भारत में खतरनाक एनडीएम-4 की मौजूदगी का पता चला
एजेंसियां, अलीगढ़अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय ‘एएमयू’ के जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज ‘जेएनएमसी’ के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2010 में चिकित्सा विज्ञान जगत में खलबली मचाने वाले ‘सुपरबग’ एनडीएम-1 की अगली पीढ़ी के जानलेवा बैक्टीरिया एनडीएम-4 का पता लगाया है. जेएनएमसी के सीवेज के नमूनों की जांच में यह रहस्योद्घाटन हुआ है.ब्रिटेन के जर्नल मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी के […]
एजेंसियां, अलीगढ़अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय ‘एएमयू’ के जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज ‘जेएनएमसी’ के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2010 में चिकित्सा विज्ञान जगत में खलबली मचाने वाले ‘सुपरबग’ एनडीएम-1 की अगली पीढ़ी के जानलेवा बैक्टीरिया एनडीएम-4 का पता लगाया है. जेएनएमसी के सीवेज के नमूनों की जांच में यह रहस्योद्घाटन हुआ है.ब्रिटेन के जर्नल मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी के ताजा अंक में इस अध्ययन के तथ्य प्रकाशित किये गये हैं. वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा इस साल के शुरू में यह अध्ययन किया गया था. इसके जरिये भारत में सुपरबग एनडीएम-4 की मौजूदगी पहली बार दर्ज की गयी है जो देश में चिकित्सा प्रशासन के लिए गहरी चिंता का सबब बन सकती है.सीवेज के पानी में मिलाएएमयू की अंत:विषयी जैवप्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के मुख्य समन्वयक असद उल्ला खां ने बताया कि मेडिकल कालेज के अस्पताल के सामान्य वार्ड के शौचालयों से करीब 10 मीटर दूर तीन स्थानों पर बहने वाले सीवेज के पानी के नमूने लेकर उनकी जांच की गयी थी, जिसमें एनडीएम-4 की मौजूदगी का पता लगाया गया. देश में इस सुपरबग की मौजूदगी का पहली बार पता लगा है. इसके पूर्व कैमरुन, डेनमार्क, फ्रांस तथा चेक गणराज्य में एनडीएम-4 पाया गया है. यह एनडीएम-1 से कहीं ज्यादा घातक है.एंटीबायोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल का नतीजाइससे पहले, वर्ष 2010 में एनडीएम-1 नामक सुपरबग ने चिकित्सा विज्ञान जगत में खलबली मचायी थी. वह एंजाइम बेहद शक्तिशाली एंटीबायोटिक को भी नाकाम करने की ताकत रखता था और उसने वैज्ञानिकों के सामने और भी ताकतवर एंटीबायोटिक बनाने की चुनौती पेश की थी. यह सुपरबग एंटीबायोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल का नतीजा होता है.कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को खतरा ज्यादाखां ने कहा कि भारत में एनडीएम-4 की मौजूदगी को लेकर घबराने या किसी तरह की हड़बड़ी करने की जरूरत नहीं है. चंूकि देश में साफ-सफाई के मामले में स्थिति खराब है लिहाजा हमें इस दिशा में और जागरूकता फैलाने की फौरी जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस बैक्टीरिया से कैंसर तथा एचआइवी पीडि़तों जैसे कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है जबकि अच्छे स्वास्थ्य वाले लोगों को इससे कम खतरा है, क्योंकि वे आमतौर पर साफ-सफाई के सामान्य नियमों का पालन करते हैं. खां ने कहा कि यह सुपरबग बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए उसकी छोटी से छोटी मौजूदगी को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता.