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पश्चिमी सिंहभूम सामूहिक नरसंहार का कारण पत्थलगड़ी ही है या कुछ और सीएम ने एसआइटी से सात दिनों में मांगी रिपोर्ट

विवेक चंद्र पुलिस के किसी जवान ने गांव के बाहर नहीं देखी थी पत्थलगड़ी रांची : पश्चिमी सिंहभूम के गुदड़ी प्रखंड में सात युवकों की सिर काट कर हत्या करने की जांच के लिए बनायी गयी एसआइटी से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सात दिनों में रिपोर्ट मांगी है. मुख्यमंत्री ने पुलिस से पूछा कि मामला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2020 7:18 AM
विवेक चंद्र
पुलिस के किसी जवान ने गांव के बाहर नहीं देखी थी पत्थलगड़ी
रांची : पश्चिमी सिंहभूम के गुदड़ी प्रखंड में सात युवकों की सिर काट कर हत्या करने की जांच के लिए बनायी गयी एसआइटी से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सात दिनों में रिपोर्ट मांगी है.
मुख्यमंत्री ने पुलिस से पूछा कि मामला पत्थलगड़ी से जुड़ा है या नहीं. उनको बताया गया है कि घटना के बाद वहां गये पुलिस के जवानों ने गांव में या गांव के बाहर पत्थलगड़ी नहीं देखी थी. लेकिन संभव है कि गांव के दूसरी ओर पत्थलगड़ी की गयी हो, जहां जवान नहीं गये थे. पुलिस द्वारा जांच पूरी होने के पूर्व निष्कर्ष निकालना मुश्किल होने की बात कही गयी. मुख्यमंत्री ने एसआइटी को यह पता करने का निर्देश दिया है कि सामूहिक नरसंहार का कारण पत्थलगड़ी ही है, या किन्हीं अन्य कारण से युवकों की हत्या की गयी है.
मुख्यमंत्री की पुलिस व प्रशासन के वरीय अधिकारियों के साथ हुई बैठक में घटना काे पत्थलगड़ी से जोड़े जाने के मामले में तीन सवाल उठाये गये. पहला, गुदड़ी प्रखंड का गांव बुरुगुलीकेरा के 95 फीसदी से अधिक लोग पत्थलगड़ी समर्थक बताये जाते हैं. पत्थलगड़ी समर्थकों की बहुलता वाले गांव में पत्थलगड़ी के कुछ विरोधियों द्वारा समर्थकों के घर में घुस कर तोड़-फोड़ करना आसान नहीं है. दूसरा, पत्थलगड़ी समर्थकों का विरोध हमेशा सरकार से होता है. राज्य में पत्थलगड़ी को लेकर लोगों का विरोध हमेशा सरकार से रहा है.
स्थानीय लोग कभी लोग आपस में नहीं झगड़े. पत्थलगड़ी समर्थक गांवों में यह कभी नहीं कहा गया कि आप सरकार के साथ नहीं हैं तो मार देंगे. तीसरा, राज्य में नक्सल को छोड़ कर गांव वालों द्वारा किया गया सामूहिक नरसंहार का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है. ग्रामीण क्षेत्रों से जमीन विवाद, महुआ के पेड़ से संबंधित विवाद जैसे मामलों में मॉब लिंचिंग के कई मामले सामने आते हैं. लेकिन, इस तरह के मामलों में भीड़ द्वारा संबंधित व्यक्ति को अधमरा कर छोड़ दिया जाता है.
सामूहिक रूप से गला काटने का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है.बहरहाल, अब तक घटना का असली कारण सामने नहीं आया है. एसआइटी घटना का कारण मालूम करने के लिए कई बिंदुओं पर जांच करेगी. पत्थलगड़ी के अलावा जांच में नक्सल से जुड़ी बातों पर खास ध्यान दिया जायेगा. इसके अलावा मुखिया व उप मुखिया के बीच आपसी विवाद, मारे गये लोगों की राजनीतिक पृष्ठभूमि, विधानसभा या पंचायत चुनाव के दौरान हुई घटनाओं जैसे कई बिंदुओं पर पर जांच की जायेगी. एसआइटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही घटना का कारण स्पष्ट होगा.
अादिवासियों के परिजनों को मुआवजा दे सरकार : भाजपा
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी एसटी मोरचा का एक प्रतिनिधिमंडल मिला. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से पश्चिमी सिंहभूम के गुदड़ी प्रखंड अंतर्गत बुरूगुलीकेरा गांव में असामाजिक तत्वों द्वारा मारे गये सात निर्दोष आदिवासियों के परिवार को 10-10 लाख रुपये मुआवजा दिलाने, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की. इसके अलावा सरकार के कार्यों पर संज्ञान लेते हुए हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार कर सजा दिलाने की भी मांग की गयी.
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से कहा कि गठबंधन की सरकार अपने को आदिवासी-मूलवासी की हितैषी सरकार बताती है, लेकिन सरकार गठन के 25वें दिन ही सात आदिवासियों की नृशंस हत्या हो जाती है. हेमंत सोरेन सरकार ने उग्रवादी संगठन, नक्सलवादी व देशद्रोही संगठनों के ऊपर लगे हुए केस को वापस कर एेसे संगठनों का मनोबल बढ़ाने का काम किया है. प्रतिनिधिमंडल में रामकुमार पाहन, बिंदेश्वर उरांव, अशेष बारला, अशोक बड़ाइक, रीता मुंडा, मंजू सिंह, नूतन पाहन, दानिएल किस्कू, मनोज कुमार, प्रबोध सोरेन, बिरसा मिंज, गंगोत्री कुजूर आदि शामिल थे.

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