राष्ट्रपति ने नार्वे की कंपनियों को कहा मेक इन इंडिया

एजेंसियां, ओस्लोराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नार्वे की कंपनियों को संदेश दिया कि वे भारत की नयी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल से जुड़ें. उन्होंने निवेशकों और उद्यमियों को भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश संभावनाएं तलाशने के लिए आमंत्रित किया. मुखर्जी ने राजा हेराल्ड पंचम और रानी सोन्या द्वारा सोमवार की रात राजमहल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2014 12:32 PM

एजेंसियां, ओस्लोराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नार्वे की कंपनियों को संदेश दिया कि वे भारत की नयी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल से जुड़ें. उन्होंने निवेशकों और उद्यमियों को भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश संभावनाएं तलाशने के लिए आमंत्रित किया. मुखर्जी ने राजा हेराल्ड पंचम और रानी सोन्या द्वारा सोमवार की रात राजमहल में आयोजित राजकीय भोज के मौके पर कहा कि हम अपने रेलवे, सड़क एवं बंदरगाहों, बिजली एवं संचार सुविधाओं के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्वागत करते हैं. हम भारत की वृद्धि की संभावनाओं में उनकी भागीदारी में सुविधा प्रदान करने के लिए प्रक्रियाओं को आसान बना रहे हैं.राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और नार्वे के बीच व्यापार बढ़ रहा है, लेकिन अभी काफी संभावनाओं का दोहन करना बाकी है. उन्होंने कहा कि इसे साकार करने के लिए नयी सरकार निवेश को प्रोत्साहित करने, भारत में विनिर्माण क्षेत्र में सुधार, कौशल विकास को प्रोत्साहित करने, स्मार्ट शहर विकसित करने और भारत एवं विदेश के सभी इच्छुक भागीदारों व निवेशकों को अपने साथ जोड़ने के संबंध में कई पहल कर रही है.राष्ट्रपति ने भारत और नार्वे के बीच तेल एवं उत्खनन और वैज्ञानिक अनुसंधन समेत लाभकारी व्यापार भागीदारीवाले क्षेत्रों की बात की. उन्होंने कहा कि दोनों देश पृथ्वी विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, मत्स्य पालन और स्वास्थ्य सेवा में सहयोग के दायरे के विस्तार के इच्छुक हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे भरोसा है कि जिन द्विपक्षीय समझौतों पर हमने हस्ताक्षर किया है, उससे उन कई क्षेत्रों में सहयोग और बढ़ेगा, जिनमें भारत और नार्वे एक दूसरे की अच्छी मदद कर सकते हैं.इस स्केंडिनेवियाई देश की यात्रा करनेवाले भारत के पहले राष्ट्राध्यक्ष मुखर्जी ने नार्वे को उसके संविधान के 200वीं वर्षगांठ समारोह के लिए बधाई दी. स्वालबार्द में अपना धु्रवीय अनुसंधान केंद्र स्थापना करने के लिए भारत को सहयोग एवं समर्थन देने के लिए यहां की सरकार का धन्यवाद दिया. राष्ट्रपति ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के संबंध में भारत के दावे का समर्थन करने और आपके सक्रिय प्रयासों के आभारी हैं, जिससे भारत को आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल करने में मदद मिली.

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