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कॉल ड्रॉप: झारखंड-बिहार में मोबाइल सर्विस बदहाल, बिना बात कराये हर माह कंपनियां वसूल रहीं 19.62 करोड़
Call Drop In Jharkhand & Bihar:राजेश कुमार@रांची अक्सर मोबाइल पर बात करते समय नेटवर्क खराब होने के कारण दूसरी ओर से अावाज आनी बंद हो जाती है. ऐसी स्थिति में आप हेलो-हेलो बोलते रहते हैं और कुछ समय बाद आप फोन को डिस्कनेक्ट कर देते हैं. लेकिन आपको पता नहीं है कि कॉल ड्रॉप होने […]
Call Drop In Jharkhand & Bihar:राजेश कुमार@रांची अक्सर मोबाइल पर बात करते समय नेटवर्क खराब होने के कारण दूसरी ओर से अावाज आनी बंद हो जाती है. ऐसी स्थिति में आप हेलो-हेलो बोलते रहते हैं और कुछ समय बाद आप फोन को डिस्कनेक्ट कर देते हैं. लेकिन आपको पता नहीं है कि कॉल ड्रॉप होने पर भी आपसे कॉल का चार्ज काटा जाता है. कॉल ड्रॉप होने पर कंपनियां ग्राहकों को पैसे नहीं लौटाती हैं. यह पैसा कंपनियों के खाते में चला जाता है. ऐसा करके भी मोबाइल कंपनियां अकेले झारखंड-बिहार में ही हर माह ग्राहकों को लगभग 19.62 करोड़ रुपये का चूना लगा रही हैं.
हर दिन लुट रहे ग्राहक, मोबाइल कंपनियों की जेब में जा रहे पैसे
बात होती नहीं, लेकिन पूरा पैसा वसूल लेती हैं मोबाइल कंपनियां
आंकड़ों में समझिए कैसे हो रहा ग्राहकों को नुकसान : अधिकांश ग्राहक तीन माह का प्लान चुन रहे हैं. औसतन सभी मोबाइल कंपनियों के तीन माह का प्लान 545 रुपये के आसपास है. एक माह का खर्च लगभग 181.66 रुपये होता है. ग्राहक एक माह में औसतन 800 मिनट आउटगोइंग कॉल करते हैं, तो तीन माह में 2,400 मिनट कॉल करते हैं. इस हिसाब से एक कॉल के लिए ग्राहक 22.70 पैसे चुका रहे हैं.
ट्राइ के आंकड़ों के अनुसार, एयरटेल का कॉल ड्रॉप रेट 1.76% है.
इस हिसाब से तीन माह में कुल 42 मिनट कॉल ड्रॉप हो रहा है. इस प्रकार, तीन माह में 9.53 रुपये का नुकसान केवल कॉल ड्रॉप से हो रहा है. एक माह की बात करें, तो यह 3.17 रुपये प्रति माह का नुकसान है. 3.58 करोड़ ग्राहकों की संख्या के अनुसार, केवल एयरटेल के ग्राहकों से कॉल ड्रॉप के नाम पर 11.34 करोड़ रुपये काट ली जा रही है.
बीएसएनएल के 0.51 करोड़ ग्राहकों को हर महीने कॉल ड्रॉप होने से 3.01 रुपये का नुकसान हो रहा है. ग्राहकों के 1.53 करोड़ रुपये यूं ही बर्बाद हो रहे हैं.
जबकि रिलायंस जियो के 2.78 करोड़ ग्राहकों को हर महीने 76 पैसे का नुकसान हो रहा है. इस हिसाब से जियो के ग्राहकों को बिना बात किये ही 2.11 करोड़ रुपये आैर आइडिया-वोडाफोन के 1.59 करोड़ ग्राहकों को 4.64 करोड़ का नुकसान हो रहा है. सभी मोबाइल कंपनियों के ग्राहकों को कुल 19.62 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. कंपनियां 4जी सेवा देने का वादा करती हैं, लेकिन तय मानक के अनुसार स्पीड नहीं मिलती है.
कॉल ड्रॉप क्या है
कॉल ड्रॉप की परिभाषा तय करते हुए ट्राइ ने कहा है कि बात करते-करते ही फोन कटने को ही कॉल ड्रॉप नहीं माना जायेगा, बल्कि बात करने के दौरान आवाज सुनाई नहीं देगा. अटक-अटक कर आवाज आयेगी या बात करने के दौरान फोन का नेटवर्क कमजोर हो जायेगा, ये परिस्थितियां भी कॉल ड्रॉप कहलायेंगी. मोबाइल कंपनियों के अधिकारी कॉल ड्रॉप के पीछे कई कारणों का हवाला देते हैं. कॉल ड्रॉप के कारणों में सिग्नल सही तरीके से नहीं मिलना, संबंधित क्षेत्र के टावर पर लोड बढ़ना और मीडिया का सही तरीके से काम नहीं करना आदि शामिल हैं.
