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आजसू का हाल : झारखंड में तकरार- दिल्ली में प्यार, गठबंधन टूटा, तो NDA को हुआ था 13 सीटों का नुकसान

बजट सत्र के पहले एनडीए की बैठक में शामिल हुई थी पार्टी रांची : झारखंड में आजसू की राजनीति सबको हैरान करती रही है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ तनातनी करनेवाली आजसू ने एक बार फिर राजनीतिक पैंतरा बदल दिया है. आजसू पार्टी शनिवार को संसद के बजट सत्र के पहले एनडीए […]

बजट सत्र के पहले एनडीए की बैठक में शामिल हुई थी पार्टी

रांची : झारखंड में आजसू की राजनीति सबको हैरान करती रही है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ तनातनी करनेवाली आजसू ने एक बार फिर राजनीतिक पैंतरा बदल दिया है. आजसू पार्टी शनिवार को संसद के बजट सत्र के पहले एनडीए की बैठक में शामिल हुई.

आजसू के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में बतौर एनडीए घटक शिरकत की. जबकि तीन महीने पहले राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में आजसू ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था. विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ सीट बंटवारे को लेकर आजसू की नाराजगी थी. उस समय पार्टी ने कार्यकारिणी की बैठक कर फैसला लिया था कि प्रदेश में भाजपा के साथ नहीं जाना है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सीटिंग सीट काट कर दी थी आजसू को : लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने पांच बार के सांसद रवींद्र पांडेय का गिरिडीह से टिकट काट कर चंद्रप्रकाश चौधरी को दिया था. लोकसभा चुनाव में राज्य गठन के बाद आजसू का खाता पहली बार गिरिडीह से ही खुला था. सीटिंग सीट आजसू को देने के भाजपा के निर्णय का पार्टी के अंदर भी विरोध हुआ था. बावजूद इसके भाजपा ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए को इंटैक्ट रखने के लिए यह कदम उठाया था. लेकिन, भाजपा की यह रणनीति काम नहीं आयी.

क्यों टूटा था विधानसभा में गठबंधन

आजसू ने झारखंड की रघुवर सरकार की नीतियों को लेकर गठबंधन तोड़ने का प्लॉट तैयार किया था. आजसू का कहना था कि राज्य में स्थानीय नीति यहां की जनभावना के अनुरूप नहीं है. इसको लेकर लंबे समय तक आजसू ने सरकार में रहते हुए विरोध प्रदर्शित किया था. इसके अलावा विधानसभा चुनाव में आजसू एनडीए घटक के रूप में 15 सीटों से कम पर तैयार नहीं थी. तत्कालीन मंत्री अमर बाउरी की सीट चंदनकियारी को लेने के लिए आजसू अड़ी हुई थी.

गठबंधन टूटा, तो एनडीए को हुआ 13 सीटों का नुकसान

एनडीए गठबंधन टूटने की वजह से विधानसभा में 13 ऐसी सीटें थीं, जहां एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होने के कारण इन दोनों पार्टियों को हार का सामना करना पड़ा. इसमें डुमरी, जुगसलाई, ईचागढ़, लोहरदगा, नाला, जामा, रामगढ़, बड़कागांव, खिजरी, चक्रधरपुर, गांडेय, मधुपुर व घाटशिला शामिल है. इन सभी सीटों पर भाजपा व आजसू को मिले वोट को जोड़ दें, तो वे जीतने वाले प्रत्याशी से ज्यादा हो जाते हैं.

मुझे इसकी जानकारी नहीं : दे‌वशरण

आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं निजी कारणों से बाहर हूं. मुझे इसकी जानकारी नहीं है. पार्टी से बात कर बताऊंगा.

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