…गोली सीने में उतरने से पहले कितनी रोयी होगी

हास्य-व्यंग्य से लोट-पोट हुए श्रोताप्रभात उत्सव संपन्न लाइफ रिपोर्टर @ रांचीस्वतंत्रता दिवस पर राजधानी के श्रोताओं ने हास्य कविता का मजा लिया. शुक्रवार को रांची क्लब के खचाखच भरे सभागार में देश के जाने-माने कवियों ने अपनी कविताओं से लोगों को लोट-पोट कर दिया. मौका था प्रभात उत्सव का. इसका आयोजन प्रभात खबर की 30वीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 16, 2014 4:00 PM

हास्य-व्यंग्य से लोट-पोट हुए श्रोताप्रभात उत्सव संपन्न लाइफ रिपोर्टर @ रांचीस्वतंत्रता दिवस पर राजधानी के श्रोताओं ने हास्य कविता का मजा लिया. शुक्रवार को रांची क्लब के खचाखच भरे सभागार में देश के जाने-माने कवियों ने अपनी कविताओं से लोगों को लोट-पोट कर दिया. मौका था प्रभात उत्सव का. इसका आयोजन प्रभात खबर की 30वीं वर्षगांठ पर किया गया. रिलायंस इंडस्ट्रीज, नारनोलिया सिक्यूरिटीज, री-ज्वॉयस मिशन के सहयोग से आयोजित काव्य सम्मेलन में कवियों ने जीवन की सच्चाई को हास्य और व्यंग्य के रूप में बताया. करीब साढ़े तीन घंटे लोग हंसते रहे. व्यंग्य के माध्यम से देश-विदेश की व्यवस्था से अवगत कराया. वीर शहीदों को अपनी ओजपूर्ण कविता से श्रद्धांजलि दी. जाने-माने कवि मंजीत सिंह ने मंच संचालन का जिम्मा संभाला. एक-एक कर कवियों का परिचय कराया. परिचय कराने के अंदाज पर ही खूब तालियां बटोरी. दिनेश दिग्गज को 42 किलो का दिग्गज, तो छत्तीसगढ़ के सुरेंद्र दुबे को जामुन पर नमक छिड़का हुआ बताया. कहा : श्री दिग्गज को पूर्व के वित्त मंत्री विदेश लेकर जरूर जाते थे. इनको दिखा कर देश की आर्थिक हालात बताते थे. गजेंद्र सोलंकी के अविवाहित होने पर भी कई चुटकियां ली. कहा : अटल जी अविवाहित होकर प्रधानमंत्री बने. नरेंद्र भाई अविवाहित होकर पीएम बने. लगता है गजेंद्र जी इसी आस में ……नाम ही आम, तो टपकना ही थाचुटकी लेते हुए मंजीत सिंह ने कहा : कई राजनीतिक पार्टियां कैसा-कैसा नाम रख लेती है. एक राजनीतिक पार्टी ने, तो ऐसा नाम रख लिया था, उसे 45 दिन में ही टपकना था. केला पार्टी रखते, तो तीन माह चलते. नारियल पार्टी रखते, तो कम से कम 30 साल तो चलते ही. उनको क्या पता था कि आम… दिनेश दिग्गज पर चुटकी लेते हुए उनको मंच पर बुलाया. सुनाया-हुए कमजोर इतने सनम तेरी जुदाई से कि चींटी खींच ले जाती है चारपाई से.कोई एमपी, कोई यूपी का बताता है ..असल में निकले हैं हड़प्पा की खुदाई से …कवि सम्मेलन की विधिवत शुरुआत गजेंद्र सोलंकी ने सरस्वती वंदना मां तू हंस वाहिनी..हर घर आंगन में खुशियों के दीप जले… से की. ………………………….दिनेश दिग्गज ने मंच संभालते ही रांची से अपनी पुरानी लगाव की बात कही. कहा-रांची आता हूं तो पुरानी कहानी याद आ जाती है. अपनी शादी के लिए लड़की देखने आया था. लड़की पसंद आने पर दहेज प्रथा पर कटाक्ष करते हुए कविता सुनायी. कहा-तू मुझे तो पसंद आ गयी..क्या तुम्हारे पिता की हैसियत कार देने की है..लड़की बोली, मेरे पिताजी की हैसियत को हवाई जहाज देने की है..हिम्मत है तो तू हवाई अड्डा बनाकर तो दिखा दे..