पीवीटीजी अस्पताल को नहीं हो रहा 27 लाख का भुगतान

रांची : पीवीटीजी हेल्थ केयर सेंटर (नया नगर बरकाकाना, रामगढ़) आयुष्मान भारत योजना से संबद्ध एक अस्पताल है. इस अस्पताल ने 1160 मरीजों का इलाज कर इससे संबंधित 27 लाख रुपये का बिल झारखंड राज्य आरोग्य समिति को भुगतान के लिए दिया, लेकिन साल भर से भुगतान लंबित है. यह एक ऐसा मामला है, जो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2020 8:02 AM

रांची : पीवीटीजी हेल्थ केयर सेंटर (नया नगर बरकाकाना, रामगढ़) आयुष्मान भारत योजना से संबद्ध एक अस्पताल है. इस अस्पताल ने 1160 मरीजों का इलाज कर इससे संबंधित 27 लाख रुपये का बिल झारखंड राज्य आरोग्य समिति को भुगतान के लिए दिया, लेकिन साल भर से भुगतान लंबित है. यह एक ऐसा मामला है, जो राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति (एसटी) अायोग की दखल के बाद भी स्वास्थ्य विभाग व समिति की हठधर्मिता के कारण सुलझ नहीं रहा है.

दरअसल इस अस्पताल को 27 फरवरी 2019 को कुछ अारोप लगाकर आयुष्मान भारत योजना की सूची से हटा दिया गया था. मामला आयोग तक गया तथा सुनवाई के बाद विभाग के आरोप गलत साबित हुए, लेकिन अस्पताल को फिर से सूचीबद्ध करने संबंधी आयोग के आदेश पालन की सीमा दो-दो बार फेल हो गयी.
आयोग को यह भी कहना पड़ा कि कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्य के मुख्य सचिव या उनके प्रतिनिधि को समन किया जायेगा. बाद में अस्पताल को सूचीबद्ध तो किया गया, पर 27 लाख के बिल का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. इस संबंध में रामगढ़ के सिविल सर्जन तथा उप विकास आयुक्त ने भी अपनी जांच में इलाज संबंधी दावों को सही बताया है.
अस्पताल के बिल, मरीजों की डिस्चार्ज समरी व उनका रजिस्टर फॉर्म, बीएचटी (आइपीडी स्लिप), आयुष्मान योजना संबंधी गोल्डेन कार्ड, मरीजों का आधार कार्ड, लैब टेस्ट रिपोर्ट, मेडिसिन ट्रीटमेंट रिपोर्ट (ट्रीटमेंट चार्ट), इनहेंसमेंट शीट तथा टीपीआर की गहन जांच तथा मरीजों से संपर्क के बाद यह रिपोर्ट दी गयी है. यही नहीं संबद्धता मिलने के बाद हुए 25 मरीजों के इलाज का करीब 3.50 लाख रुपये का बिल भी पेंडिंग है. इधर, आयोग सरकार से अस्पताल की लंबित राशि तत्काल देने को कह रहा है, फिर भी भुगतान नहीं हो रहा.
आयोग ने की थी टिप्पणी
मामले की सुनवाई के बाद आयोग ने अपनी टिप्पणी में लिखा था- तथ्यों से स्पष्ट है कि पीवीटीजी अस्पताल को संबद्धता सूची से हटाने के लिए आयुष्मान भारत योजना के निर्धारित प्रावधान का उल्लंघन किया गया है. अस्पताल के विरुद्ध गलत, द्वेषपूर्ण तथा तंग करनेवाले मामले सहित अन्य प्रक्रिया अपनायी गयी है, जो अनुसूचित जाति या जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के तहत गंभीर अपराध है. यदि कोई लोक सेवक अधिनियम के तहत अपराध करता है, तो वह कम से कम एक वर्ष के कारावास का भागी होगा.

Next Article

Exit mobile version