांची : रिम्स के कई डॉक्टर निजी अस्पतालों में देते हैं सेवा, चेक से लेते हैं पैसा

निजी प्रैक्टिस की जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की विजिलेंस टीम का छापा आइवाश से ज्यादा कुछ नहीं यह जगजाहिर है रिम्स के कई डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करते हैं. वहीं, कई डॉक्टर शहर के कॉरपोरेट अस्पतालों में सेवा देते हैं, जिसके बदले उन्हें चेक के जरिये भुगतान किया जाता है. फिर भी, स्वास्थ्य विभाग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2020 7:35 AM
निजी प्रैक्टिस की जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की विजिलेंस टीम का छापा आइवाश से ज्यादा कुछ नहीं
यह जगजाहिर है रिम्स के कई डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करते हैं. वहीं, कई डॉक्टर शहर के कॉरपोरेट अस्पतालों में सेवा देते हैं, जिसके बदले उन्हें चेक के जरिये भुगतान किया जाता है. फिर भी, स्वास्थ्य विभाग की विजिलेंस टीम निजी प्रैक्टिस करनेवाले रिम्स डॉक्टरों के खिलाफ सबूत जुटा रही है. जानकार लोग स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई को केवल दिखावा भर मान रहे हैं. सही मायने में रिम्स के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगानी है, तो कार्रवाई ही एक मात्र विकल्प है.
रांची : रिम्स के कई बड़े और विशेषज्ञ डॉक्टर शहर के कॉरपोरेट अस्पतालों में अपनी सेवा दे रहे हैं. अस्पतालों में बोर्ड पर बाकायदा इन डॉक्टरों के ओपीडी और सर्जरी का दिन अंकित है. मरीज उसी डॉक्टर का नाम खोजते हुए वहां पहुंचते भी हैं. मरीजों को परामर्श देने व ऑपरेशन करने के एवज में डॉक्टरों को चेक के जरिये पैसे दिये जाते हैं.
वहीं, छोटे अस्पतालों में डॉक्टरों को सप्ताह या महीने में कैश दिया जाता है. कई डॉक्टर चोरी-छिपे शाम को निजी अस्पतालों में अपनी सेवा देने पहुंचते हैं, ताकि उन पर किसी की नजर न पड़े. कई ऐसे डॉक्टर भी हैं, जो अपने क्लिनिक पर मरीजों को देखते हैं और रिम्स में भर्ती करते हैं. वहीं, कुछ डॉक्टर खुलेआम निजी प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन उन पर विजिलेंस टीम की नजर नहीं पड़ती है. सूत्रों का कहना है कि इन डॉक्टरों की पहुंच स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक होती है, इसलिए इनसे कोई सवाल-जवाब नहीं किया जाता है. रिम्स प्रबंधन के पास भी ऐसे डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस के पुख्ता सबूत हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती है.
रिम्स के डॉक्टरों में खलबली
विजिलेंस टीम की पड़ताल की खबर से रिम्स के डॉक्टरों में खलबली है. वे एक-दूसरे को फोन कर पूछ रहे हैं कि विजिलेंस की सूची में उनका भी नाम तो नहीं है. कई डॉक्टर तो नॉन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) को वैकल्पिक करने की बात कह रहे हैं. इस मुद्दे पर रिम्स टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले सोमवार को बैठक होगी.
इन इलाकों पर नजर रखे विजिलेंस
विजिलेंस की टीम को बरियातू मेडिकल चौक, बूटी मोड़, अलबर्ट एक्का चौक, कोकर इंडस्ट्रियल एरिया, अशोक नगर, कडरू, हरमू हाउसिंग कॉलोनी, कांके रोड स्थित दवाखाना, नर्सिंग होम पर नजर रखने की जरूरत है. इसके बाद स्वत: सबकुछ साफ हो जायेगा.
खुलेआम चल रहे रिम्स के कई डॉक्टरों के क्लिनिक, पर विजिलेंस टीम इन्हें नोटिस नहीं कर रही
इन अस्पतालों में बैठते हैं रिम्स के डॉक्टर
सेंटेविटा सर्जरी विभाग
रानी अस्पताल शिशु व शिशु सर्जरी विभाग
निरामया अस्पताल सर्जरी, हड्डी व नेत्र
राहत नर्सिंग होम सर्जरी व यूरोलॉजी
हेल्थ प्वाइंट सर्जरी व इएनटी
अस्पताल व क्लिनिक में निजी प्रैक्टिस की जानकारी होने के बावजूद हमारा कोई अधिकार नहीं था. इसलिए तो कोर्ट से कमेटी बनाने का आग्रह किया गया था. कमेटी की रिपोर्ट पर कोर्ट और स्वास्थ्य विभाग जो आदेश देगा कार्रवाई की जायेगी. डॉ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक रिम्स
तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ संवाद हुआ था, जिसमें ड्यूटी के समय का पालन करने को कहा गया था. अगर यही रवैया रहा, तो डॉक्टर सामूहिक वीआरएस देने की सोचेंगे. सोमवार को होनेवाली बैठक में हम वैकल्पिक एनपीए पर भी विचार करेंगे. डॉ प्रभात कुमार, सदस्य, रिम्स टीचर्स एसोसिएशन

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