हुदहुद : ओडि़शा में लोगों के लिए मदद की आवाज बनकर उभरा रेडियो
एजेंसियां, कोरापुट (ओडि़शा)ओडि़शा के कोरापुट जिले के सुदूर इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में चक्रवात हुदहुद को लेकर जागरूकता फैलाने में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही. यहां के लोग न तो समाचार पत्र पढ़ पाते हैं और न ही वे टेलीविजन सेट खरीदने में सक्षम हैं. ऐसे में रेडियो पर सूचनाओं के प्रसारण से मरनेवालों की […]
एजेंसियां, कोरापुट (ओडि़शा)ओडि़शा के कोरापुट जिले के सुदूर इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में चक्रवात हुदहुद को लेकर जागरूकता फैलाने में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही. यहां के लोग न तो समाचार पत्र पढ़ पाते हैं और न ही वे टेलीविजन सेट खरीदने में सक्षम हैं. ऐसे में रेडियो पर सूचनाओं के प्रसारण से मरनेवालों की संख्या में कमी आयी. बोईपारीगुडा ब्लॉक के माझीगुडा गांव के मडल पारलिया ने बताया, ‘न तो हम समाचार पत्र पढ़ पाते हैं और न ही हमारे पास देखने के लिए टेलीविजन सेट हैं. लेकिन रेडियो के कारण ही हम चक्रवात हुदहुद और उसके संभावित प्रभाव के बारे में जान सके. चक्रवात को लेकर रेडियो पर लगातार बुलेटिनों के प्रसारण से हमें काफी मदद मिली.’ कुछ इसी तरह का विचार तालुर गांव के गुंचू दुरुआ भी रखते हैं. कहा कि ज्यादातर अवसरों पर हमारे इलाकों में बिजली नहीं रहती और हम समाचार या मनोरंजन के लिए ज्यादातर बैटरी चालित रेडियो पर ही निर्भर रहते हैं. नौ अक्तूबर से ही आकाशवाणी (एआइआर) के जेपोर स्टेशन ने चक्रवात हुदहुद पर विशेष बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया, जिसमें चक्रवात के दौरान बरती जानेवाली सावधानियों के संबंध में जिलाधीश के संदेश भी शामिल थे.आकाशवाणी (जेपोर) के केंद्र निदेशक क्रुतीबास नायक ने बताया, ‘विशेष समाचार बुलेटिनों के अलावा हमने श्रोताओं के लिए चक्रवात हुदहुद पर आधारित कार्यक्रम का भी प्रसारण किया. 12 अक्तूबर को जब चक्रवात हुदहुद विशाखापत्तनम के निकट टकराया और कोरापुट से होकर गुजरा तब समूचे जिले में बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण अंधकार छा गया था. ऐसे में आकाशवाणी जेपोर केंद्र ने चक्रवात से संबंधित कार्यक्रमों का लगातार प्रसारण किया जो श्रोताओं को चक्रवात के बारे में ताजा जानकारी हासिल करने का एकमात्र साधन बन गया.’ इसके अलावा कोरापुट स्थित यूनीसेफ के सहयोग से चलनेवाले सामुदायिक एफएम रेडियो स्टेशन धेमसा ने भी चक्रवात से संबंधित सूचनाओं का प्रसारण किया. आदिवासी भाषा में सूचनाओं के प्रसारण से आदिवासियों को भी इससे लाभ पहुंचा.कीमती पेड़ जड़ से उखड़ गयेजिले में हुदहुद चक्रवात से बड़ी संख्या में पेड़ जड़ से उखड़ गये हैं. इनमें कीमती टीक और साल के पेड़ भी शामिल हैं. प्रारंभिक रिपोर्ट बताती है कि चक्रवात के दौरान जिले के गुप्तेश्वर, बोइपारिगुड़ा, सेमिलिगुडा और नारायणपाटना के जंगली क्षेत्रों में 5000 से ज्यादा साल, टीक, यूकेलिप्टस और चाकुंदा के पेड़ टूटे हैं. चक्रवात का खामियाजा सड़क किनारे, विद्यालयों और कार्यालयों में लगे पेड़ों को भी भुगतना पड़ा. अधिकारियों ने बताया कि चक्रवात का गुप्तेश्वर वन क्षेत्र के रामागिरि में सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है.