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स्टील एवं पावर परियोजना (संपादित)

स्टील एवं पावर प्लांट के 1.44 लाख करोड़ की परियोजना लंबितरांची. स्टील एवं पावर क्षेत्र में राज्य में 1.44 लाख करोड़ की महत्वपूर्ण परियोजना लंबित है. ये परियोजनाएं जमीन, भूमि हस्तांतरण, वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस, खदानों के क्लीयरेंस, लीज, लीज नवीकरण व अन्य वजहों से लंबित हैं. क्लीयरेंस की वजह से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी […]

स्टील एवं पावर प्लांट के 1.44 लाख करोड़ की परियोजना लंबितरांची. स्टील एवं पावर क्षेत्र में राज्य में 1.44 लाख करोड़ की महत्वपूर्ण परियोजना लंबित है. ये परियोजनाएं जमीन, भूमि हस्तांतरण, वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस, खदानों के क्लीयरेंस, लीज, लीज नवीकरण व अन्य वजहों से लंबित हैं. क्लीयरेंस की वजह से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत चार हजार मेगावाट के अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट का मामला भी लंबित है. केंद्र सरकार ने बड़ी परियोजनाओं के लिए प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग ग्रुप (पीएमजी) भी बनायी है. इसके बावजूद अबतक कंपनियों के लिए भूमि व क्लीयरेंस की समस्या बनी हुई है. जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेडपरियोजना-स्टील प्लांट, पावर प्लांटप्रस्तावित निवेश-55 हजार करोड़मुख्य अड़चन-जमीन तथा वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंसजिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड द्वारा कुल 55 हजार करोड़ रुपये निवेश का प्रस्ताव है. इसके तहत पतरातू व आसनबनी में छह-छह एमटी के दो स्टील प्लांट व गोड्डा में 1320 मेगावाट के पावर प्लांट का निर्माण किया जाना है. कंपनी को चारों परियोजनाओं के लिए भूमि आवश्यकता के अनुरूप नहीं मिल रही है. पतरातू में प्रस्तावित स्टील प्लांट के लिए लौह अयस्क खदान का आवंटन नहीं हो सका है. वहीं पावर प्लांट के लिए आवंटित अमरकोंडा-मुर्गाडंगल में पर्यावरण क्लीयरेंस को लेकर मामला लंबित है. कंपनी का मामला प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग ग्रुप(पीएमजी) के पास भी है. आर्सेलर-मित्तलपरियोजना-स्टील प्लांटप्रस्तावित निवेश-40 हजार करोड़आर्सेलर-मित्तल की परियोजना वर्ष 2006 से ही लंबित है. कंपनी द्वारा बोकारो जिले में 10 एमटी क्षमता की स्टील प्लांट लगाने का प्रस्ताव है. पर इसके लिए करीब 10 हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता है. जो नहीं मिली है. कंपनी को आवंटित लौह अयस्क का मामला भी फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर लंबित है. इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लिमिटेडपरियोजना-तीन एमटी का इंटीग्रेटेड स्टील प्लांटनिवेश-10 हजार करोड़कंपनी का प्लांट चंदनकियारी में उत्पादन के लिए तैयार है. कंपनी को आवंटित कोदलीबाद लौह अयस्क खदान के लिए वन भूमि हस्तांतरण का मामला लंबित है. साथ ही अबतक कंसेंट टू ऑपरेट की अनुमति नहीं मिल सकी है. तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्टक्षमता-4000 मेगावाटप्रस्तावित निवेश-16000 करोड़केंद्र सरकार की अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट योजना के तहत तिलैया में चार हजार मेगावाट के पावर प्लांट का निर्माण होना है. लोवेस्ट लेवेलाइज्ड टैरिफ बेस्ड बिडिंग के आधार पर रिलांयस पावर को पावर प्लांट निर्माण का काम मिला है. इस कंपनी के साथ एसपीवी बना कर झारखंड इंटीग्रेटेड पावर लिमिटेड का गठन किया गया. पावर प्लांट के लिए कोल ब्लॉक का आवंटन हो चुका है. पर कोल ब्लॉक के लिए माइनिंग लीज नहीं मिली है. वहीं पावर प्लांट के लिए फॉरेस्ट लैंड के हस्तांतरण का मामला राज्य व केंद्र सरकार के बीच लंबित है. इस परियोजना की शर्त्तों के तहत एक हजार मेगावाट बिजली झारखंड को लागत दरों पर देनी है. आधुनिक ग्रुपपावर प्लांट व स्टील प्लांटप्रस्तावित निवेश-10 हजार करोड़आधुनिक ग्रुप द्वारा कांड्रा में छह एमटी का स्टील प्लांट लगाया जाना है. साथ ही 1080 मेगावाट का पावर प्लांट भी लगाया जाना है. कंपनी द्वारा पहले चरण में 540 मेगावाट के पावर प्लांट की स्थापना की गयी है. उत्पादन हो रहा है. वहीं स्टील प्लांट के लिए पहले चरण में 0.6 एमटी का प्लांट लगाया गया है. प्लांट चालू है. स्टील प्लांट के लिए कंपनी को लौह अयस्क का आवंटन नहीं हुआ है. वहीं पावर प्लांट के लिए कंपनी को अभी भी बाजार से कोयला खरीदना पड़ता है. कंपनी को आवंटित गणेशपुर कोल ब्लॉक में भूमि व फॉरेस्ट क्लीयरेंस का मामला लंबित है. जिसकी वजह से विस्तारीकरण पर काम नहीं हो पा रहा है. टाटा पावर तिरुलडीह में 1980 मेगावाट का पावर प्लांटप्रस्तावित निवेश-10 हजार करोड़टाटा पावर द्वारा तिरुलडीह में 1980 मेगावाट का पावर प्लांट प्रस्तावित है. प्लांट के लिए 1243 एकड़ भूमि की जरूरत है. जिसमें 450 एकड़ रैयती जमीन खरीद ली गयी है. 130 एकड़ ट्राइबल व ओबीसी भूमि अधिग्रहण का मामला उपायुक्त के स्तर पर लंबित है. जिसके चलते पावर प्लांट का निर्माण कार्य लंबित है. सेलगुवा में पैलेटाइजेशन प्लांटप्रस्तावित निवेश-3000 करोड़सेल द्वारा गुवा आयरन ओर माइंस के समीप तीन हजार करोड़ की लागत से पैलेटाइजेशन प्लांट लगाने का प्रस्ताव है. सारंडा वाइल्ड लाइफ प्लान राज्य सरकार के स्तर पर लंबित है. जिसके चलते भूमि का हस्तांतरण नहीं हो पा रहा है. वहीं केंद्र सरकार के पास फॉरेस्ट क्लीयरेंस का स्टेज टू भी लंबित है. जिसके चलते गुवा आयरन ओर माइंस से लौह अयस्क की खुदाई बंद हो गयी है.

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