बुढ़ापे में मां-बाप का साथ कभी न छोड़ें, कुलदेवता है
रांची: गो सेवा करें, आपकी परेशानियां स्वत: दूर हो जायेंगी. सभी ग्रह अनुकूल कार्य करने लगेंगे. उक्त बातें विश्व जागृति मिशन की ओर से कडरू एजी को-ऑपरेटिव कॉलोनी मैदान में आयोजित प्रवचन के अंतिम दिन आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कही. उन्होंने लोगों को जिंदगी जीने की कला सिखायी. कहा, शरीर को इतना सूक्ष्म बनायें […]
रांची: गो सेवा करें, आपकी परेशानियां स्वत: दूर हो जायेंगी. सभी ग्रह अनुकूल कार्य करने लगेंगे. उक्त बातें विश्व जागृति मिशन की ओर से कडरू एजी को-ऑपरेटिव कॉलोनी मैदान में आयोजित प्रवचन के अंतिम दिन आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कही. उन्होंने लोगों को जिंदगी जीने की कला सिखायी. कहा, शरीर को इतना सूक्ष्म बनायें कि वह हमेशा कार्य के लिए तैयार रहे. सुबह उठने में या किसी कार्य में आलस्य मत कीजिए. समय पर सभी काम कीजिए और हमेशा अनुशासन में रहिए. प्रतिदिन अपनी योग्यता उठायें और हर दिन उसका आकलन कीजिए. ऐसा नहीं करने पर हमारे शरीर का उसी प्रकार नाश होने लगता है. जीवन में अंतिम समय तक सीखने की ललक होनी चाहिए, जिससे बुढ़ापा और समय आसानी से कट जाते हैं.
महाराज जी ने लोगों से वायदा किया कि वे फिर यहां आयेंगे और विस्तार से बातें करेंगे. प्रवचन के बाद ओम नम: शिवाय: ,ओम नम: शिवाय:, हर-हर गंगे नम: शिवाय: भजन गाया. इसके बाद उन्होंने आरती में हिस्सा लिया और भक्तों से विदा लेते हुए एयरपोर्ट की ओर प्रस्थान कर गये. वहां से वे दिल्ली के लिए रवाना हो गये. इससे पूर्व उन्होंने सुबह में प्रवचन दिया और योग का अभ्यास कराया. दिन में उन्होंने 250 लोगों को दीक्षा दी और गुरुमंत्र की महत्ता बतायी. कार्यक्रम के आयोजन में शशि भूषण प्रसाद, रघुनंदन टिबड़ेवाल, आरएन सहाय, एसएन श्रीवास्तव, विमला सरावगी, आशा सहाय, प्रकाश रंजन सहित अन्य भक्तों का सहयोग रहा.
चिंता को चिंतन में बदलिए
उन्होंने कहा कि चिंता को चितंन में बदलिए. चिंता क्यों होती है, इस पर मंथन कीजिए और उसका निदान कीजिए.
मां का अनादर कभी न करें
महाराज जी ने कहा कि माता-पिता का कभी अनादर न करें. कभी भी उन्हें न रुलायें. बुढ़ापे में मां-बाप का साथ नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि दुनिया में इसका स्थान कोई भी नहीं ले पाया है. हर पिता अपने बच्चे को अपने से ऊपर उठे हुए देखना चाहता है. वह हर कुर्बानी देने को तैयार रहता है. मां-बाप घर के कुल देवता माने गये हैं.
आत्मा में झांक लेती है मां
उन्होंने कहा कि मां की जगह दुनिया में कोई नहीं ले सकता है. मां को कभी तड़पाना नहीं चाहिए. उन्होंने मां-बेटी के रिश्ते पर भी विस्तार से प्रकाश डाला. कहा, मां ऐसी होती है, जो अपनी औलाद की आत्मा तक में झांक लेती है. उसके कष्ट के निवारण का प्रयास करती है.