21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

महाशिवरात्रि: इस मुहूर्त में पूजा करना होगा सबसे शुभ, जानिए धार्मिक मान्यता सहित ये खास बातें

रांची: इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी. देश भर के अलग-अलग शिवालयों में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. चारों धामों सहित देश भर के प्रमुख मंदिरों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी. ऋद्धालु बड़ी संख्या में भगवान शिव का दर्शन करने के लिए शिवालयों में जुटेंगे और […]

रांची: इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी. देश भर के अलग-अलग शिवालयों में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. चारों धामों सहित देश भर के प्रमुख मंदिरों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी. ऋद्धालु बड़ी संख्या में भगवान शिव का दर्शन करने के लिए शिवालयों में जुटेंगे और याचना करेंगे. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव से सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूरी पूरी होती है.

झारखंड में देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम, रांची स्थित पहाड़ी मंदिर, साहिबगंज में बरहेट स्थित बाबा गाजेश्वरनाथ धाम तथा वाराणसी स्थित बाबा विश्वनाथ धाम में महाशिवरात्रि के मौके पर अलग ही रौनक होती है.

जानिए कब होगा पूजा का शुभ मुहूर्त

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 21 फरवरी की शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी को 7 बजकर 2 मिनट तक होगा. रात्रि पहर का शुभ मुहूर्त 21 फरवरी की शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात को 12 बजकर 52 मिनट तक होगा. महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा रात्रि में चार बार करने की परंपरा रही है.

क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?

हिन्दू मान्यता के हिसाब से प्रत्येक महीने शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन महीने में मनाई जाने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. सामान्य शिवरात्रि प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है और इसे परदोष भी कहा जाता है. प्रत्येक महीने मनाए जाने की वजह से इसे मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है. यही जब श्रावण महीने में मनाया जाता है कि इसे बड़ी शिवरात्रि कहा जाता है. श्रावण का पूरा महीना ही शिव को समर्पित होता है.

भगवान शिव और पार्वती का विवाह

फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाए जाने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि फाल्गुन महीने की कृष्ण चतुर्दशी को ही रात्रि में भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे. एक मान्यता और है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था. इसको भगवान शिव शक्तिरूपा पार्वती के मिलन अथवा विवाह की रात्रि के तौर पर मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह किया था.

ऋतु परिवर्तन का संकेत भी होता है

एक अन्य मान्यता के अनुसार ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को चंद्रमा सूर्य के सर्वाधिक नजदीक होता है. इसे जीवनरूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग मिलन होता है. सूर्य इस समय पूर्णतया उत्तरायण हो चुके होते हैं और ऋतु परिवर्तन का ये समय सबसे ज्यादा शुद्ध होता है. इस तिथि से शरद ऋतु खत्म हो जाती है और वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें