बीमारियों से बचने में हाथों की स्वच्छता महत्वपूर्ण : सिविल सर्जन
फोटो सुनील संवाददाता @रांचीझारखंड स्वच्छता मंच द्वारा ग्लोबल सेनिटेशन फंड के सहयोग से बुधवार को ‘ग्लोबल हैंडवाशिंग डे’ के उपलक्ष्य में सेमिनार का आयोजन किया गया़ सिविल सर्जन डॉ गोपाल श्रीवास्तव ने कहा कि हाथों को अच्छी तरह धोने से शरीर निरोग रहता है. हम स्वास्थ्य से जुड़ी कई बातों के बारे में जानकारी रखते […]
फोटो सुनील संवाददाता @रांचीझारखंड स्वच्छता मंच द्वारा ग्लोबल सेनिटेशन फंड के सहयोग से बुधवार को ‘ग्लोबल हैंडवाशिंग डे’ के उपलक्ष्य में सेमिनार का आयोजन किया गया़ सिविल सर्जन डॉ गोपाल श्रीवास्तव ने कहा कि हाथों को अच्छी तरह धोने से शरीर निरोग रहता है. हम स्वास्थ्य से जुड़ी कई बातों के बारे में जानकारी रखते हैं, पर इन्हें अपने मन में बैठा लेना आवश्यक है़ हाथ धोना साधारण बात सी बात है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह महत्वपूर्ण है़ गंदे तालाबों में बरतन साफ करने से बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर सकते हैं़ गंदी हथेली, बढ़े नाखून के नीचे जमी गंदगी आदि से हैजा, गैस्ट्रोइंट्राइटिस, टायफाइड, पीलिया, दस्त, रक्त अल्पता, कृमि जैसी बीमारियों फैल सकती हैं. दैनिक जीवन की छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख हम कई बड़ी बीमारियों से बच सकते हैं़ इलाज से बेहतर सावधानी बरतना है़ सेमिनार का आयोजन होटल मेपल वुड में किया गया. प्रभात खबर इस आयोजन का मीडिया पार्टनर था.पढ़े लिखे भी फैलाते हैं गंदगीराष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित उर्सुलाइन इंटर कॉलेज की प्राचार्य सिस्टर (डॉ) मेरी ग्रेस ने कहा कि थाईलैंड, मलयेशिया और सिंगापुर जैसे पड़ोसी देशों की सड़कें, भवन, सब कुछ बिल्कुल साफ-स्वच्छ रहते हैं़ उन्होंने स्वयं देखा कि पार्क में एक छोटे कुत्ते के शौच कर देने पर उसके मालिक ने कागज और पॉलीथिन की मदद से उसे उठा कर निर्धारित जगह पर फेंका़ दूसरे देश के लोग अपने देश के प्रति अपनत्व का बोध रखते हैं. उसे साफ रखना अपनी जिम्मेवारी समझते हैं, पर हमारे देश में सिर्फ अनपढ़ ही नहीं, पढ़े-लिखे भी गंदगी फैलाते हैं़ नियम कानून सख्ती से अनुपालन कराने से साफ-सफाई के अभियान में मदद मिलेगी़ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर सफाई का महत्व रेखांकित करते हुए स्वच्छ भारत का नारा दिया है़ महिलाओं की जरूरतों को समझते हुए शौचालयों के निर्माण का निर्देश भी दिया़ यदि सवा सौ करोड़ की आबादी कुछ करने की ठान लेगी, तो इसमें कुछ भी बाधक नहीं बन सकता़ ग्रामीणों के खुले में शौच करने के कई कारणएक्सआइएसएस के उपनिदेशक, फादर रंजीत पास्कल टोप्पो एसजे ने ग्रामीण संदर्भ में स्वच्छता विषय पर विचार रखे़ उन्होंने कहा कि भारत में 53 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं, जबकि यह पाकिस्तान में 23 और बांग्लादेश में तीन और फीसदी है़ वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ आठ फीसदी ग्रामीण इलाकों में शौचालय थे़ ग्रामीणों का सोच यह है कि यह गंदा और इससे निवृत्ति की जगह निवास स्थान से दूर होनी चाहिए़ इसके अतिरिक्त शौचालय का निर्माण उनकी प्राथमिकता सूची में नीचे है़ घर बनाते समय वे अनाज गोदाम, रहने के कमरे और फिर मवेशियों के बारे में सोचते हंै़ सरकारी मदद के बावजूद शौचालय निर्माण के लिए उन्हें पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं़ जमीनी प्रश्न है स्वच्छतारांची विवि में अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो रमेश शरण ने कहा कि स्वच्छता जमीनी प्रश्न है़ साफ रहने की भावना हमारी संस्कृति में शामिल होनी चाहिए़ नाली का पानी नदी में बहा देना, यहां- वहां गंदगी फैलाना यह दिखाता है कि लोगों में सिविक सेंस की भी कमी है़ मेनरोड, कचहरी व भीड़ वाले इलाकों में सार्वजनिक शौचालय होने चाहिए़ कचरा फेंकने के लिए निर्धारित स्थान होने चाहिए. मल निष्पादन की व्यवस्था भी जरूरी है़ मीडिया का भी दायित्वप्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक (झारखंड) अनुज कुमार सिन्हा ने मीडिया के दायित्व पर प्रकाश डाला़ उन्होंने कहा कि मीडिया की भूमिका लोगों को जागरूक करना, उन्हें प्रेरित करना और कानून को लागू कराने में मदद करना है़ जनहित में मीडिया को नफा -नुकसान से उठकर सोचने की आवश्यकता है़ संत अन्ना स्कूल की छात्रा पलक कुमारी गुप्ता ने कहा कि हम अक्सर अपनी नहीं दूसरों की गलतियां देखते हैं़ हाथ धोने के साथ नाखूनों की सफाई भी जरूरी है़ देश को गंदगी से आजादी दिलानी है़ इससे पूर्व मंच के प्रीतम साइम्स ने कहा कि विकासशील देशों में सफाई बड़ी समस्या है़ भारत में हर वर्ष 3.5 लाख बच्चे डायरिया से मरते हैं़ बीमारियों से बचाने के लिए जिस तरह बच्चों का टीकाकरण कराते हैं, उसी तरह साबुन से अच्छी तरह हाथ धोकर भी हम अपने शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं़ अंगुलियों, मक्खियों, दूषित जल और खुले में शौच से कई तरह की बीमारियां पनपती हैं़ सोसाइटी फॉर प्रोमोशन ऑफ वेस्टलैंड डेवलपमेंट के प्राण रंजन ने बताया कि झारखंड स्वच्छता मंच का गठन 2012 में किया गया है़ इसके 140 सदस्य हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हैं़ कार्यक्रम में राम लाल, सतीश करण, संजीव सिंह, संत अन्ना स्कूल, संत मार्ग्रेट स्कूल, बेथेसदा स्कूल, उर्सुलाइन इंटर कॉलेज की छात्राएं, शिक्षक व कई एनजीओ के सदस्य उपस्थित थे़