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Valentine’s Day special: प्रोफेशन अलग-अलग, लेकिन बने हमराही, पढ़ें झारखंड के इन प्रेमी जोड़ों की कहानी

आज वेलेंटाइन डे है, प्यार का दिन. लॉन्ग डिस्टेंस कई बार दो लोगों के बीच की दूरियां बढ़ा देती हैं. प्यार के अधूरे शब्द को समझना बेशक मुश्किल है. लेकिन अगर मन में सच्ची भावना हो, तो दूरियां कुछ मायने नहीं रखतीं. इस वेलेनटाइन डे हम आपको कुछ ऐसे ही कपल से रू-ब-रू करा रहे हैं.

आज 14 फरवरी यानी कि वेलेंटाइन डे है. प्यार के इजहार का यह दिन युवाओं के लिए विशेष होता है. हमारे जीवन का वेलेंटाइन वही होता है, जिसे हम बेपनाह प्यार करते हैं. फिर वह कहीं भी किसी रूप में हो सकता है. वह माता-पिता, भाई, बहन, दोस्त या फिर प्रेमी हो सकता है. प्यार के अधूरे शब्द को समझना बेशक मुश्किल है. लेकिन अगर मन में सच्ची भावना हो, तो दूरियां कुछ मायने नहीं रखतीं. इस वेलेनटाइन डे हम आपको कुछ ऐसे ही कपल से रू-ब-रू करा रहे हैं. जिनके प्रोफेशन अलग हैं, लेकिन उन्होंने साथ जीवन जीने का संकल्प लिया. हम लोग इनसे एक-दूसरे को सम्मान देना सीख सकते हैं.

गिरिश सीपी और डॉ आदिरा दास हमेशा देते हैं एक-दूसरे का साथ

गिरिश और डॉ आदिरा मूल रूप से केरल के रहनेवाले हैं. 2015 में दोनों की शादी हुई. डॉ आदिरा ने केरल से एमबीबीएस किया. डॉ आदिरा का चिकित्सा की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए रांची आना हुआ. रिम्स से एमडी की पढ़ाई की. अभी बोकारो में कंसलटेंट के पद पर कार्यरत हैं. पति दुबई में कार्यरत थे, लेकिन तब कोरोना काल भी शुरू हो गया था. डॉ आदिरा के एक साल रांची में रहने बाद ही गिरिश भी दुबई में अपनी नौकरी छोड़कर 2021 में रांची चले आये. गिरिश सेल्स और मार्केटिंग सेक्टर से थे, लेकिन पत्नी की नौकरी के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ना बेहतर समझा. रांची आकर साउथ इंडियन व्यंजनों का रेस्टोरेंट ताजा दक्षिण खोला. दोनों के व्यवसाय अलग-अलग हैं, लेकिन एक-दूसरे के प्रति सम्मान है.

दूर रहकर भी पास हैं डॉ मधुकर-सुरुचि

डॉ मधुकर फिजियोथेरेपिस्ट हैं. गुरुनानक होम फॉर हैंडीकैप्ड चिल्ड्रेन में पिछले नौ सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं. पत्नी सुरुचि मुंगेर के स्कूल में बच्चों को बायोलॉजी पढ़ाती हैं. दोनों अपने अपने पेशे से बहुत प्रेम करते हैं. दोनों अलग-अलग जगहों पर कार्यरत हैं, ऐसे में दोनों का मिलना-जुलना बहुत कम होता है. छुट्टियों में मिलते हैं. एक-दूसरे से अलग रह कर भी अटल प्रेम और विश्वास इनके रिश्ते की पहचान है. डॉ मधुकर कहते हैं- मेरा पहला फर्ज अपने पेंशेंट को थेरेपी देना है. ऐसे में अपने वैवाहिक रिश्ते को समय नहीं दे पाता हूं, लेकिन हम दोनों एक-दूसरे के प्रोफेशन का सम्मान करते हैं. कपल के बीच अच्छी अंडरस्टैडिंग हो, तो कुछ साल क्या, पूरा जीवन भी अपने प्यार के दम पर जिया जा सकता है.

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