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गैंग रेप की शिकार नाबालिग बनी मां, अब बेटी को पालना मुश्किल

विवेक चंद्र यह गांव की एक ऐसी मासूम की कहानी है, जिसके साथ कुदरत ने पहले से ही खिलावाड़ किया है. वह दिमागी तौर पर कमजोर है. साफ बोल भी नहीं पाती. 15 साल की उम्र में इस किशोरी के साथ गांव के ही पांच लड़कों ने गैंग रेप किया. वह गर्भवती हो गयी और […]

विवेक चंद्र
यह गांव की एक ऐसी मासूम की कहानी है, जिसके साथ कुदरत ने पहले से ही खिलावाड़ किया है. वह दिमागी तौर पर कमजोर है. साफ बोल भी नहीं पाती. 15 साल की उम्र में इस किशोरी के साथ गांव के ही पांच लड़कों ने गैंग रेप किया. वह गर्भवती हो गयी और एक बेटी को जन्म दिया. अब मां-बेटी दोनों के लिए यह जिंदगी कठिन हो गयी है.सबकुछ तो लुट गया है इनका. इन्हें इस हाल में पहुंचाने वाले कानूनी दांव-पेच का सहारा लेकर खुले में घूम रहे हैं. व्यवस्था ने इनसे मुंह मोड़ लिया है. इन्हें सरकार से जो मदद मिलनी चाहिए थी, वह भी नहीं मिल रही. यह आज के समाज और व्यवस्था की त्रासदी है. अपनी बच्ची को छाती से लगाये इस अभागी मां के हर आंसू बस यही कह रहे हैं : अगलेे जनम मोहे बिटिया न कीजो…
रांची : रांची जिले के चान्हो प्रखंड के खलारी से सटे गांव बलथरवा में अनाथ पीड़िता चांदनी (काल्पनिक नाम) रहती है. वह चार साल पहले 2016 में गांव के ही पांच लड़कों द्वारा किये गये दुष्कर्म के कारण 15 साल की उम्र में गर्भवती हो गयी थी. अभी इसी महीने 18 साल की हुई पीड़िता की दिमागी हालत भी ठीक नहीं है. वह ठीक से बोल नहीं पाती है.
उसकी बेटी भी तीन साल की हो गयी है. अनाथ पीड़िता अपनी बहन और जीजा के साथ रहती है. उसके जीजा की भी स्थिति अच्छी नहीं है. पीड़िता के पास अपनी बेटी का लालन-पालन करने या उसे पढ़ाने-लिखाने का कोई जरिया नहीं है. पीड़िता की पड़ोसी उसकी बेटी का लालन-पालन कर रही है.
नहीं मिल रही कोई सरकारी मदद : दुष्कर्म पीड़िता और उसकी बेटी को अब तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. वर्ष 2016 में डालसा की ओर से पीड़िता को दो लाख रुपये की आर्थिक मदद की गयी थी. लेकिन, वह राशि कुछ दिनों में खत्म हो गयी. पीड़िता की पड़ोसी शीला कुमारी पिछले दो साल से मां-बेटी की देखभाल कर रही है. साथ ही उसकी बेटी की पढ़ाई के लिए पदाधिकारियों और मानवाधिकार आयोग का चक्कर लगी रही है. पड़ोसी शीला ने बताया कि पीड़िता को किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.
दुष्कर्म पीड़िता के लिए निर्धारित मुआवजा भी उसे नहीं दिया गया है. उसकी बच्ची अशिक्षित, अस्वस्थ, फटेहाल और असुरक्षित है. गरीब आदिवासी परिवार होते हुए भी वह लोग किसी तरह मां-बेटी का पालन-पोषण कर रहे हैं. अगर ऐसे ही चला, तो बच्ची या तो भीख मांगेगी या फिर मर जायेगी.
रांची के चान्हो प्रखंड के बलथरवा गांव में रहती है पीड़िता, गांव के ही पांच युवकों ने चार साल पहले किया था गैंग रेप
इन सरकारी योजनाओं की हकदार है पीड़िता
नि:शक्तों के लिए पेंशन
अंत्योदय राशन कार्ड
पीएम आवास योजना
उज्ज्वला योजना
दुष्कर्म पीड़िता के लिए निर्धारित मुआवजा राशि का भुगतान
