रांची : महिला एसएचजी को नहीं मिल पायेगा कृषि उपकरण
मनोज सिंह नहीं निकला राज्यादेश, 65 करोड़ की है योजना रांची : कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में भी महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को कृषि उपकरण देने की योजना का राज्यादेश नहीं निकाला है. जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में करीब डेढ़ माह बचे हैं. विभाग ने 65 करोड़ की […]
मनोज सिंह
नहीं निकला राज्यादेश, 65 करोड़ की है योजना
रांची : कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में भी महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को कृषि उपकरण देने की योजना का राज्यादेश नहीं निकाला है. जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में करीब डेढ़ माह बचे हैं. विभाग ने 65 करोड़ की इस योजना पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है.
पिछले साल भी महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उपकरण बैंक नहीं मिल पाया था. कृषि विभाग में महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उपकरण देने की योजना की फाइल करीब छह माह से सचिवालय का घूम रही है. विभागीय अधिकारियों ने उच्च स्तरीय बैठक में योजना चालू रखने में हो रही परेशानी का जिक्र भी किया है. इस राशि से करीब चार हजार स्वयं सहायता समूहों को कृषि उपकरण देने की योजना है.
दो-दो योजना हो गयी थी स्वीकृति, बनी कमेटी : महिला एसएचजी के लिए संचालित होनेवाली इस योजना के निर्माण में तकनीकी रूप से विवाद हो गया था. इस स्कीम की दो-दो योजना स्वीकृत हो गयी थी.
एक योजना 12 जिलों के लिए पायलट के रूप में चलाने की थी, जबकि दूसरी योजना पूर्व की तरह 24 जिलों में चलाने की थी. दोनों योजनाओं को पूर्व कृषि मंत्री ने स्वीकृत कर दिया था. मामला जब विकास आयुक्त के संज्ञान में आया, तो उन्होंने विभाग से कुछ जानकारी मांगी थी. विभाग ने इस मामले पर हुए विवाद को देखते हुए कृषि निदेशक छवि रंजन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बना दी थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी दे दी है. इसके बावजूद इस योजना का राज्यादेश नहीं निकल पाया.
पिछले साल 80 करोड़ की थी योजना
वित्तीय वर्ष (2018-19) में महिला एसएचजी ग्रुप को कृषि उपकरण देने की योजना 80 करोड़ की बनायी गयी थी. मार्च माह में इसका राज्यादेश भी निकाला गया.
इसमें स्कीम की राशि जेएएमटीटीसी के पीएल खाते में डालने का आदेश दिया गया था. इस मामले पर वित्त विभाग ने आपत्ति दर्ज की थी. राज्यादेश के संशोधन का प्रस्ताव भी तैयार किया गया था. इससे पूर्व जेएएमटीटीसी ने कंपनियों को सूचीबद्ध करने के लिए टेंडर निकाल दिया था. बाद में कृषि विभाग ने योजना का संशोधित राज्यादेश ही नहीं निकाला. इस कारण योजना चालू नहीं हो सकी.