चार साल में कबाड़ हो गयी सिटी बसें

सिटी बस के ड्राइवर व कंडक्टर बोले, निगम चलाये या जेटीडीसी, पर बसें चले तो सही. रांची: राजधानी में सिटी बसों का परिचालन पिछले तीन दिनों से बंद है. बसों के परिचालन को लेकर जेटीडीसी व नगर निगम आमने सामने है. वर्तमान में बस का संचालन कर रही एजेंसी जेटीडीसी का कहना है कि ये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2014 5:46 PM

सिटी बस के ड्राइवर व कंडक्टर बोले, निगम चलाये या जेटीडीसी, पर बसें चले तो सही. रांची: राजधानी में सिटी बसों का परिचालन पिछले तीन दिनों से बंद है. बसों के परिचालन को लेकर जेटीडीसी व नगर निगम आमने सामने है. वर्तमान में बस का संचालन कर रही एजेंसी जेटीडीसी का कहना है कि ये बसें नगर निगम की है, इसलिए इन बसों का संचालन नगर निगम करे. वहीं नगर निगम के अधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि वर्तमान में बसों की हालत बहुत खराब है. निगम के पास इतने पैसे नहीं है कि वह इनकी मरम्मत करवा सके. इसलिए जेटीडीसी इन बसों की मरम्मत करा कर हमें सौंपे. बुधवार को सिटी बसों के ड्राइवर व कंडक्टरों ने मेयर आशा लकड़ा से भी मुलाकात की. मेयर से मांग की गयी कि बसें जेटीडीसी चलाये या नगर निगम हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है. परंतु बसें चलनी चाहिए. बसों का परिचालन नहीं होने से उनके परिवार को खाने के लाले पड़ गये हैं. आधी से अधिक बसें हो गयीं कबाड़: जेएनएनयूआरएम योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी राशि से सरकार ने 70 सिटी बसों की खरीदारी की थी. शुरुआत में नगर निगम ने कर्मचारियों की कमी का बहाना बना कर बसों का परिचालन का कार्य करने से इनकार किया. फिर जेटीडीसी को बस परिचालन का कार्य सौंप दिया गया. इधर जेटीडीसी के पास मात्र छह कर्मचारी थे. इसलिए जेटीडीसी ने भी बसों का परिचालन कार्य निजी एजेंसी आस्क सिक्यूरिटी को सौंप दिया. एजेंसी ने पिछले तीन सालों तक बसों का परिचालन किया, परंतु बसों के मेंटेनेंस पर किसी का ध्यान नहीं था. आज इन बसों की हालत ऐसी हो गयी है कि इनके टायर घिस चुके हैं. बैटरी जवाब दे चुकी है. सीट फट चुके हैं. खिड़की व आगे-पीछे का शीशा टूट चुका है. रोड टैक्स आदि भी बकाया है. समय पर मरम्मत नहीं होने के कारण आधी से अधिक बसें चलने के लायक नहीं रह गयी हैं. ये बसें बस डिपो में खड़ी-खड़ी कबाड़ में तब्दील हो गयी हैं.

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