दुष्कर्म के कारण हुई पुत्री के लालन-पालन के लिए सहायता
दुष्कर्म के कारण हुई पुत्री के शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, वस्त्र व आवास के लिए सहायता
(नोट : उक्त सरकारी योजनाओं में पीड़िता को किसी तरह का भी लाभ अब तक नहीं मिला है. सहयोग के नाम पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर 2016 में उसे डालसा की ओर से दो लाख रुपये दिये गये थे)
दुष्कर्मी भतीजे को सजा दिलाने के लिए अपने परिवार से लड़ गयी पड़ोसी शीला
पीड़िता की पड़ोसी शीला कुमारी झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में संविदा पर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी हैं. पीड़िता के साथ हुए दुष्कर्म का एक आरोपी शीला का सगा भतीजा भी है. उसके दुष्कर्मी होने की जानकारी मिलने के बाद पीड़िता को लेकर शीला ही थाना पहुंची थीं.
तब पूरे गांव ने आपस में मामला सलटाने की बात करते हुए शीला के थाना में मामला दर्ज कराने का विरोध किया था. गांव और परिवार के कई लोगों के साथ उसके अपने भाई ने भी मामला बढ़ाने पर समझ लेने की धमकी दी. लेकिन, शीला डरी नहीं. सबसे लड़ते हुए पीड़िता को न्याय और दुष्कर्मियों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने थाने से लेकर कोर्ट तक के चक्कर काटे. आज भी वह पीड़िता और उसकी बेटी के उचित जीवन यापन के लिए लगातार कोशिश कर रहीं हैं.
दुष्कर्म करनेवाले पांचों आरोपी थे नाबालिग, आज घूम रहे हैं आजाद
पीड़िता मंदबुद्धि होने के कारण ठीक से बोल नहीं पाती है. इसका फायदा उठाकर बलथरवा के ही पांच लड़कों ने महीनों तक उसके साथ दुष्कर्म किया.
तब वह केवल 14 साल की थी. दुष्कर्म की वजह से उसके गर्भवती होने की जानकारी उसकी बहन और पड़ोसियों को सातवें महीने में हुई. इसके बाद चान्हो थाना में मामला दर्ज कराया गया. पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया. नाबालिग होने के कारण उनको रिमांड होम भेज दिया गया. लेकिन, करीब डेढ़ महीने बाद ही सभी रिमांड होम से बाहर आ गये. उनको जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और न्यायालय से नाबालिग होने का फायदा मिला. अब भी दुष्कर्म के पांचों आरोपी गांव में ही आजाद घूम रहे हैं.
फ्लैश बैक
जब लुगनी की मदद को उठे हाथ
इसी तरह का एक मामला सितंबर 2015 में सामने आया था. पूर्वी सिंहभूम के गुड़बांधा स्थित जियान की रहनेवाली लुगनी के साथ नक्सली ने दुष्कर्म किया था. लुगनी नि:शक्त हैं. बाद में उसने एक बेटे को जन्म दिया. लुगनी अपने बेटे का लालन-पालन नहीं कर पा रही थी.
तब प्रभात खबर ने लुगनी का दर्द समाज के सामने लाने और उसे न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया. प्रभात खबर ने जब प्रमुखता से इस मामले को उठाया तब राज्यपाल और हाइकोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया था और राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने लुगनी के बेटे को गोद ले लिया था. उन्होंने लालन-पालन की जिम्मेदारी ली जिसे वह निभा रही हैं. लुगनी को तो न्याय नहीं मिल पाया, पर उसके बच्चे को बढ़िया परवरिश जरूर मिल रही है.

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