अपनी एकजुटता पर ही भरोसा करें सरना आदिवासी : अजय तिर्की
फोटो सुनीलकेंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में नौ जिलों के सरना धर्मावलंबियों की बैठकपीआइएल दायर कर ईसाईयों को ग्राम प्रधान के पद से हटाने की करेंगे मांग संवाददाता, रांचीकेंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में रविवार को ईस्टर्न मॉल सभागार में नौ जिलों के सरना धर्मावलंबियों की बैठक हुई. इसमें कई पड़हा राजा, पड़हा दीवान व […]
फोटो सुनीलकेंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में नौ जिलों के सरना धर्मावलंबियों की बैठकपीआइएल दायर कर ईसाईयों को ग्राम प्रधान के पद से हटाने की करेंगे मांग संवाददाता, रांचीकेंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में रविवार को ईस्टर्न मॉल सभागार में नौ जिलों के सरना धर्मावलंबियों की बैठक हुई. इसमें कई पड़हा राजा, पड़हा दीवान व अन्य अगुवा शामिल थे. इसमें देश भर के आदिवासियों के लिए सर्वमान्य धर्मकोड, गैर आदिवासियों से विवाह करनेवाली आदिवासी लड़कियों को मिलनेवाले सरकारी लाभ पर रोक, पहली से दसवीं कक्षा तक जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई, द्वितीय राजभाषा का दर्जा, पूरे देश में आदिवासियों की जनगणना और आदिवासी लड़की से विवाह कर जमीन-मकान की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने समेत कई विषयों पर चर्चा की गयी. इसमें अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि सरना आदिवासियों को अपनी उन्नति के लिए अपनी एकजुटता पर ही भरोसा करना होगा. खनिज संपदा से संपन्न इलाके के ये आदिवासी बदहाली का जीवन बिता रहे हैं. वे जिन इलाकों में रहते हैं, उनका विकास कागजों पर किया जाता है. राज्य में उनकी आबादी भी 60 से घट कर 27 फीसदी रह गयी है. जनजातीय भाषाओं को लुप्त करने के लिए इसे पाठ्यक्रम से नहीं जोड़ा जा रहा है. कानून होने के बावजूद कई जगहों पर रुढ़ीवादी परंपराओं पर चलनेवाले आदिवासियों की जगह ईसाई आदिवासियों को ग्राम प्रधान बनाया गया है. दीपावली के बाद उच्च न्यायालय में पीआइएल दायर कर ईसाई आदिवासियों को ग्राम प्रधान के पद से हटाने की मांग की जायेगी. झारखंड अकादमिक काउंसिल से भी जनजातीय भाषाओं में पुस्तकों के प्रकाशन की मांग की जायेगी. स्व कार्तिक उरांव के संसद में अभिभाषण के आधार पर आदिवासी कौन को परिभाषित करने पर विचार होगा.बैठक के दौरान आदिवासी धर्मकोड के लिए ‘आदि धर्म’ नाम को ज्यादा समर्थन मिला. इस अवसर पर दशरथ उरांव, मंगेश भगत, अनिल उरांव, रंजीत, गंदरा उरांव, राजदेव पहान, महेंद्र उरांव, राजन मुंडा, सुशांति लकड़ा, पारो किस्पोट्टा, मरवा पहान, सोम आशा पूरती, एतवा टाना भगत, रतन तिर्की, अशोक मुरमू, देवराज उरांव, सनिका मुंडा, रंथू उरांव, मनी उरांव व अन्य ने विचार रखे.