समस्या : अधूरी रह गयी 233 सड़क, फंस गये सब (संपादित)

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाकेंद्र की सहमति के बिना योजना क्लोज नहीं-आठ साल पुरानी योजना भी नहीं हो सकी पूरी-90 फीसदी तक काम पूरा-उग्रवाद, वन भूमि, भू-विवाद की वजह से लटका है कामप्रमुख संवाददातारांची : राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत निर्माण होनेवाली 233 सड़कें अधूरी पड़ी हैं. फिलहाल इन सड़कों का काम बंद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2014 5:59 PM

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाकेंद्र की सहमति के बिना योजना क्लोज नहीं-आठ साल पुरानी योजना भी नहीं हो सकी पूरी-90 फीसदी तक काम पूरा-उग्रवाद, वन भूमि, भू-विवाद की वजह से लटका है कामप्रमुख संवाददातारांची : राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत निर्माण होनेवाली 233 सड़कें अधूरी पड़ी हैं. फिलहाल इन सड़कों का काम बंद है. आठ साल पहले शुरू हुई योजनाएं भी अधर में लटकी हैं. इनमें से बहुत सी ऐसी योजनाएं हैं, जिनका काम 90 फीसदी हो गया है. यानी सड़क पर बिटुमिन्स का भी काम करा दिया गया है. कुछ हिस्से में काम बाकी है. ऐसी स्थिति में इन योजनाओं को भी अधूरी की सूची में रखा गया है. थोड़े से काम की वजह से विभाग व ठेकेदार दोनों फंसे हुए हैं. काम अधूरा होने से ठेकेदार की सिक्युरिटी मनी भी फंसी हुई है.क्यों अधूरा पड़ा है कामगुमला, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार, चतरा, पलामू , गढ़वा, गिरिडीह, हजारीबाग, खूंटी, रांची, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद सहित संताल के कुछ जिलों में काम नहीं होने का बड़ा कारण उग्रवाद है. उग्रवादी ठेकेदारों को डरा-धमका कर लेवी की मांग करते हैं. कहीं-कहीं पर तो ठेकेदार के लोगों पर हमला किया जाता है. जान के डर से ठेकेदार कार्य स्थल पर नहीं जाते. इंजीनियर भी उन इलाकों में जाने से डरते हैं. वहीं कई काम वन भूमि की वजह से लटके पड़े हैं. फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने से भी कई परियोजनाएं लटकी हंै. कहीं-कहीं तो भू-विवाद में मामला लटका हुआ है.केंद्र की अनुमति से हो सकता है काम क्लोजइन योजनाओं को केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही क्लोज किया जा सकता है. राज्य सरकार ने इन योजनाओं के बाबत नेशनल रूरल रोड डेवलपमेंट ऑथोरिटी से बात की थी. ऑथोरिटी ने क्लीयर किया है कि हर हाल में सड़क का निर्माण कराया जाये. अगर सड़क नहीं बनती है, तो राज्य सरकार इसके लिए जिम्मेवार है. अगर सरकार क्लोज करती है, तो वही इसका पूरा खर्च भी वहन करे. केंद्र सरकार इसके लिए राशि नहीं देगी.

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