नक्सलियों के बारूदी सुरंग विस्फोट से जीवन बना नरक

झारखंड में जल, जंगल, जमीन बचाने के नाम पर व्यवस्था परिवर्तन की खूरेंजी नक्सली मुहिम हाल के दिनों में उलट मुहावरा गढ़ने में लगी है. गुमला, लोहरदगा, लातेहार व चतरा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जंगल पर आधारित इलाकों में उनके ही द्वारा जगह-जगह बिछाये लैंड माइंस के विस्फोट से कई लोगों की मौत हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2020 3:09 AM

झारखंड में जल, जंगल, जमीन बचाने के नाम पर व्यवस्था परिवर्तन की खूरेंजी नक्सली मुहिम हाल के दिनों में उलट मुहावरा गढ़ने में लगी है. गुमला, लोहरदगा, लातेहार व चतरा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जंगल पर आधारित इलाकों में उनके ही द्वारा जगह-जगह बिछाये लैंड माइंस के विस्फोट से कई लोगों की मौत हो गयी. वहीं कई ने पैर तो कई ने हाथ गंवा दिये.

उनके इस बर्बर,नृशंस और कायराना हरकत से तबाह हुए भुक्तभोगियों की पीड़ा यह बताने को काफी है कि कथित तौर पर वे जिस जमात की बेहतरी की दुहाई देकर अपना जन सरोकार वाला मसविदा चमकाने की जतन कर रहे हैं , वे ही सरासर किसी झूठ का पुलिंदा से कम नहीं.
उनके कृत्य-दंश से आहत लोगों का जीवन नारकीय होकर रह गया है. वहीं सरकार की ओर से भी उनके जख्म पर मरहम लगाने का कोई इंतजाम या प़ॉलिसी लागू न हो , तो यह बेहद त्रासदीपूर्ण हो जाता है. प्रस्तुत है, हाल की कुछ ताजातरीन घटनाओं के साथ प्रभात खबर की विशेष रिपोर्ट.
नक्सलियों के बारूदी सुरंग विस्फोट ने ग्रामीणों का जीवन नरक बना दिया. लकड़ी चुनने और पशु चराने जंगल में जा रहे ग्रामीण उनकी चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं. सात फरवरी को लातेहार के बरवाडीह के मुरवाई कला जंगल में मां के साथ लकड़ी चुनने गयी छह साल की बच्ची सोनम बम की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गयी.
वहीं गुमला के मंगलेश्वर नगेशिया की भी मौत लैंड माइन विस्फोट में हो गयी थी. पत्नी सुगइन नागेशिया व बेटा पुनीत नगेशिया भी घायल हो गये थे.
13 दिसंबर 2019 को लोहरदगा और लातेहार सीमा के बुलबुल जंगल में बांस चुनने गये आदिम जनजातीय समाज की परहिया जाति के कई लोग आइडी ब्लास्ट की चपेट में आ गये थे. इसमें लातेहार थाना क्षेत्र के घघरी गांव निवासी एतवा उरांव की मौत हो गयी थी. वहीं सूरज भी घायल हो गया था.
चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के चरका कला गांव निवासी मो मजहर उर्फ शाहजाद भी लैंड माइन विस्फोट में घायल हो गया. नहीं मिला मंगल के परिजनों को मुआवजा, स्कूल नहीं जाती बेटी गुमला के मंगल नगेशिया की मौत के बाद प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवार की मदद के नाम पर सिर्फ 50 किलो चावल दिया गया था.
अंतिम संस्कार के लिए अंचल कार्यालय से 20 हजार रुपये भी नहीं मिले. मृतक मंगलेश्वर के रिश्तेदार सीरी नगेशिया ने बताया कि घटना के बाद घायल पत्नी सुगइन व बेटी पुनीत के इलाज से लेकर मंगलेश्वर के अंतिम संस्कार तक का खर्च गांव के लोगों व रिश्तेदारों ने उठाया था.
