गूगल के इंटरनेट केबल को सार्क से खतरा (बॉटम)

त्रइन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में जुटी कंपनीत्रअमेरिका में जल्द एक गीगा बाइट होगी स्पीडत्रहार्ड मटेरियल में लपेटे जा रहे हैं इंटनेट केबलसेंट्रल डेस्कप्रशांत महासागर में बिछाये गये गूगल के इंटरनेट केबल को सार्क से खतरा है. दुनिया भर के देशों को सूचना के नेटवर्क से जोड़नेवाली इस कंपनी ने इसके उपाय करने शुरू कर दिये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 16, 2014 4:00 PM

त्रइन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में जुटी कंपनीत्रअमेरिका में जल्द एक गीगा बाइट होगी स्पीडत्रहार्ड मटेरियल में लपेटे जा रहे हैं इंटनेट केबलसेंट्रल डेस्कप्रशांत महासागर में बिछाये गये गूगल के इंटरनेट केबल को सार्क से खतरा है. दुनिया भर के देशों को सूचना के नेटवर्क से जोड़नेवाली इस कंपनी ने इसके उपाय करने शुरू कर दिये हैं. इन केबल्स को केवलर जैसे हार्ड मेटेरियल में लपेटा जा रहा है. केवलर का इस्तेमाल बुलेटप्रूफ ड्रेस बनाने और सेना के बख्तरबंद बनाने में होता है.नेटवर्क वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजर डैन बेल्चर का कहना है कि कंपनी अपने नेटवर्क को बचाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए हर कदम उठायेगी. खबरों के मुताबिक, 1980 के दशक में पानी के अंदर बिछाये गये केबल को सार्क से कोई नुकसान नहीं था. लेकिन, 1987 में न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी, जिसमें कहा गया कि अमेरिका, यूरोप और जापान को जोड़नेवाले केबल को सार्क मछलियां नुकसान पहुंचा रही हैं. इसलिए दुनिया भर के कई देशों के इंटरनेट नेटवर्क फेल हो गये.यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 1985 में कैनरी द्वीप से होकर गुजरनेवाले प्रायोगिक केबल पर सार्क के दांतों के निशान देखे गये थे. कहा जाता है कि पुराने कॉपर के केबल की तुलना में नये केबल काफी पावरफूल हैं. सो केबल के आसपास इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फील्ड बनता है, जिससे सार्क आकर्षित होते हैं और वे केबल को नुकसान पहुंचा देते हैं.बहरहाल, फाइबर ऑप्टिक केबल्स के जरिये सूचना का आदान-प्रदान तेजी से होता है. लेकिन, अमेरिका में इंटरनेट की स्पीड प्रति सेकेंड एक गीगा बाइट तक करने के लिए गूगल तमाम केबल्स को अपग्रेड कर रही है.

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