प्रदर्शनकारियों की अधिकतम मांगों को पूरा करें : राष्ट्रपति

राजनीतिक संकट पर ममनून हुसैन से मिले नवाज शरीफशरीफ ने राजनीतिक संकट पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति से मुलाकात की :सज्जाद हुसैन: इसलामाबाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने गुरुवार को यहां राष्ट्रपति ममनून हुसैन से मुलाकात करके विपक्ष के नेता इमरान खान और धर्मगुरु ताहिरुल कादरी के नेतृत्ववाले सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण पैदा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2014 6:00 PM

राजनीतिक संकट पर ममनून हुसैन से मिले नवाज शरीफशरीफ ने राजनीतिक संकट पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति से मुलाकात की :सज्जाद हुसैन: इसलामाबाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने गुरुवार को यहां राष्ट्रपति ममनून हुसैन से मुलाकात करके विपक्ष के नेता इमरान खान और धर्मगुरु ताहिरुल कादरी के नेतृत्ववाले सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण पैदा वर्तमान राजनीतिक संकट पर चर्चा की. शरीफ ने राष्ट्रपति को खान और कादरी के प्रदर्शनों से शांतिपूर्ण समझौते के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों से अवगत कराया. प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को कानून व्यवस्था की स्थिति खासकर संवेदनशील ‘रेड जोन’ मंे प्रदर्शनकारियों के घुसने के बारे में भी बताया. ‘रेड जोन’ में संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास, राष्ट्रपति आवास, सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य महत्वपूर्ण सरकारी इमारतें हैं. सूत्रों ने कहा कि हुसैन ने शरीफ से कहा कि एक निर्वाचित प्रधानमंत्री होने के नाते, उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए, लेकिन तनाव कम करने के लिए प्रदर्शनकारियों की अधिकतम मांगों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए. राष्ट्रपति ने सरकार से सभी प्रमुख कार्यालयों और राजनयिक दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा. पाकिस्तान में राष्ट्रपति पद औपचारिक है, लेकिन संसद को कार्यवाही के लिए बुलाने और अदालतों द्वारा दी गयी सजा माफ करने से संबंधित शक्तियों के कारण यह पद राजनीतिक संकट की स्थिति में महत्वपूर्ण हो जाता है. हुसैन शरीफ की पार्टी के ही हैं और राष्अ्रपति पद के लिए शरीफ ने ही उन्हें चुना है.जरदारी को भी किया टेलीफोनइस बीच, ‘जियो न्यूज’ ने खबर दी कि शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति और पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी को टेलीफोन पर वर्तमान राजनीतिक स्थिति से अवगत कराया. सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया कि दोनों नेताओं ने देश में जारी प्रदर्शनों पर अपने-अपने नजरिये साझा किये. शरीफ और जरदारी इस बात पर सहमत हुए कि वे संविधान की पवित्रता से समझौता नहीं करंेगे.

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