पावर जैकेट बनने से सभी क्षेत्रों को मिलेगी बिजली : एसएन वर्मा

पावर कॉनक्लेव में झारखंड में बिजली की स्थिति पर चर्चावरीय संवाददाता, रांचीसीएनएफसी मीडिया द्वारा एक निजी चैनल के पावर न्यूज कार्यक्रम के तहत रांची के होटल बीएनआर में पॉवर कॉनक्लेव का आयोजन किया गया. बिजली के क्षेत्र की स्थिति और आ रहे बदलावों पर एक पैनल डिस्कशन भी हुआ.चर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2014 11:02 PM

पावर कॉनक्लेव में झारखंड में बिजली की स्थिति पर चर्चावरीय संवाददाता, रांचीसीएनएफसी मीडिया द्वारा एक निजी चैनल के पावर न्यूज कार्यक्रम के तहत रांची के होटल बीएनआर में पॉवर कॉनक्लेव का आयोजन किया गया. बिजली के क्षेत्र की स्थिति और आ रहे बदलावों पर एक पैनल डिस्कशन भी हुआ.चर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी एसएन वर्मा ने कहा कि यदि कहीं भी बिजली की समस्या है तो वह अब बिजली नेटवर्क की वजह से है. इस क्षेत्र में काम करने की जरूरत है. ऊर्जा विकास निगम राज्य में पावर जैकेट तैयार करना चाहता है ताकि कोई भी क्षेत्र बिजली के मामले में अछूता न रहे. श्री वर्मा ने कहा कि विकास निगम द्वारा पतरातू में दो पावर प्लांट व भवनाथपुर में एक पावर प्लांट लगाया जा रहा है. जहां तक कोल ब्लॉक रद्द होने की मांग है तो इसे दोबारा आवंटित कराने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गयी है. विकास निगम ने केंद्र से रिएलोकेशन का आग्रह किया है. छह महीने में दोबारा कोल ब्लॉक का आवंटन हो जायेगा. उन्होंने कहा कि पावर प्लांट के लिए जमीन और पानी की उपलब्धता पहले से ही है. श्री वर्मा ने कहा कि यह दुखद है कि अलग राज्य बनने के बावजूद सरकार की ओर से एक मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन नहीं किया गया है. एनएचपीसी के पूर्व सीएमडी योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में बिजली की अहम भूमिका होगी. आधुनिक ग्रुप के इडी अमृतांशु प्रसाद ने कहा कि यहां सबसे बड़ी समस्या जमीन को लेकर है. आधुनिक राज्य का पहला पावर प्लांट है. पर इसे लगाने में काफी परेशानी हुई. आज भी कोयला नहीं मिल रहा है. राज्य में विधि व्यवस्था की समस्या भी है. एक ओर नेता प्लांट का समर्थन करते हैं दूसरी ओर वही नेता विरोध भी करते हैं. इनलैंड पावर के एमडी नवीन सोमानी ने कहा कि उनकी कंपनी ने 124 मेगावाट की पावर प्लांट लगायी है. पावर प्लांट लगाने के क्रम में तीन साल केवल भूमि की व्यवस्था करने में लग गये. चार महीने से उत्पादन हो रहा है पर अभी भी प्लांट को कई चुनौतियों को सामना करना पड़ रहा है. चेंबर के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि निजी निवेशकों के साथ सबसे बड़ी समस्या भूमि को लेकर है. लोग यहां निवेश करना चाहते हैं पर ब्यूरोक्रेसी की बाधा की वजह से निवेश नहीं हो पाता. इस चर्चा में शरद पोद्दार, एनके ओझा व पायोनियर के संतोष नारायण ने भी हिस्सा लिया. संचालन सीएनएफसी मीडिया की एमडी जूही राजपूत ने किया.

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