बापू के बाद राजीव गांधी पर सबसे ज्यादा खर्च
आरटीआइ से मिली जानकारी, सरकार ने सबसे कम नेताजी के विज्ञापन पर खर्च किया किस पर कितना खर्चमहात्मा गांधी-35.52 करोड़राजीव गांधी-3.08 करोड़जवाहर लाल नेहरू-19.36 करोड़इंदिरा गांधी- 18.14 करोड़भीमराव अंबेडकर-12.02 करोड़शहीद भगत सिंह-9.36 करोड़सरदार बल्लभ भाई पटेल-9.25 करोड़बाबू जगजीवन राम-6.72 करोड़मौलाना आजाद-3.59 करोड़लाल बहादुर शास्त्री-2.18 करोड़स्वामी विवेकानंद-89.99 लाखनेताजी सुभाषचंद्र बोस-50.02 लाखएजेंसियां, नयी दिल्लीदेश को आजाद कराने […]
आरटीआइ से मिली जानकारी, सरकार ने सबसे कम नेताजी के विज्ञापन पर खर्च किया किस पर कितना खर्चमहात्मा गांधी-35.52 करोड़राजीव गांधी-3.08 करोड़जवाहर लाल नेहरू-19.36 करोड़इंदिरा गांधी- 18.14 करोड़भीमराव अंबेडकर-12.02 करोड़शहीद भगत सिंह-9.36 करोड़सरदार बल्लभ भाई पटेल-9.25 करोड़बाबू जगजीवन राम-6.72 करोड़मौलाना आजाद-3.59 करोड़लाल बहादुर शास्त्री-2.18 करोड़स्वामी विवेकानंद-89.99 लाखनेताजी सुभाषचंद्र बोस-50.02 लाखएजेंसियां, नयी दिल्लीदेश को आजाद कराने का सेहरा बांधने की कहानी में एक नहीं कई नायक हैं. हर स्वतंत्रता सेनानी का अपना-अपना योगदान रहा है. ऐसे महापुरु षों, स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के योगदान को सदा जिंदा रखने की दिशा में सरकार की तरफ से उनके जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर विज्ञापनों के जरिये श्रद्धांजलि दी जाती है. अगर इन विज्ञापनों पर पिछले पांच साल का खर्च देखा जाये, तो महात्मा गांधी के बाद सिर्फराजीव गांधी ही ऐसे नेता हैं जिनके जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर उस वक्त की यूपीए सरकार की ओर से दिल खोल कर खर्च किया गया. बाकी नेताओं में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही ऐसे हैं, जिनके योगदान को सबसे कम खर्च के साथ इन दो खास मौकों पर याद किया गया. सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णकांत सिंह द्वारा दाखिल आरटीआइ में यह जानकारी दी गयी है. कार्यकर्ता ने सूचना अधिकारी से पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न महापुरु षों और नेताओं के जन्मदिवस और पुण्यतिथियों पर जारी किये गये विज्ञापनों पर खर्च का ब्योरा मांगा था. जवाब में सूचना एवं प्रसारण विभाग के अधीनस्थ विभाग डीएवीपी ने साल 2008 से 2013 की जानकारी देते हुए कहा कि इससे पहले की जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है.सूचना विभाग ने दी जानकारीसूचना विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा सबसे ज्यादा खर्च महात्मा गांधी के जन्मिदन और पुण्यतिथि पर किया गया. इन पांच सालों में तत्कालीन केंद्र सरकार ने राष्ट्रपिता के जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर लगभग 35,52,13,725 रु पये खर्च किये. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही ऐसे नेता रहे जिन्हें श्रद्धांजलि के तौर पर खर्च के जरिये राष्ट्रपिता के बराबर का दर्जा और सम्मान दिया गया. इतना ही नहीं, सबसे ज्यादा योजनाएं भी राजीव गांधी के नाम पर चल रही हैं. 20 अगस्त को उनके जन्मदिवस पर सद्भावना दिवस और अक्षय ऊर्जा दिवस व पुण्यतिथि को बलिदान दिवस और आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके अलावा इंदिरा गांधी के रूप में एक और गांधी ऐसी हैं जिनके विज्ञापनों पर सरकार की तरफ से पिछले पांच सालों के दौरान करीब 18,14,27,224 रु पये खर्च किये गये. वहीं खर्च के मामले में सबसे कम रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस. 23 जनवरी को मनायी जाने वाली उनकी जयंती में पिछले पांच सालों के दौरान महज 50,02,120 रु पये ही खर्च किये गये. हालांकि तत्कालीन सरकार को भगत सिंह जरूर याद आये और उसने 9,36,83,361 रु पये खर्च कर दिये.