बड़ी मुश्किल में कमला बेनीवाल!
एक हजार करोड़ के जमीन घोटाले में बनायी जा सकती हैं आरोपी एजेंसियां, नयी दिल्लीमिजोरम के राज्यपाल पद से बरखास्त कमला बेनीवाल एक और मुश्किल में फंसती नजर आ रही हैं. अब जब उन्हें आपराधिक मामलों से संवैधानिक आजादी नहीं प्राप्त है, तो ऐसे में जयपुर के एक जमीन विवाद ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी […]
एक हजार करोड़ के जमीन घोटाले में बनायी जा सकती हैं आरोपी एजेंसियां, नयी दिल्लीमिजोरम के राज्यपाल पद से बरखास्त कमला बेनीवाल एक और मुश्किल में फंसती नजर आ रही हैं. अब जब उन्हें आपराधिक मामलों से संवैधानिक आजादी नहीं प्राप्त है, तो ऐसे में जयपुर के एक जमीन विवाद ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. दरअसल, जयपुर की एक अदालत में 1000 करोड़ रु पये की जमीन हड़पने के मामले की सुनवाई हो रही है, कोर्ट अब बेनीवाल को इस मामले में आरोपी बना सकता है. यह खबर अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने दी है.मामले से जुड़े वकील अजय जैन ने कहा, जयपुर की वैशाली नगर पुलिस ने जमीन हड़पने के मामले में कमला बेनीवाल सहित 16 लोगों को दोषी पाया है. पुलिस ने 15 मई को ट्रायल कोर्ट में इस संबंध में रिपोर्ट भी दाखिल की थी. मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी. अब हम कोर्ट में बेनीवाल को भी आरोपी बनाने की मांग करेंगे. उन्हें नोटिस भेजने की मांग भी रखी जायेगी. दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता संजय अग्रवाल ने अगस्त 2012 में जमीन हड़पने को लेकर बेनीवाल सहित 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. नवंबर 2012 में कोर्ट ने बेनीवाल को छोड़ कर सभी आरोपियों को नोटिस भेजा था, क्योंकि उन्हें गवर्नर के तौर पर इम्यूनिटी प्राप्त थी.क्या है मामला1953 में राजस्थान सरकार ने एक किसान सामूहिक कृषि सहकारी समिति लिमिटेड (किसान को-ऑपरेटिव सोसाइटी) को 384 बीघा (करीब 218.14 एकड़) जमीन 25 रु पये प्रति एकड़ के रेट से आवंटित किया था. जमीन सामूहिक तौर से खेती करने के लिए दी गयी थी. कमला बेनीवाल 27 साल की उम्र में राजनीति में आयीं. वह 1954 में राज्य की पहली महिला मंत्री भी बनीं और 1970 में इस को-ऑपरेटिव सोसाइटी से जुडीं. सोसाइटी को यह जमीन 20 साल के लिए लीज पर मिली, जिसे बाद में बढ़ा कर 25 साल कर दिया गया. यह लीज 1978 में रद्द हो गयी. समझौते के मुताबिक जमीन एक बार फिर राज्य सरकार के पास चली गयी. राज्य सरकार ने 1999 में 384 में से 221 बीघा जमीन को करधानी और पृथ्वीराज नगर में रिहाइशी कालोनियों के लिए निर्धारित कर दिया. अब जब जमीन 1978 में ही राज्य सरकार को वापस मिल गयी थी, तो सोसाइटी के सदस्यों को जमीन अधिग्रहण के नाम पर मुआवजा मांगने का हक नहीं था. फिर भी, राजस्थान सरकार ने विकसित जमीन का 15 फीसदी (209 रेजिडेंशियल प्लॉट्स) सोसाइटी सदस्यों को मुआवजे के तौर पर दे दिया. कोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि ऐसा बेनीवाल और सोसाइटी के प्रभावशाली सदस्यों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया. कमला बेनीवाल अशोक गहलोत सरकार (1998-2003) में राजस्व मंत्री थीं.पहली बार दिखीं बेनीवाल इस बीच, राज्यपाल पद से बरखास्त कमला बेनीवाल शुक्रवार को मिजोरम से कोलकाता पहुंची. बरखास्तगी के बाद उन्हें पहली बार देखा गया. एक न्यूज चैनल के सवाल के जवाब में उन्होनें कहा कि मेरे साथ जो रहा है, वो आप समझ सकते हैं. उनका सीधा इशारा मोदी सरकार की तरफ है.