रांची : नरेंद्र मोदी सरकार के वर्ष 2020-21 के आम बजट को 68 फीसदी लोगों ने अपनी उम्मीदों पर खरा पाया है, तो 66 फीसदी ने कहा है कि इस बजट से बेरोजगारी में कोई कमी नहीं आयेगी. इतना ही नहीं, टैक्स स्लैब में बदलाव से भी 47 फीसदी लोग सहमत नहीं हैं. लेकिन, 60 फीसदी लोगों का मानना है कि किसानों के लिए जो विशेष रेल सेवा शुरू करने की घोषणा की गयी है, उससे फायदा होगा. प्रभात खबर-शेयरचैट ने एक ओपिनियन पोल ‘जनता की राय : बजट 2020’ किया, जिसमें यह तथ्य सामने आये हैं.
झारखंड के सर्वाधिक प्रचारित-प्रसारित दैनिक समाचार पत्र प्रभात खबर ने सोशल मीडिया शेयरचैट ने संयुक्त रूप से एक सर्वे किया. इसमें आम बजट 2020-21 पर लोगों की राय मांगी गयी थी. इस पोल में लोगों से 6 सवाल किये गये थे और हर सवाल के कई विकल्प दिये गये थे. पहला सवाल बजट से उम्मीदों पर था. लोगों से पूछा गया था कि बजट आपकी उम्मीदों पर खरा उतरा या नहीं. पोल में शामिल होने वाले 60 फीसदी लोगों ने अपना जवाब हां में दिया, जबकि 32 फीसदी ने कहा नहीं.
दूसरा सवाल था : क्या इस बजट से बेरोजगारी घटेगी. इसके जवाब में 34 फीसदी लोगों ने कहा हां जबकि 66 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस बजट से बेरोजगारी घटेगी. टैक्स स्लैब में बदलाव से जुड़े तीसरे सवाल में 31 फीसदी लोगों ने कहा कि आम लोगों को इससे राहत मिलेगी. वहीं 47 फीसदी ने कहा कि टैक्स स्लैब में बदलाव से आम आदमी को कोई राहत नहीं मिलेगी, जबकि 22 फीसदी ने कहा कि वह इस बारे में कुछ कह नहीं सकते.
किसानों से जुड़े चौथे सवाल में पूछा गया था कि किसानों के लिए जो विशेष रेल सेवा (माल ढुलाई) शुरू हुई है, उससे फायदा होगा? इसके तीन विकल्प दिये गये थे. हां, नहीं और कुछ कह नहीं सकते. 60 फीसदी लोगों का जवाब हां था, जबकि 18 फीसदी का नहीं और 22 फीसदी ने कुछ कह नहीं सकते का विकल्प चुना.
पांचवां और महत्वपूर्ण सवाल था कि क्या निर्मला सीतारमण देश की उम्मीदों को पूरा करने में सफल हुई? इसके भी तीन विकल्प दिये गये थे. हां, नहीं और कुछ कह नहीं सकते. 58 फीसदी लोगों ने हां का विकल्प चुना जबकि 26 फीसदी ने नहीं का. 16 फीसदी लोग इस पर अपनी कोई राय नहीं बना पाये. उन्होंने कुछ कह नहीं सकते का विकल्प चुना.
छठा और अंतिम सवाल भी बेहद महत्वपूर्ण था. इसमें लोगों से पूछा गया था कि मोदी सरकार के इस बजट को 10 में से कितने अंक देंगे. इसके चार विकल्प थे. 5, 7, 10 और इनमें से कोई नहीं. आश्चर्यजनक रूप से 56 फीसदी ने अंतिम विकल्प ‘इनमें से कोई नहीं’ चुना. 24 फीसदी लोगों ने बजट को 10 में से 10 नंबर दिये, जबकि 12 फीसदी ने 5 अंक दिये. सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 8 फीसदी लोगों ने इस बजट को 7 अंक दिये.