प्रकृति से संस्कृति का संदेश दिया

फोटो : अमित दास – निर्मला कॉलेज में हुआ भादो कर एकादशी नाटक का मंचन लाइफ रिपोर्टर @ रांचीसृष्टि रंगमंच ने गुरुवार को निर्मला कॉलेज में भादो कर एकादशी नाटक का मंचन किया. नाटक के माध्यम से कलाकारों ने प्रकृति से संस्कृति का संदेश दिया. नाटक में दिखाया गया कि कर्म से मनुष्य का जीवन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2014 10:00 PM

फोटो : अमित दास – निर्मला कॉलेज में हुआ भादो कर एकादशी नाटक का मंचन लाइफ रिपोर्टर @ रांचीसृष्टि रंगमंच ने गुरुवार को निर्मला कॉलेज में भादो कर एकादशी नाटक का मंचन किया. नाटक के माध्यम से कलाकारों ने प्रकृति से संस्कृति का संदेश दिया. नाटक में दिखाया गया कि कर्म से मनुष्य का जीवन संवर सकता है. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि अपनी संस्कृति, भाषा और परंपरा को युवा पीढ़ी से जोड़ने का अच्छा प्रयास है. इससे आने वाली पीढ़ी करम पर्व के बारे में जानेंगी. सबसे पहले प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया कि एक वृद्ध आदमी (प्रणव चौधरी) जो 64 चंद्र ग्रहण देख चुका है, वह अपनी संस्कृति को बचाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए सोच रहा है. वह सोचता है कि नयी पीढ़ी को किस तरह अपनी संस्कृति से अवगत कराये. इसके बाद मंच पर सैनिक आते हैं और उरांव राज्य पर हमला कर देते हैं. वहां का राजा करम पेड़ के पास छिप कर अपनी जान बचाता है. उसके बाद ग्रामीण करमा पेड़ की पूजा करने लगते हंै. इसके बाद दिखाया गया कि एक गांव में करमा (संजय नायक) और धरमा (अर्जुन हेंब्रम) दोनों भाई रहते हैं. दोनों मिल जुल कर काम करते हैं. एक दिन दोनों में झगड़ा हो जाता है. करमा गुस्से में करम पेड़ की डाली को फेंक देता है. वह डाली नदी होते हुए समुद्र में मिल जाती है. डाली फेंकने से गांव में प्रकृति का प्रकोप होता है. आकाशवाणी होती है कि करम डाली फेंकने से गांव में प्रकृति का प्रकोप हुआ है. लोग करमा को करम डाली लाने को कहते हैं. करमा गांव से निकल जाता है और करम डाली की खोज करता है. नहीं मिलने पर पर तपस्या करता है. उसकी तपस्या से भगवान खुश होते हैं और अंत में उसे करम डाली मिल जाती है. वह डाली लेकर गांव आता है. सभी लोग खुशी से झूमने लगते हैं. ग्रामीण पैइका नृत्य करते हैं और खुशी-खुशी रहते हैं. नाटक का निर्देशन मुन्ना लोहार ने किया. सहायक निर्देशक की भूमिका प्रणव चौधरी और प्रभा कुमारी ने निभायी. कलाकार के रूप में धर्मेंद्र कश्यप (उरांव राजा), नितेश कच्छप (ग्रामीण), उमेश महली, दयानंद नायक, संतोष नायक, पंकज, सरयू, सत्य नारायण, पिंकी, अनुराधा, संजय नायक, अनिल नायक ने अपनी प्रतिभा दिखायी.

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