राज्य सरकार ने कसा सीसीएल पर शिकंजा

।। राणा प्रताप ।। रांची : राज्य सरकार ने कोयला मंत्रालय द्वारा सीसीएल के लिए अधिग्रहित गैरमजरूआ जमीन के मामले में कड़ी आपत्ति जतायी है. 2532.02 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के पूर्व राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं लिया गया. सलामी राशि का भी भुगतान भी नहीं किया गया है. इसके बावजूद भारत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2014 5:58 AM

।। राणा प्रताप ।।

रांची : राज्य सरकार ने कोयला मंत्रालय द्वारा सीसीएल के लिए अधिग्रहित गैरमजरूआ जमीन के मामले में कड़ी आपत्ति जतायी है. 2532.02 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के पूर्व राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं लिया गया. सलामी राशि का भी भुगतान भी नहीं किया गया है.

इसके बावजूद भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी. इतना ही नहीं रामगढ़ जिला में तोपा पुनर्गठन परियोजना के लिए 204.33 एकड़ व आरा पुनर्गठन परियोजना के लिए 441.49 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है, लेकिन अधिसूचना में भूमि के किस्म का उल्लेख भी नहीं किया गया है. कोल बियरिंग एरिया एक्ट-1957 की धारा सात व आठ की उप धारा (1) के तहत जमीन अधिग्रहित की गयी है.

* प्रचलित निबंधन दर के आधार पर सलामी राशि मांगने का निर्देश : राजस्व के भारी नुकसान को देखते हुए सरकार के राजस्व विभाग के प्रधान सचिव जेबी तुबिद ने पत्रांक 253/11.9.2014 के माध्यम से उपायुक्तों को निर्देश जारी किया है. कहा है कि सीबीए एक्ट की धारा 9 (1) के प्रावधान के अनुसार गैरमजरूआ जमीन के मामले में अधिग्रहण के पूर्व राज्य सरकार से एनओसी लेना आवश्यक है, जो अब तक सीसीएल द्वारा नहीं लिया गया है.

सीसीएल के भू संपदा पदाधिकारी, क्षेत्र के संबंधित महाप्रबंधक या कोयला मंत्रालय को एक सप्ताह के अंदर लिखित आपत्ति दर्ज कराया जाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. आपत्ति में धारा 9 (1) के अतिरिक्त सरकारी भूमि का मूल्य (सलामी) प्रति एकड़ प्रचलित निबंधन कार्यालय के दर के आधार पर वसूल करने का निर्देश दिया गया है.

सरकार व कब्जेधारी रैयतों को एनटीपीसी ने किया है भुगतान : केंद्र सरकार के उपक्रम एनटीपीसी के टंडवा पावर प्रोजेक्ट के लिए गैरमजरूआ जमीन का अधिग्रहण किया गया है.

एनटीपीसी ने प्रचलित बाजार दर के आधार पर गैर मजरूआ भूमि के लिए राज्य सरकार को राशि का भुगतान किया है. साथ ही 30 वर्षों से अधिग्रहित गैरमजरूआ जमीन पर दखल-कब्जा रखनेवाले रैयतों को भी अलग से राशि का भुगतान किया गया है.

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