पीड़ित परिवार अभी किसी स्थिति में रह रहा है, प्रशासन ने जानने का प्रयास भी नहीं किया. मृतक मंगलेश्वर की तीन बेटी व एक बेटा है. मंगलेश्वर ने एक बेटी की शादी की थी. दो बेटी तंगी के कारण स्कूल जाना छोड़ दी.
गुमला : दोनों पैर गंवा चुके हैं मजहर दूसरे के भरोसे जी रहा जिंदगी
लैंड माइन विस्फोट में घायल जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के चरका कला गांव निवासी मो मजहर उर्फ शाहजाद आज दूसरे के भरोसे जिंदगी जी रहा है. शाहजाद एसपीओ का काम करता था. 13 मार्च 2014 को बारूदी सुरंग डिफ्यूज करने के दौरान ब्लास्ट हो गया था. इसमें मजहर का दायां पैर व आंख को क्षति पहुंची थी.
उसका अपोलो में इलाज कराया गया. इसके अलावा उसे कोई मदद नहीं मिली. शाहजाद ने कहा कि पत्नी व तीन बच्चों का जीवनयापन करना मुश्किल हो रहा है. भाइयों पर पूरी तरह आश्रित हूं. पैसे के अभाव में आंख का इलाज नहीं करा पा रहा हूं.
दोनों पैर गंवा चुके हैं मजहर दूसरे के भरोसे जी रहा जिंदगी
लैंड माइन विस्फोट में घायल जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के चरका कला गांव निवासी मो मजहर उर्फ शाहजाद आज दूसरे के भरोसे जिंदगी जी रहा है. शाहजाद एसपीओ का काम करता था. 13 मार्च 2014 को बारूदी सुरंग डिफ्यूज करने के दौरान ब्लास्ट हो गया था. इसमें मजहर का दायां पैर व आंख को क्षति पहुंची थी.
उसका अपोलो में इलाज कराया गया. इसके अलावा उसे कोई मदद नहीं मिली. शाहजाद ने कहा कि पत्नी व तीन बच्चों का जीवनयापन करना मुश्किल हो रहा है. भाइयों पर पूरी तरह आश्रित हूं. पैसे के अभाव में आंख का इलाज नहीं करा पा रहा हूं.
चतरा : पति एतवा परहिया की मौत के बाद बच्चों के साथ कमाने चली गयी जगती
घघरी गांव निवासी एतवा उरांव की मौत के बाद जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई विशेष मदद नहीं की गयी. एतवा अपने घर का सबसे बड़ा और कमाऊ सदस्य था. पिता जगदेव परहिया ने बताया कि एतवा की मौत के बाद पुलिस घर पर आयी थी और बूढ़ा-बूढ़ी को दो-दो हजार रुपये और एक बोरा चावल दी थी.
एतवा की पत्नी जगती परहिन अपने चारों बच्चों को लेकर मजदूरी करने बाहर चली गयी है. घटना के बाद से घर भी बंद है. सरकारी मदद के नाम पर प्रधानमंत्री आवास दो वर्ष पहले मिला था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका है. आइडी ब्लास्ट की घटना में सूरज भी घायल हो गया था. इलाज में खर्च के नाम पर उसके पिता मोहन परहिया को 30 हजार रुपये दिये थे.
लातेहार : एक आश्रित को नौकरी व एक लाख मुआवजा देने का है प्रावधान
नक्सलियों के बारूदी सुरंग विस्फोट में पुलिसकर्मी या किसी नागरिक की मौत होती है, तो उसे नक्सली हिंसा ही माना जाता है. इसमें पीड़ित परिवार को मुआवजा व नौकरी देने का प्रावधान है.
मृतक के एक आश्रित को नौकरी एवं एक लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है. वहीं घायल व्यक्ति को मेडिकल चेकअप के बाद उसकी घायल स्थिति को देखते हुए मुआवजा मिलता है. घायल के लिए मुआवजा की अधिकतम राशि 50 हजार रुपये निर्धारित है.

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