पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश के आप्त सचिव के खिलाफ कुर्की जब्ती का आदेश

रांची : 14 करोड़ रुपये की मनी लाउंड्रिंग के मामले में राज्य के पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के आप्त सचिव सहित तीन लोगों के खिलाफ पीएमएलए की विशेष अदालत ने कुर्की-जब्ती का वारंट जारी किया है. जिनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है, उनमें आप्त सचिव मनोज कुमार सिंह, सुजीत कुमार और अवधेश कुमार सिंह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2020 11:45 AM

रांची : 14 करोड़ रुपये की मनी लाउंड्रिंग के मामले में राज्य के पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के आप्त सचिव सहित तीन लोगों के खिलाफ पीएमएलए की विशेष अदालत ने कुर्की-जब्ती का वारंट जारी किया है. जिनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है, उनमें आप्त सचिव मनोज कुमार सिंह, सुजीत कुमार और अवधेश कुमार सिंह शामिल हैं. हाइकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत अर्जी खारिज किये जाने के बावजूद कोई अभियुक्त ट्रायल कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा था. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने वर्ष 2011 में इन अभियुक्तों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. मामले की जांच के बाद करीब 14 करोड़ रुपये के मनी लाउंड्रिंग का आरोप लगाते हुए आरोप पत्र दायर किया. जांच के दौरान अभियुक्तों की ओर से इस रकम को कृषि से हुई आमदनी के अलावा सोने और हीरे के जेवर बेच कर अर्जित करने का दावा किया गया था. पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने मामले में संज्ञान लिया.

इसके बाद अभियुक्तों ने हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की. हाइकोर्ट द्वारा मई 2019 में अग्रिम जमानत याचिका खारिज किये जाने के बावजूद ट्रायल कोर्ट में अभियुक्त हाजिर नहीं हुए. मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रायल कोर्ट ने पहले गिरफ्तारी का वारंट जारी किया. बाद में कुर्की-जब्ती का आदेश जारी किया.

पुश्तैनी जेवर बेच कर 8.71 करोड़ रुपये अर्जित करने का दावा : आयकर विभाग ने राज्य के पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के निजी आप्त व उनके पारिवारिक सदस्यों के नाम बैंक में जमा करीब 14 करोड़ रुपये जब्त किये थे. आयकर की कार्रवाई के बाद निगरानी ने मनोज कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. इसके बाद इडी ने प्राथमिकी दर्ज की. इडी ने जांच में पाया का मनोज कुमार सिंह ने अगस्त 2004 से दिसंबर 2004 तक विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष के आप्त सचिव के रूप में काम किया था. इस अवधि में उसे वेतन के रूप में 48,924 रुपये मिले थे. इसके बाद अक्तूबर 2006 से अगस्त 2008 तक उसने तत्कालीन मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी के आप्त सचिव के रूप में काम किया. इस दौरान उसे वेतन भत्ता के रूप में 2,66,340 रुपये मिले थे. हालांकि, उन्होंने उत्तर बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में अपने पारिवारिक सदस्यों के नाम पर 12.54 करोड़ रुपये का फिक्स डिपॉजिट किया. इसके अलावा अपने और अपनी पत्नी के नाम पर यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, मोरहाबादी में 12.75 लाख रुपये का फिक्स डिपॉजिट किया. साथ ही अन्य बैंक खातों में 23.77 लाख रुपये जमा किया. जांच के दौरान अभियुक्तों की ओर से यह दावा किया गया था कि उनके पास 61 बीघा पुश्तैनी जमीन है. 50 बीघा जमीन लीज पर ली गयी है. मां को 20 बीघा जमीन मिली है. इस जमीन पर खेती से 2008-09 में 68.44 लाख रुपये की आमदनी हुई थी. पुश्तैनी खेती से अर्जित धन से पूर्वजों ने हीरे जवाहरात खरीदे थे. वैल्यूअर ने इसकी कीमत 10 करोड़ रुपये आंकी है. इसमें कुछ हीरे बेच कर 8.71 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. अभियुक्तों की ओर से किये गये इस दावे की जांच इडी ने की. इसमें सूरत के व्यापारी ने अभियुक्तों से हीरे जवाहरात खरीदने के मामले में अनभिज्ञता जतायी. कृषि आमदनी की जांच में पाया गया कि अभियुक्तों की ओर से संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल किया गया था. इसमें पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा आमदनी दिखायी गयी थी. आयकर विभाग ने संशोधित रिटर्न को अस्वीकार कर दिया.

-14 करोड़ की मनी लाउंड्रिंग का मामला

-पीएमएलए के विशेष न्यायालय ने जारी किया है वारंट

-अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बावजूद ट्रायल कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा था कोई अभियुक्त

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