अपनी विदेश यात्रा की कई दृष्टांत सुना कर उन्होंने श्रोताओं को खूब हंसाया. एक कविता सुनायी-मेरा पड़ोसी मिस्टर संतोषी15 साल बाद अफ्रीका से लौट कर आयाबदसूरत सी दिखने वाली अपनी पत्नी को गले लगायाबोला-ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीनादूसरे साथी ने पूछा अपनी पत्नी से इतना प्रेम क्यों…कहा- आप भी 15 साल अफ्रीका में रह कर आ जाओआपको अपनी पत्नी भी कैटरीना नजर आयेगी..पति-पत्नी के संबंधों पर चुटकी लेते हुए दिनेश दिग्गज ने सुनाया-तू चंद्र मुखी, मैं सूरज मुखी..तू मुझसे दुखी, मैं..चल छत पर, कूद पड़े दोनों.. फिर तू भी सुखी और मैं भी सुखीतू मेरे दिल में कुछ इस कदर से रहती हैजैसे मोबाइल में सिम रहता है पत्नी ने एक बेलन दिया… कहा-सब पता है आजकल डबल सिम का मोबाइल भी आता है..प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्रित कर चायवाले पर आधारित व्यंग्य से चुटकी लेते हुए दिनेश ने मंच से विदा लेने से पूर्व सुनाया..हम उनके लिए सितारों की चादर तानते रह गये..वह किशन लाल के साथ भाग गयी, हम चाय छानते रह गये………………………..मंच संभालते हुए मंजीत सिंह ने कई चुटकुले सुनाये. कहा-एक टीचर ने बच्चे से पूछा-लालू ने चारा खाया, इसका फ्यूचर टेंस क्या होगा? बच्चे ने बातया- अब लालू दूध देगाओज रस के कवि गजेंद्र सोलंकी को माइक पर बुलाने से पूर्व मंजीत सिंह ने सुनाया-एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर देता है..बेजुबाना को छत से घर कर देता है………. गजेंद्र सिंह सोलंकी ने सरदार मंजीत सिंह की ओर से इशारा करते हुए एक चुटकुला सुनाया.कहा-एक सरदार, खिड़की से झांक कर देखा तो सड़क पर कोई नहीं थासड़क पर जाकर देखा, तो खिड़की में कोई नहीं था..वीररस की कविता सुना कर लोगों को देशभक्ति में सराबोर करते हुए गजेंद्र ने सुनाया-युगो-युगो तक इस धरती पर भारत मां की शान रहे..रामकृष्ण-रामायण, गीता-कुरान, गुरु-ग्रंथ साहिब की आन-बान रहेलेकिन, सबसे पहले हर दिल में हिंदुस्तान रहे..युग-युग से कल-कल करता गंगा-जमुना का पानी है..एक सभ्यता, अपनी संस्कृति अपना इतिहास रहे ..जाति-पंथ सौ अलग भले हो..अपना हिंदुस्तान रहे…भूल न जाना स्वतंत्रता के अमर क्रांति बलिदानों को..आजादी की लौ पर जलनेवाले उन परवानों को..आओ मिल कर नमन करें आजादी के उन दीवानों को..गजेंद्र सिंह ने कहा कि आज भी भारत विश्व गुरु है. आर्थिक और सामाजिक रूप से भले ही कमजोर हों, लेकिन देश की अपनी शक्ति है. भारत क्यों विश्व गुरु है, इस पर आधारित कविता पाठ किया. सुनाया-गंगा की कल-कल सीने मेंचंदन सी सुगंध पसीने में.. जो कहते भारत दीन-हीनकायर कपूत लज्जा विहीनउनको इतिहास बताता हूंजब जग पर थे तम के साये..तब तत्व ज्ञान को पहचानाजग ने भी हमें विश्व गुरु मानाहम अर्थशास्त्र के अन्वेषक हमने ही शून्य का ज्ञान दिया.. नालंदा हो या तक्षशिला..मन को ज्ञान से मिला दिया..सेवा सत्कार समर्पण है..जिसके आंचल में पलने को लेता जन्म विधाता है……………………………………………..