।। मनोज सिंह ।।
रांची : भारत सरकार आधार आधारित राशन वितरण प्रणाली के झारखंड के सिस्टम को अपना सकता है. झारखंड में पायलट प्रोजेक्ट के तहत ओरमांझी में आधार आधारित राशन वितरण प्रणाली की शुरुआत की गयी है. इसके सफल प्रयोग को भारत सरकार ने काफी सराहा है. केंद्र सरकार के सामने राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग के पदाधिकारियों ने प्रेजेंटेशन भी दिया था, जिसे भी सराहा गया है.
* हर दिन का रिकॉर्ड रहता है सरकार के पास
राशन वितरण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है. जनवरी माह में ओरमांझी में सभी राशन दुकानदारों को सरकार एक-एक डिवाइस (हैंड हेल्ड डिवाइस) उपलब्ध करायी है. इसमें उनके क्षेत्र में आनेवाले सभी उपभोक्ता का आधार कार्ड नंबर और टेलीफोन नंबर फीड है. कोई भी उपभोक्ता राशन कार्ड नंबर के साथ दुकानदार के पास जाकर अपना राशन ले सकता है. इसके लिए उसे अपने अंगूठे का निशान उस मशीन में लगाना होता है. निशान लगाते ही उपभोक्ताओं को पता चल जाता है कि महीने में क्या-क्या सुविधा मिलनेवाली है. पूरे माह अपनी सुविधा के अनुसार राशन, केरोसिन या नमक उपभोक्ता उठा सकते हैं.
* झारखंड में 82 फीसदी के पास आधार कार्ड
झारखंड में 82 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड है. सबसे अधिक 92 फीसदी आधार कार्ड लोहरदगा के लोगों के पास है. लोहरदगा की कुल आबादी 461738 है. इसकी तुलना में 428287 लोगों के पास आधार कार्ड है. सबसे कम आधार कार्ड देवघर के लोगों के पास हैं. वहां के मात्र 74.49 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड है. राज्य की कुल आबादी 32966238 है. इसमें 26811488 आबादी के पास आधार कार्ड है.
राज्य में आधार आधारित स्कीम कई योजनाओं में चल रही है. रांची जिले के ओरमांझी से इसकी शुरुआत हुई थी. राज्य सरकार के सहयोग से काफी सफल रहा है. अब गोविंदपुर (धनबाद) में भी इसकी शुरुआत होनेवाली है. इसका फायदा राज्य की जनता को मिलने लगा है. भारत सरकार ने राज्य के इस प्रयोग की काफी सराहना की है.
अरविंद प्रसाद, सहायक महानिदेशक, यूएआइडीआइ, झारखंड
– भारत सरकार के अधिकारी लगातार इस प्रयोग को देखने के लिए आ रहे हैं. इसकी काफी सराहना भी हुई है. देश में पहली बार इस सिस्टम को ऑनलाइन लागू किया गया है. इससे राशन की डिलिवरी होते ही राज्य सरकार को सूचना मिल जाती है. कई राज्यों ने इसका ऑफ लाइन प्रयोग किया था.
रजनीश कुमार, बीडीओ, ओरमांझी