17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नॉर्थ. फोटो ..मुफलिसी का मारा ब्रिटिश मूल का एक भारतीय

गिद्दी फोटो 4 गिद्दी 8,9-आर कूपर देश का नागरिकता पत्र दिखाते व उनके माता-पिताअजय कुमार/रंजीत सिंह इंट्रो– आर कूपर के पिता एचएफ कूपर आजादी के पहले से ही भारत में रह रहे थे. भारत में ही आर कूपर के दादा नेवी में काम करते थे. पिता की शादी भारत में ही इ लॉवेनबरी से हुई […]

गिद्दी फोटो 4 गिद्दी 8,9-आर कूपर देश का नागरिकता पत्र दिखाते व उनके माता-पिताअजय कुमार/रंजीत सिंह इंट्रो– आर कूपर के पिता एचएफ कूपर आजादी के पहले से ही भारत में रह रहे थे. भारत में ही आर कूपर के दादा नेवी में काम करते थे. पिता की शादी भारत में ही इ लॉवेनबरी से हुई थी. आर कूपर आठ भाई-बहनों में वे सबसे छोटे हंै. देश आजाद होने के बाद कूपर अपने परिवार वालों के साथ झरिया-धनबाद में रह रहे थे. इस बीच कृपाशंकर बाड़ा कंपनी ने रैलीगढ़ा कोयला खदान को वर्ष 1958 में बर्ड कंपनी से 10 वषार्ें के लिए लीज में लिया था. कृपाशंकर बाड़ा कंपनी को कच्छी कंपनी के नाम से भी लोग जानते थे. कच्छी कंपनी ने उनके पिता एचएफ कूपर को रैलीगढ़ा लाया था. एचएफ कूपर कुशल व दक्ष अभियंता थे. अपने पिता के साथ परिवार के सभी सदस्य रैलीगढ़ा आ गये थे. लीज खत्म होने के बाद पिता एचएफ कूपर ने कुछ कारणों से कंपनी में अपनी नौकरी छोड़ दी थी. इसके बाद हमारे घर में मुफलिसी ने दस्तक दे दी थी.लंबे समय से तंगहाली में जीने और संघर्ष से कभी हार नहीं मानने वाले का नाम है आर कूपर. आर कूपर के परिजन ब्रिटिश मूल के थे. पर आर कूपर ने आजादी के बाद भारत में ही अपनी आंखें खोली. आर कूपर लगभग 60 बसंत देख चुके हैं. उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी. उनके जीवन में संघर्ष पीछा नहीं छोड़ रहा है. रोटी व कई परेशानियों से गुजरने के बाद भी वे मानते हंै कि भारत मुल्क खराब नहीं है. इनके खून में भारत देश के प्रति हमेशा प्रेम दौड़ता रहता है. वे कहते हैं कि कुछ वर्षों के अंदर भारत में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व धार्मिक बदलाव हुए हैं. महंगाई आसमान छू रही है. देश में गरीबी व भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं. गरीबों की फिक्र सरकार को नहीं है. जिस रास्ते पर भारत चल रहा है, वैसे में आने वाले दिन गरीबों के लिए और भी कठिन हो सकते हैं. अपने पुराने दिनों को याद करते हुए आर कूपर कहते हैं कि उनके पिता एचएफ कूपर आजादी के पहले से ही भारत में रह रहे थे. भारत में ही उनके दादा नेवी में काम करते थे. पिता की शादी भारत में ही इ लॉवेनबरी से हुई थी. आर कूपर ने बताया कि आठ भाई-बहनों में वे सबसे छोटे हंै. बड़े भाई सी कूपर ने मेरा नाम प्यार से गैरी रखा. अधिकतर लोग हमें गैरी से ही जानते हैं. आर कूपर ने बताया कि देश आजाद होने के बाद हम अपने परिवार वालों के साथ झरिया-धनबाद में रह रहे थे. इस बीच कृपाशंकर बाड़ा कंपनी ने रैलीगढ़ा कोयला खदान को वर्ष 1958 में बर्ड कंपनी से 10 वषार्ें के लिए लीज में लिया था. कृपाशंकर बाड़ा कंपनी को कच्छी कंपनी के नाम से भी लोग जानते थे. कच्छी कंपनी ने उनके पिता एचएफ कूपर को रैलीगढ़ा लाया था. एचएफ कूपर कुशल व दक्ष अभियंता थे. अपने पिता के साथ परिवार के सभी सदस्य रैलीगढ़ा आ गये थे. लीज खत्म होने के बाद पिता एचएफ कूपर ने कुछ कारणों से कंपनी में अपनी नौकरी छोड़ दी थी. इसके बाद हमारे घर में मुफलिसी ने दस्तक दे दी थी. दो जून रोटी नसीब हो जाती थी, तो लगता था कि दिन आज अच्छा से दिन कट गया है. आर्थिक तंगहाली के कारण ही हम रांची में सातवीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाये. हालांकि हमारे कई भाई-बहन पढ़े-लिखे थे. रोटी के लिए हमलोगों ने कई तरह की मेहनत की, लेकिन गरीबी घर से नहीं जा रही थी. रैलीगढ़ा में पिता एचएफ कूपर ने हमलोगों का सिर छिपाने के लिए कुछ कमरों का एक भवन 60 के दशक में किसी तरह बनाया था. इसी भवन में मैं अपने परिवार वालों के साथ अब भी रह रहा हूं. पिता के बाद घर की गाड़ी हम भाई-बहनों में से कोई सही से खींच नहीं पाया था. इस वजह से ही हमारे माता-पिता दुखी रहते थे. तमाम परेशानियों के वाबजूद 70 के दशक के अंत में माता-पिता की मौत हो गयी. अब तो अपने परिवार में मैं ही जीवित बचा हुआ हूं. मैंने शादी भी यहीं पर की. इसके बाद परिवार चलाने के लिए हमारा संघर्ष शुरू हुआ. बेहद कम पैसे में गिद्दी में एक ठेकेदार के यहां काम पकड़ा. कई वर्षों तक काम करने के बाद मैंने दो-तीन वर्ष पूर्व काम छोड़ दिया. तीन वर्ष पहले हमें प्रति माह साढे़ तीन हजार रुपये मिलते थे. इतने पैसे में घर चलाना मुश्किल होता था. अपने दो लड़कों को मैट्रिक तक पढ़ाया. वे दोनों अब गुजरात में पे लोडर चला रहे हैं. उन्हें जो मासिक वेतन मिलता है, उससे हमारी जिंदगी में रोटी आसान हुई है. कई लोगों से मैंने कर्ज लिये थे. उसे उतार दिया है. अब आगे की गाड़ी कैसे चलती है, यह तो ऊपर वाला ही जाने.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें