रांची : झारखंड में आठवीं अनुसूची में सूचिबद्ध जनजातीय भाषा के व्याख्याताओं की नियुक्ति पेंच में फंस गया है. मानव संसाधन विभाग का कहना है कि एक जुलाई 2008 को बनी औपबंधिक मेधा सूची की तर्ज पर वर्ष 2014 में नियुक्ति करने पर जेपीएससी ने आपत्ति जतायी है.
जेपीएससी के अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्रीय भाषाओं के व्याख्याताओं की नियुक्ति के संबंध में औपबंधिक मेधा सूची 1.7.2008 को तैयार की गयी थी. इसकी वैधता 1.7.2009 को ही समाप्त हो गयी है. झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम 2000 के प्रावधानों के आलोक में तत्कालीन मेधा सूची को पांच वर्ष बाद नहीं माना जा सकता है. उस समय बने पैनल की वैधता भी अब नहीं है. इस वजह से व्याख्याताओं और जनजातीय भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति राज्य में नहीं हो पा रही है.
* टीएसी की बैठक में उठा था मामला
जनजातीय सलाहकार पर्षद की 27 सितंबर को हुई बैठक में विधायक दीपक बिरुवा ने जनजातीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति का मामला उठाया था. इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया था.
* जनजातीय भाषा शिक्षकों के 677 पद खाली
राज्य में 589 राजकीयकृत उच्च विद्यालय और 1232 उत्क्रमित विद्यालय हैं. जहां पर जनजातीय भाषाओं के शिक्षकों के 677 पद खाली हैं. राज्य सरकार की मानें, तो उत्क्रमित सभी उच्च विद्यालयों में नियुक्ति की कार्रवाई की जा रही है. इसकी वजह से संताली, हो, मुंडारी, उरांव, खडि़या भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है और ये पद रिक्त पड़े हैं. राजकीयकृत उच्च विद्यालय में जनजातीय भाषा के शिक्षकों के कुल 276 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 113 शिक्षक ही अभी कार्यरत हैं. जबकि 163 पद अब भी खाली हैं. वहीं उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में सभी 514 स्वीकृत पद पर कोई नियुक्ति नहीं की जा सकी है.
* विभागों से रिक्तियों की जानकारी मांगी गयी
मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने सभी विभागों से रिक्तियों की जानकारी मांगी है. उन्होंने सभी विभागीय प्रमुखों से कहा है कि वे सरकारी सेवाओं की रिक्तियों की जानकारी जल्द भेजें. मुख्य सचिव की ओर से इस संबंध में जल्द ही बैठक कर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया जायेगा.