रांची : आंगनबाड़ी के टेक होम राशन सैंपल जांच में फेल

संजय रांची : राज्य भर के आंगनबाड़ी केंद्रों को रेडी-टू-इट योजना के बदले अब घर ले जाकर पकाने वाला राशन दिया जा रहा है. इसे टेक होम राशन (टीएचआर) कहते हैं, पर टीएचआर की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग नहीं हो रही है. समाज कल्याण निदेशालय ने अपने स्तर से गुमला व रामगढ़ के कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2020 8:06 AM
संजय
रांची : राज्य भर के आंगनबाड़ी केंद्रों को रेडी-टू-इट योजना के बदले अब घर ले जाकर पकाने वाला राशन दिया जा रहा है. इसे टेक होम राशन (टीएचआर) कहते हैं, पर टीएचआर की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग नहीं हो रही है. समाज कल्याण निदेशालय ने अपने स्तर से गुमला व रामगढ़ के कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों से टीएचआर का सैंपल लेकर जांच करायी है.
तुपुदाना, रांची स्थित मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला सन-टेक में हुई जांच में पोषाहार के सैंपल फेल हो गये हैं. राशन में दी जा रही अरहर दाल, गुड़, बादाम व आलू की गुणवत्ता फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एफएसएसएआइ) द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार नहीं है. अालू सड़े हुए थे तथा राशन में घुन, धूल व गंदगी थी. इसके बाद निदेशक, समाज कल्याण मनोज कुमार ने जेएसएलपीएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीइअो) को इसकी जानकारी देते हुए अाग्रह किया है कि वह अपने स्तर से भी जांच करा कर वस्तु स्थिति स्पष्ट करें, ताकि लंबित बिल का भुगतान किया जा सके.
गौरतलब है कि गुमला लातेहार सहित अन्य जिलों में टीएचआर के तहत मिलने वाले आलू अंकुरित व सड़े रहने, अन्य राशन की गुणवत्ता भी ठीक नहीं रहने तथा राशन को प्रिंट पेपर में लपेट कर लाभुकों को देने संबंधी खबर प्रभात खबर में पहले ही प्रकाशित हुई है.
अब विभाग द्वारा सैंपल जांच से इसकी पुष्टि हो गयी है. राशन खरीदने तथा इसे पैक कर आंगनबाड़ी केंद्र तक पहुंचाने के लिए समाज कल्याण विभाग ने जेएसएलपीएस के साथ करार किया है. इसके मुताबिक, सोसाइटी से संबद्ध महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को राशन खरीद कर केंद्रों तक पहुंचाने का काम मिला है.
इन शर्तों का करना है पालन : टेक होम राशन की सभी खाद्य सामग्री (चावल, दाल व अन्य) को लाभुकों के लिए अलग-अलग पैक कर फिर इसे बड़े पैक में एक साथ पैक करना है. इस पैक पर खाद्य सामग्री के विवरण के साथ यह भी लिखा होगा कि यह राशन बाजार में बिक्री के लिए नहीं है. इसके अलावा राशन की गुणवत्ता एफएसएसएआइ के मानक के अनुसार रखना सुनिश्चित करना है. यह काम जेएसएलपीएस व समाज कल्याण विभाग का है.
23 लाख लाभुक
गौरतलब है कि राज्य भर के 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से तीन वर्ष के बच्चों (15.97 लाख) सहित गर्भवती (3.26 लाख) व धात्री महिलाओं (3.61 लाख) को राशन दिया जाना है. इसके अलावा 13108 कुपोषित बच्चों को भी यह राशन मिलना है.गुमला व रामगढ़ जिले के जो खाद्य सैंपल लिये गये, वह कुपोषित बच्चों तथा धात्री महिलाअों के थे. सैंंपल पैकेट में कुल छह राशन (चावल, अरहर दाल, भूना चना, भूना बादाम, गुड़ व आलू) में से चार-चार आइटम ही थे. दोनों सैंपल में चावल नहीं थे.

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