गजेंद्र सिंह सोलंकी के बाद मंच पद्मश्री सुरेंद्र दुबे ने संभाला. आते ही झारखंड और छत्तीसगढ़ को भाई-भाई बताया. छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारी श्री दुबे ने मंजीत सिंह पर चुटकी ली. एक किस्सा सुनाया- मैं और मंजीत अमेरिका में एक मॉल में सिनेमा देखने गये. बगल में बैठा एक अंगरेज बार-बार खांस रहा था. मंजीत ने कई बार कहा, लेकिन अंगरेज खांस ही रहा था. मंजीत ने एक चीज अंगरेज को दी. कहा-इसे चूसते रहना. चबाना नहीं. अंगरेज फिल्म देखने तक चबाता रहा. बाहर निकला तो देखा, मंजीत ने पैंट का बटन उसे दे दिया था. …बाबा की आंख आज तक नहीं खुली श्री दुबे ने सुनाया- एक बार मल्लिका शेरावत पांच मिनट के लिए बाबा रामदेव से मिली… बाबा की एक आंख बंद हुई, जो आज तक नहीं खुली. मजा लेने की राजनीति… श्री दुबे ने कहा कि देश में मजा लेने की राजनीति हो रही है. एक बार राहुल गांधी अपनी मां के कमरे में गये रोने लगे. अरे- जिसका 42 साल का बेटा ऐसा फालतू हो, उसकी मां रोयेगी नहीं, तो क्या हंसेगी ? श्री दुबे ने नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा की समानता पर एक कविता सुनायी. कहा-बराक ओबामा और नरेंद्र मोदी में एक बात खास है..दोनों में गजब का आत्म विश्वास हैदोनों का गरीबी का इतिहास हैदोनों का जनसमर्थन पास हैगरीब और गरीबी का साथ है..बेटियों पर आधारित कविता के साथ डॉ सुरेंद्र दुबे ने मंच से विदा ली. तालियों की गड़गड़ाहट से डॉ दुबे को विदा किया.. बेटी क्या होती..फली-फूली टहनियांजड़ों के तरफ मुड़ी रहती हैबेटियां कहीं भी रहे मां-बाप से जुड़ी रहती है..बेटी सात समंदर पार न्यूयॉर्क में भी रहे मां-बाप रांची में खांस देते हैं तो न्यूयॉर्क में अहसास होता है……………………….तारक मेहता का उल्टा चश्मा फे म शैलेश लोढ़ा का मंच पर श्रोताओं ने तालियों से स्वागत किया. करीब 45 मिनट तक उन्होंने लोगों का खूब मनोरंजन किया. कई चुटकुले सुनाये. कविता के माध्यम अपना संदेश लोगों तक पहुंचाया. देश भक्ति का संदेश दिया. कविता के माध्यम से उन्होंने भारत की संस्कृति को महान बताया. उन्होंने सुनाया-मुझे भी अमेरिका आ जाना चाहिएयह आइडिया वहां के बुजुर्गों को सुनायाबुजुर्गों ने कहा : हम ऊपर से हंसते हैं नीचे से पिसते हैंवहां (भारत में) तो छोटा छिप जायेगा, बड़े के सामने सिगरेट नहीं पिएगा बेटी की विदाई पर छोटे पांव छूते हैं..विश्व में भारत ही एक देश में जहां बच्चे मां-बाप के पांव छूते हैं…. पर मेरे देश में संस्कार है…वीर रस की गीत सुना कर श्री लोढ़ा ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. उनके गीत सच है हमारे इरादे विध्वंसक नहींसुन ले दुनियाअहिंसक हैं हम नपुंसक नहीं…दर्द पीकर दिखाएं हम वतन के लिए मर-मर कर दिखाएं हम वतन के लिए..आप जीकर दिखाएं इस वतन के लिए जिन दिन तू शहीद हुआना जाने मां किस तरह सोयी होगीगोली सीने में उतरने से पहले भी कितनी रोयी होगी..इससे पूर्व कई चुटकुला सुना कर लोगों का खूब मनोरंजन किया. लोगों को समाज सेवा के लिए भी प्रेरित किया. कहा कि हर सार्मथ्यवान व्यक्ति एक-एक बच्चे को मुस्कुराहट देनी चाहिए. इससे पूर्व कवियों का स्वागत प्रभात खबर के वरीय संपादक अनुज कुमार सिन्हा ने किया. मंच संचालन संपादक (फीचर) विनय भूषण ने किया.

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