बिहार-झारखंड में मोबाइल कंपनियों का कॉल ड्रॉप
एयरटेल 1.76 %
रिलायंस जियो 0.45 %
वोडाफोन-आइडिया 1.61 %
बीएसएनएल 1.66 %
नोट : जबकि, पीक आवर का कॉल ड्रॉप रेट इससे कहीं अधिक है.
बिहार और झारखंड में मोबाइल ग्राहकों की संख्या
कंपनी ग्राहकों की संख्या
एयरटेल 3.58
रिलायंस जियो 2.78
आइडिया-वोडाफोन 1.59
बीएसएनएल 0.51
कुल ग्राहक 8.46
नोट : ग्राहकों की संख्या करोड़ में है.
टावर लगाने के लिए जगह की कमी को दूर करना होगा. कंपनियों को मजबूर करना पड़ेगा कि वे नेटवर्क विस्तार में निवेश करें. किस कंपनी के पास कितने सब्सक्राइबर हैं, इसका डिटेल रखना होगा. ग्राहकों की संख्या बढ़ने पर उसी अनुसार टावर क्षमता भी बढ़ानी होगी.-शशिकांत प्रसाद, सर्किल सेक्रेटरी, ऑल इंडिया बीएसएनएल एग्जीक्यूटिव एसोसिएशन
एक माह में 700 से 800 मिनट आउटगोइंग करते हैं ग्राहक
टेलीकॉम इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार, एक मोबाइल ग्राहक वर्तमान में पूरे माह में औसतन 700-800 मिनट आउटगोइंग कॉल और औसतन 400 मिनट इनकमिंग कॉल रिसीव करता है. कुल 1200 मिनट बात करता है, जबकि वर्ष 2016 तक आउटगोइंग और इनकमिंग कॉल की संख्या औसतन 450 मिनट रहती थी. अनलिमिटेड प्लान आने के बाद तेजी से यह संख्या बढ़ी है.
ट्राइ के आंकड़ों के अनुसार भी भारी नुकसान
अगर, हम ट्राइ के आंकड़ों को भी मानें, तो हर माह झारखंड-बिहार के ग्राहकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. सभी मोबाइल कंपनियों को औसतन एक ग्राहक से लगभग 70 रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. इसके अनुसार भी लगभग 7.55 करोड़ रुपये का नुकसान यहां के ग्राहकों को कॉल ड्रॉप से हो रहा है.
कंपनियां हैं उदासीन
टेलीकॉम ऑपरेटरों ने यूजर्स की संख्या बढ़ने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर निवेश नहीं किया है. यही कारण है कि नेटवर्क में परेशानी आती है. एक ही टावर में तीन-तीन जेनरेशन बैठे हैं. यानी एक ही टावर में टू जी, थ्री जी या 4जी है. इससे फ्रीक्वेंसी मिसमैच होता है और कॉल में दिक्कतें आती हैं.
जानिये कॉल ड्रॉप का कारण
जीएसएम टेक्नोलॉजी में कॉल ड्रॉप का मतलब है, जब मोबाइल पर बात करनेवाले दो लोगों के बीच बिना फोन काटे ही बातचीत बंद हो जाये या फिर दूसरी तरफ से आवाज सही तरीके से नहीं सुनाई दे. यह तकनीकी कारणों से भी होता है.
मोबाइल नेटवर्क में कॉल ड्रॉप होने के कुछ प्रमुख कारण हैं. रेडियो कवरेज की कमी होना एक अहम कारण है. यह कमी डाउनलिंक या अपलिंक में से किसी में हो सकती है. मोबाइल नेटवर्क को भी अपना रेडियो चैनल बदलने के समय अगर सही चैनल नहीं मिले, तो भी कॉल ड्रॉप की समस्या आती है. कॉल ड्रॉप होना मोबाइल हैंडसेट के हार्डवेयर की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है.
इसके अलावा आसपास की जगह पर बिजली के खुले तारों की वजह से भी दिक्कत होती है. कुछ जगहों पर मोबाइल सिग्नल बहुत कमजोर होते हैं. इन्हें डेड स्पॉट्स कहा जाता है. सिग्नल बार-बार आने-जाने या नेटवर्क जाम होने की वजह से भी कॉल ड्रॉप होता है. कॉल ड्रॉप के लिए कभी-कभी सिम कार्ड भी जिम्मेदार होते हैं. अगर सिम कार्ड पर स्क्रैच पड़ा हो, गंदा हो या मुड़ा हो, तो भी कॉल में दिक्कत होती है.
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